फारुख अब्दुल्ला,महबूबा मुफ़्ती खफा, 22 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलाई
श्रीनगर। चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर के आगामी चुनावों को लेकर बड़ा ऐलान किया है । आयोग ने आज यहाँ घोषणा की कि अगले विधान सभा चुनाव में कश्मीर के बाहर से आकर यहाँ रहने वाले लोगों को भी मतदान का अधिकार मिलेगा। 15 सितंबर से वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी जो 25 अक्टूबर तक चलेगी। हालांकि, 10 नवंबर तक दावों और आपत्तियों का निपटारा किया जाएगा। जम्मू कश्मीर में इस साल विधानसभा चुनाव होने की संभावना है । आयोग के इस ऐलान पर जम्मू कश्मीर बीजेपी विरोधी दलों घोर आपत्ति जताई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला ने इस मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है । पीडीपी की नेता महबूबा मुफ़्ती ने भी इस पर नाराजगी जताई है।
जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) हृदयेश कुमार ने बताया कि आयोग ने अगले विधान सभा चुनाव में कश्मीर से बाहर के लोगों को भी मतदान का अधिकार देने का फैसला किया है। इनमें कर्मचारी, छात्र, मजदूर या देश के दूसरे राज्यों के वे व्यक्ति शामिल होंगे जो आमतौर पर जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं। वे मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं। साथ ही जम्मू-कश्मीर में होने वाले चुनाव में वोट कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बाहरी लोगों को मतदाता के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए किसी निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि अन्य राज्यों के सशस्त्र बल के जवान जो जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं, वे भी अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करा सकते हैं।
किराए पर रह रहे लोग भी कर सकेंगे मतदान
चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि गैर-स्थानीय लोगों के लिए मतदान के लिए कोई रोक नहीं है। उन्होंने कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई जम्मू कश्मीर में कितने समय से रह रहा है। गैर स्थानीय जम्मू कश्मीर में रह रहा है या नहीं इस पर अंतिम फैसला ईआरओ करेगा। यहां किराए पर रहने वाले भी मतदान कर सकते हैं।” उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में शामिल होने की एकमात्र शर्त यह है कि व्यक्ति ने अपने मूल राज्य से अपना मतदाता पंजीकरण रद्द कर दिया हो।
हृदेश कुमार ने बताया कि जम्मू कश्मीर में इस बार करीब 25 लाख नए वोटरों का नाम वोटर लिस्ट में शामिल होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि कर्मचारी, छात्र, मजदूर और कोई भी गैर स्थानीय जो कश्मीर में रह रहा है, वह अपना नाम वोटर लिस्ट में शामिल करा सकता है।
बड़े पैमाने पर वोटर बढ़ने की उम्मीद
हृदेश कुमार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद पहली बार मतदाता सूची में विशेष संशोधन किया जा रहा है, ऐसे में उम्मीद है कि इस बार बड़े पैमाने पर बदलाव होगा । इतना ही नहीं तीन साल में बड़ी संख्या में युवा 18 साल या उससे अधिक उम्र के हो गए हैं। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में 18 साल से अधिक उम्र के करीब 98 लाख लोग हैं, जबकि अंतिम मतदाता सूची के अनुसार सूचीबद्ध मतदाताओं की कुल संख्या 76 लाख है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में शामिल होने की एकमात्र शर्त यह है कि व्यक्ति ने अपने मूल राज्य से अपना मतदाता पंजीकरण रद्द कर दिया हो। आयोग के इस फैसले से मतदाता सूची में करीब 20 से 25 लाख नए मतदाता शामिल होंगे।
अब्दुल्ला – महबूबा नाराज
केंद्र के इस फैसले पर जम्मू कश्मीर में राजनीतिक नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यही नहीं, कश्मीरी नेताओं ने आगे की रणनीति तय करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता फारूक अब्दुल्ला ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। नेकां प्रवक्ता ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची में क्षेत्र के बाहर के लोगों के नाम शामिल करने के मुद्दे पर 22 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
इससे पहले महबूबा ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्होंने फारूक अब्दुल्ला से एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का आग्रह किया है, ताकि निर्वाचन आयोग द्वारा केंद्र शासित प्रदेश में क्षेत्र के बाहर के लोगों का मतदाता के तौर पर पंजीकरण करने की अनुमति देने को लेकर भविष्य की रणनीति तय की जा सके।
महबूबा ने लगाया बीजेपी की मदद करने का आरोप
चुनाव आयुक्त के इस फैसले पर पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, ‘पहले ‘जम्मू-कश्मीर में चुनावों को स्थगित करने का भारत सरकार का निर्णय और अब गैर स्थानीय लोगों को वोट देने की अनुमति देना, यह भाजपा के पक्ष में चुनाव परिणामों को प्रभावित करना के संकेत हैं। असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को शक्तिहीन करने के लिए जम्मू-कश्मीर पर सख्ती से शासन करना जारी रखना है।”