अफगानिस्तान की गंभीर मानवीय स्थिति (Afghanistan Humanitarian Situation) पर चिंता जताते हुए इंडिपेंडेंट संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने अमेरिका से कहा है कि अफगानिस्तान की विदेशी संपत्ति पर लगी रोक को खत्म किया जाए. विशेषज्ञों के एक समूह ने कहा, अफगानिस्तान (Afghanistan) बैंक के पास 7 बिलियन डॉलर से अधिक हैं, जो ब्लॉक रिजर्व में हैं. जिसका इस्तेमाल देश के लाखों लोगों को जरूरी मानवीय सहायता (Afghan Freeze Assets) देने के लिए किया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘हम अफगानिस्तान में बढ़ते मानवीय संकट को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं.’
विशेषज्ञों के समूह ने कहा, ‘इस संकट ने देश की आधी से ज्यादा आबादी के जीवन को गंभीर संकट में डाल दिया है, जिसका सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव महिलाओं और बच्चों पर पड़ा है.’ फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक कार्यकारी आदेश जारी करते हुए अफगानिस्तान की तुरंत और दीर्घकालिक मानवीय जरूरतों को पूरा करने के बजाय कैश पर रोक लगा दी थी और अमेरिका के भीतर इस पैसे के कुछ हिस्से का इस्तेमाल करने की बात कही थी.
अफगानिस्तान की मदद के लिए कोई प्रगति नहीं
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने एक बयान में अमेरिका से अपील करते हुए कहा है कि पिछले साल दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगान प्रतिबंधों के लिए मानवीय छूट पर सहमति बनी थी. लेकिन अफगानिस्तान को वित्तीय या फिर वाणिज्यिक सहायता देने में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं दिखी है. क्योंकि कई विदेशी बैंक प्रतिबंधों के उल्लंघन को लेकर चिंतित हैं. बयान में कहा गया है, ‘यहां महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा लंबे वक्त से चली आ रही है. अमेरिका के प्रतिबंध इसे और बढ़ा रहे हैं. अधिकारी भी लिंग भेदभाव को बढ़ा रहे हैं.’
अपनाए गए उपायों के मूल्यांकन की मांग
अफगानिस्तान में तबाही को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की बातों को दोहराते हुए विशेषज्ञों ने अनुरोध किया कि अपनाए गए एकतरफा उपाय का दोबारा मूल्यांकन करें और आवश्यक वित्तीय एवं मानवीय सहायता प्रदान करने के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करें. जनवरी के महीने में संयुक्त राष्ट्र ने किसी भी देश के लिए अब तक की सबसे बड़ी मानवीय सहायता देने का ऐलान किया था. जिसके तहत अफगानिस्तान के लोगों की मदद के लिए 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की जरूरत है. वैश्विक आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में ऐसे सबसे अधिक लोग अफगानिस्तान में हैं, जिन्हें तत्काल खाद्य सुरक्षा की जरूरत है. इस देश पर बीते साल अगस्त महीने में तालिबान ने कब्जा कर लिया था. जिसके बाद यहां पश्चिम समर्थित सरकार गिर गई. उसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान की विदेशी संपत्ति को फ्रीज कर दिया था.