16 दिसंबर 2024 की रात, चेन्नई के वाशरमेनपेट इलाके में एक कलेक्शन एजेंट, मोहम्मद गौस, अपने मालिक के लिए 20 लाख रुपये की रकम लेकर जा रहे थे। गौस के मालिक, जुनैद अहमद, एक सीटी स्कैन सेंटर चलाते थे और साथ ही कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी भी थे। जैसे ही गौस अन्ना सलाई इलाके के सरकारी मल्टी-सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के पास से गुजर रहे थे, उन्हें एक पुलिसकर्मी ने रोक लिया। पुलिसकर्मी ने बैग के बारे में पूछताछ की और जब पता चला कि उसमें 20 लाख रुपये हैं, तो उसने कैश से जुड़े दस्तावेज मांगे।
इस दौरान, पुलिसकर्मी ने किसी को फोन किया और बातचीत के दौरान गौस को एक धोखाधड़ी का शिकार बना लिया। यह मामला केवल एक पुलिसकर्मी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें तीन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी भी शामिल हो गए। इन अधिकारियों ने पुलिसकर्मी के साथ मिलकर एक साजिश रची। इन अधिकारियों ने गौस से पैसे लूटने के लिए उसे धमकाया और चाकू की नोक पर 15 लाख रुपये की लूट की घटना को अंजाम दिया।
इन चारों आरोपियों ने एक गंभीर अपराध को अंजाम दिया, और उनकी इस काली कमाई के लालच ने उन्हें कानून के दायरे से बाहर कर दिया। लूट की वारदात के बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, और अब ये सभी आरोपी सलाखों के पीछे हैं। इस घटना ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया कि भ्रष्टाचार और लालच का कोई भी रूप कितना खतरनाक हो सकता है, चाहे वह किसी भी पेशे से जुड़ा हो।