श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकियों का साथ दे रहे पांच सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। जिन पांच कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उनमें तनवीर सलीम, सैयद इफ्तिखार अंद्राबी, आफाक अहमद वानी, इरशाद अहमद खान और अब्दुल मोमिन पीर शामिल हैं। इन पर आतंकियों को आर्थिक रूप से भी मदद पहुंचाने का आरोप है।
सूत्रों के मुताबिक, तनवीर सलीम डार जम्मू कश्मीर पुलिस में 1991 में भर्ती हुआ और वर्ष 2002 के दौरान वह आग्जिलरी बटालियन में स्थानांतरित कर दिया गया था। तनवीर सलीम डार हमेशा अलगाववादी और कट्टरपंथी विचारधारा का समर्थक रहा हैं। आग्जिलरी बटालियन में तैनाती के दौरान वहां आतंकियों के हथियारों की मरम्मत कराने के अलावा उन तक हथियार पहुंचाने का काम शुरू कर दिया। वह लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर के लिए श्रीनगर में ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर काम करता था। उसने तत्कालीन एमएलसी जावेद शाला उर्फ जावेद शाह की हत्या में भी लश्कर-ए-तैयबा के आत्मघाती आतंकियों की मदद की थी।
सैयद इफ्तिखार अंद्राबी वन विभाग में प्लांटेशन सुपरवाइजर के पद रहते हुए लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के लिए ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर काम करता था। उसने गुलाम कश्मीर में बैठे कई आतंकी सरगनाओं के साथ अपने संबंध बढ़ाते हुए जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों की वित्तीय मदद के लिए नार्काे टेरेरिज्म का माड्यूल तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। वह खुद भी ऐसे एक माड्यूल का अहम सदस्य था। जून 2020 में उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में पकड़े गए नार्काे टेरेरिज्म माड्यूल में वह शामिल था।
बारामुला स्थित सेंट्रल कापोरेटिव बैंक में बतौर प्रबंधक तैनात आफाक अहमद वानी भी जून 2020 में हंदवाड़ा में पकड़े गए लश्कर एवं हिजबुल मुजाहिदीन के नार्काे टेरेरिज्म माडयूल से जुड़ा है। वह मादक पदार्थों को कश्मीर से बाहर भेजने और उनकी कमाई का एक हिस्सा आतंकियों तक पहुंचाने के अलावा गुलाम कश्मीर से हथियारों की तस्करी भी करता था।
बारामुला में जलशक्ति विभाग में बतौर चौकीदार के रूप में तैनात इरशाद अहमद खान आतंकियों को एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित पहुंचाने का काम करता था। वह गुलाम कश्मीर से आने वाले आतंकियों को वादी के भीतरी इलाकों में सुरक्षित ठिकाने प्रदान करने के अलावा कई आतंकियों को भारत से बाहर जाने में भी मदद करता था।
अब्दुल मोमिन पीर नार्काे टेरर माड्यूल चला रहा था। वह आतंकियों के लिए हवाला के जरिए भी पैसे का बंदोबस्त करता था। उसने वर्ष 2016-17 के दौरान दो बार पाकिस्तान की यात्रा की। अपने पाकस्तान दौरे के दौरान उसने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारियों के अलावा कई आतंकी सरगनाओं के साथ मुलाकात की और जम्मू-कश्मीर में आतंकी एवं अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए सक्रिय था।
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मददगार पांच सरकारी कर्मचारी बर्खास्त
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