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कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले, जब नेमप्‍लेट विवाद में उलझा था, तब रामदेव की एंट्री से सम्बंधित क्या बातें कही गईं, उसे जानने के लिए।

by Nikhil

नेमप्लेट विवाद में योग गुरु बाबा रामदेव ने भी अपनी दिलचस्पी जताई हैं। उन्होंने पूछा है कि अगर मुझे अपनी पहचान बताने में कोई चिंता नहीं है, तो फिर दूसरों को क्यों हो सकती है? उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ यात्रा के मार्ग पर रेस्तरां मालिकों को अपने नाम लिखने के निर्देश जारी किए हैं, जिसके विरोध में विवाद प्रारंभ हो गया है। इसे लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भेदभावपूर्ण और साम्प्रदायिक बताया है, जवाब में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा अन्य राज्यों में इसे लागू करने की मांग की जा रही है।

कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों पर ‘नेमप्लेट’ के मुद्दे पर योग गुरु बाबा रामदेव ने इस तरह बताया, “अगर मुझे अपनी पहचान बताने में कोई परेशानी नहीं है, तो फिर दूसरों को अपनी पहचान उजागर करने में क्यों होनी चाहिए? सबको अपने नाम पर गर्व करना चाहिए। किसी को अपना नाम छुपाने की जरूरत नहीं है, महत्वपूर्ण है कि हमारा काम पवित्र हो। अगर हमारे काम में पवित्रता है, तो हमारी धर्म या समुदाय से कोई फर्क नहीं पड़ता.”

उत्तराखंड के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटल, ढाबे, ठेले और भोजनालयों को अपने मालिकों या कार्यकर्ताओं के नाम से प्रदर्शित करने के आदेश दिए हैं। इसके कुछ दिन बाद शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में ऐसे ही आदेश को मंजूरी दी है। मध्य प्रदेश में इंदौर-2 विधानसभा सीट से भाजपा विधायक रमेश मेंदोला ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर अपनी दुकान के बाहर अपने नाम का प्रदर्शन करने की मांग की है।