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चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के लिए डाक्टरों की संख्या बढ़ाने व बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत- मनसुख मांडविया

by City Headline

नई दिल्ली

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के लिए डाक्टरों की संख्या बढ़ाने और बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार यह सोचकर योजना तैयार कर रही है कि आजादी के 100 साल पूरे होने पर देश में स्वास्थ्य सुविधाएं कैसी हों। इसके मद्देनजर बीते तीन दिन तक सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिंतन किया।

केंद्र की योजनाएं सभी राज्यों में और राज्यों की अच्छी पहल देशभर में कैसे लागू की जाए, उस पर गहराई से चिंतन किया गया। इस आधार पर स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 25 साल का रोडमैप बनेगा। मांडविया ने सोमवार को लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज के सुचेता कृपलानी अस्पताल में नए ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) व आइपीडी (इन पेशेंट डिपार्टमेंट) ब्लाक का उद्घाटन किया।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जब कोई लक्ष्य निर्धारित करती है तो उसमें लोक भागीदारी भी होती है। स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ व किफायती बनाना है। इसमें केंद्र व राज्य सरकारों के अलावा चिकित्सा शिक्षा संस्थानों व डाक्टरों की भी अहम भूमिका हो सकती है। मेडिकल छात्रों को सिर्फ किताब पढ़ा देना ही फैकल्टी की जिम्मेदारी नहीं है। छात्रों को अच्छा डाक्टर बनाने के साथ-साथ जिम्मेदार नागरिक बनाना भी फैकल्टी का दायित्व है, ताकि मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद उन्हें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास भी रहे।

सरकार एक एमबीबीएस डॉक्टर तैयार करने पर दो करोड़ रुपये खर्च करती है। छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद गांवों में जाकर दो-तीन साल इलाज करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, ताकि नए डाक्टरों में यह भाव आए कि यदि वे यह काम नहीं करेंगे तो फिर कौन करेगा? यह सोच विकसित होने पर चिकित्सा सुविधाएं सुलभ हो जाएंगी।

केंद्रीय मंत्री ने निजी अस्पतालों में इलाज के महंगे खर्च के मामले पर कहा कि निजी अस्पताल के डाक्टरों को यह ध्यान रखना चाहिए कि सामने कैसा मरीज है, वे उससे कितना पैसा ले ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं खेद के साथ कहना चाहता हूं कि कोरोना महामारी के दौरान ऐसी कई शिकायतें आई हैं, जिससे दिल जलता है, इसलिए इलाज को किफायती बनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। जब ‘राष्ट्र पहले’ का भाव आ जाएगा तो यह संभव हो जाएगा। सिर्फ राष्ट्र भक्ति ही देश को मजबूत कर सकती है।

मांडविया ने कहा कि अस्पताल में मरीजों के प्रति डाक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों का व्यवहार सहयोग का होना चाहिए, ताकि मरीज अस्पताल से संतुष्ट होकर लौटें। इससे अस्पतालों में गार्ड रखने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। अस्पताल में मरीज और तीमारदार मारपीट करने नहीं आते हैं। कार्यक्रम को केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डा. भारती पवार ने भी संबोधित किया।

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