सुल्तानपुर
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक गुरुवार शाम अचानक जिला अस्पताल आ धमके। निरीक्षण कर मरीजों व तीमारदारों से स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी ली। इसके बाद जनऔषधि केंद्र पर पहुंच गए। संचालक संजय दुबे से दवाओं की उपलब्धता की जानकारी ली। सवाल किया कि क्या चिकित्सकों द्वारा बाहर की दवाएं लिखी जाती हैं। इस पर उनका जवाब था कि इस बीच कुछ सुधार हुआ है।
उपमुख्यमंत्री संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। करीब साढ़े चार बजे वे अमहट चौराहे के पास पहुंचे तो चालक को जिला अस्पताल की तरफ चलने का इशारा कर दिया। दस मिनट में आपातकालीन कक्ष में पहुंच गए। परिसर में गंदगी को देख डिप्टी सीएम भड़क गए। सीएमएस डा. सुरेश चंद्र कौशल को सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए। वहीं, बेटी का इलाज कराने आए लोहरामऊ निवासी दुर्गेश से उन्होंने पूछा, इलाज सही से हो रहा है कि नहीं। इस पर जवाब मिला, यहां कोई दिक्कत नहीं है।
उप मुख्यमंत्री ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय में रखे रजिस्टरों का अवलोकन किया। मौजूद कर्मचारियों से पूछा सीएमएस आते हैं कि नहीं, सभी का जवाब था कि आते हैं। शौचालय के पास गंदगी देख सफाई के लिए निर्देशित किया। साथ ही कहा कि दवाओं की कमी न होने पाए, इसके लिए एक सप्ताह पूर्व ही डिमांड भेज दें। विशेष परिस्थिति में ही मरीजों को रेफर करें।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक गुरुवार शाम अचानक जिला अस्पताल आ धमके। निरीक्षण कर मरीजों व तीमारदारों से स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी ली। इसके बाद जनऔषधि केंद्र पर पहुंच गए। संचालक संजय दुबे से दवाओं की उपलब्धता की जानकारी ली। सवाल किया कि क्या चिकित्सकों द्वारा बाहर की दवाएं लिखी जाती हैं। इस पर उनका जवाब था कि इस बीच कुछ सुधार हुआ है।
उपमुख्यमंत्री संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। करीब साढ़े चार बजे वे अमहट चौराहे के पास पहुंचे तो चालक को जिला अस्पताल की तरफ चलने का इशारा कर दिया। दस मिनट में आपातकालीन कक्ष में पहुंच गए।
परिसर में गंदगी को देख डिप्टी सीएम भड़क गए। सीएमएस डा. सुरेश चंद्र कौशल को सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए। वहीं, बेटी का इलाज कराने आए लोहरामऊ निवासी दुर्गेश से उन्होंने पूछा, इलाज सही से हो रहा है कि नहीं। इस पर जवाब मिला, यहां कोई दिक्कत नहीं है।
उप मुख्यमंत्री ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय में रखे रजिस्टरों का अवलोकन किया। मौजूद कर्मचारियों से पूछा सीएमएस आते हैं कि नहीं, सभी का जवाब था कि आते हैं। शौचालय के पास गंदगी देख सफाई के लिए निर्देशित किया। साथ ही कहा कि दवाओं की कमी न होने पाए, इसके लिए एक सप्ताह पूर्व ही डिमांड भेज दें। विशेष परिस्थिति में ही मरीजों को रेफर करें।