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क्या रविंद्र सिंह भाटी BJP को छोड़ कर जा सकते हैं? इन तीन अनिर्बल नेताओं ने महादलों को हिला दिया…

by Nikhil

राजपूत समाज के बीच भाजपा के विरोध का सवाल उठता है, जब रविंद्र सिंह भाटी युवाओं की समर्थन में चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी लोकप्रियता और भाजपा के प्रति उनका समर्थन, चुनाव परिणाम को अनिश्चित बना रहा है। हालांकि, जितना भी उनका वोट हो, यह ज्ञात है कि वह भाजपा को ही जाएगा। राजपूत समाज के आदर्शों के साथ भाजपा के उम्मीदवार कैलाश चौधरी और कांग्रेस के उम्मीदवार उमेदाराम बेनीवाल के बीच काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा है। रविंद्र सिंह भाटी को मिलने वाले वोटों का विवेचन भाजपा के लिए एक चुनौती हो सकता है।

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर जनसभा को संबोधित किया। यह सीट न केवल भाजपा के बल्कि कांग्रेस के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसे 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में जीत मिली थी। वर्तमान सांसद और मंत्री कैलाश चौधरी को फिर से भाजपा ने चुनाव में प्रतिस्थापित किया है। लेकिन उनकी जीत के रास्ते में रविंद्र सिंह भाटी को माना जा रहा है, जो पहले भाजपा में थे। लेकिन जब उन्हें विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने बगावत की और विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की। अब वे लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव क्षेत्र के विशाल आकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विराट राजनीतिक अभियान के कारण उनकी चुनौती कठिन हो सकती है।

रविंद्र सिंह भाटी ने अपनी लोकप्रियता के आधार पर राजपूत समाज और युवाओं के बीच चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उनकी जीत की स्थिति को अनिश्चित कहा जा सकता है। वे जितना भी वोट प्राप्त करेंगे, वह भाजपा के ही होंगे। भाजपा उम्मीदवार कैलाश चौधरी और कांग्रेस उम्मीदवार उमेदाराम बेनीवाल के बीच नजदीकी मुकाबले में, रविंद्र सिंह भाटी को मिलने वाले प्रत्येक वोट भाजपा के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं।

भाटी के प्रति इस दुःखद परिस्थिति को देखते हुए भाजपा नेता मदन राठौड़ ने उनके समर्थन किया, जिन्होंने पहले भाजपा में सेवा की थी। वह कहते हैं कि रविंद्र सिंह भाटी उनके ही नेता थे, जो बिगड़कर भाजपा को छोड़कर दूसरी दिशा में चले गए। हालांकि, उनके अनुसार, भाटी की जीत की सम्भावना बहुत कम है। उन्हें यह आशा है कि भाजपा राजस्थान के सभी 25 सीटों पर जीत हासिल कर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बाड़मेर के विकास की बात कही, जो कच्छ की तरह विकसित किया जाएगा, और इससे उनकी चुनौती पर असर हो सकता है।