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जगदंबिका पाल ने वक्फ संबंधित जेपीसी रिपोर्ट ओम बिरला को सौंपी, 665 पन्नों में क्या है?

वक्फ संशोधन विधेयक मामले में जेपीसी की रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दी गई है। बता दें कि जेपीसी की अध्यक्षता जगदंबिका पाल कर रहे थे। उन्होंने यह रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को दी।

by Kajal Tiwari

वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पॉल ने जेपीसी की रिपोर्ट लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप दी है। बुधवार को समिति ने 665 पन्नों वाली इस रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से स्वीकार किया था। इसमें भाजपा के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझाव समाहित हैं। वहीं विपक्ष के सदस्यों ने इसे असंवैधानिक बताया और आरोप लगाते हुए कहा कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा। भाजपा सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास करने वाला है।

विपक्ष ने जताई नाराजगी

भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दे दी गई। विपक्षी सदस्यों ने असहमति के नोट दिए हैं। समिति ने गत सोमवार को हुई एक बैठक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था और विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया था। समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था और दावा किया था कि समिति की ओर से प्रस्तावित कानून विधेयक के ‘दमनकारी’ चरित्र को बरकरार रखेगा और मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा।

क्या बोले असदुद्दीन ओवैसी

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजीजू द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने के बाद 8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। इस रिपोर्ट पर AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को हटाने वाले खंड में प्रावधान को अंतिम समय में शामिल करना गैरजरूरी था, क्योंकि इसका इम्तहान उन मामलों में होगा जहां संपत्ति विवाद है, जबकि ऐसी स्थिति में यह लागू नहीं होगा।