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ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए झारखंड की महिला किसान ने खोल ली जैविक खाद की दुकान

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झारखंड में जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है. राज्य सरकार के साथ-साथ यहां के किसान और राज्य में कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्थाएं भी किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर रही हैं और किसानों (Farmers) को प्रशिक्षण देकर जैविक खेती करा रही हैं. महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) के जरिए भी जैविक खेती को प्रमोट किया जा रहा है. इसके लिए महिला किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उन्हे जैविक खेती के फायदे, जैविक खाद बनाने की विधि बतायी जा रही है, इसके जरिए कई किसान लाभान्वित हो रहे हैं. रांची की एक महिला किसान ने तो जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जैविक खाद की दुकान ही खोल ली है. ओरमांझी प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव सदमा में यह दुकान खुला है.

सदमा गांव की सपना देवी बताता है कि उनके द्वारा जैविक खाद दुकान (Organic Manure Shop) खोलने पर सबसे बड़ा फायदा यह हुआ है कि वैसे किसान भी जैविक खेती करने लगे, जो खाद नहीं बना पाने के कारण जैविक खेती नहीं कर पाते थे उन किसानों को भी अब जैविक खाद रेडीमेड मिल जाने के कारण जैविक खेती करने में आसानी हो रही है. सपना देवी ने टीवी 9 को बताया कि उनके दुकान से उनके गांव और आसपास के गांवों के किसान खाद खरीद कर ले जाते हैं. इससे इलाके में जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है.

2017 से शुरू की खेती

सपना देवी बताती हैं कि पहले भी उनका परिवार खेती करता था, लेकिन वो लोग यूरिया डीएपी और केमिकल का इस्तेमाल करते थे, इसके बाद महिला समूह से जुड़ने पर उन्हें जैविक खेती की जानाकारी मिली. खेती में उनकी रूचि को देखते हुए उन्हें गांव का आजीविका कृषि मित्र बनाया गया. उन्हें खेती का प्रशिक्षण दिया गया, जो अभी भी समय-समय पर दिया जाता है. इसके बाद वह खुद भी गांव में समूह से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षण देती है. इसका फायदा यह हो रहा है कि वो महिलाएं भी अब खुद से जैविक खाद तैयार करके खेती कर रही है.

आठ एकड़ में खेती करती है सपना देवी

सपना देवी खुद भी आठ एकड़ में जैविक खेती करती है. फिलहाल उनके खेत में लौकी, करेला और नेनुआ लगे हुए, जिन्हें बेचकर महीने में वो लाखों रुपए कमा रही है. उनके पूरे पांच एकड़ खेत में ड्रिप इरिगेशन और मल्चिंग लगा हुआ है. सपना देवी बताती हैं कि समूह की दीदियों नें मिलकर एक उत्पादक समूह भी बनाया जिसके जरिए वो अपने उत्पाद बेचती हैं. हालांकि अभी तक एफपीओ नहीं बन पाया है. उन्होंने कहा कि उनके जैविक खाद की दुकान खोलने के बाद कई ऐसे नए किसान हैं जो जैविक खेती से जुड़ रहे हैं. केमिकल खाद के मुकाबले जैविक खाद सस्ता पड़ता है औऱ पैदावार भी अच्छी होती है.

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