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एस. जयशंकर ने भारतीय कूटनीति में नई दिशा दी, सफलता का श्रेय परिवार की प्रेरणा को

by Suyash Shukla

नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारतीय कूटनीति में महत्वपूर्ण बदलाव किया है और इसे एक नई दिशा दी है। 70 साल के जयशंकर को उनकी बेबाकी और सवालों का चतुराई से जवाब देने की कला के लिए जाना जाता है। उनके पिता कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम, जो एक प्रसिद्ध नौकरशाह थे, भारत के परमाणु हथियार कार्यक्रम के सबसे बड़े समर्थकों में से एक थे। उनके बेटे, ध्रुव जयशंकर, वॉशिंगटन डीसी में एक थिंक-टैंक चलाते हैं। एस. जयशंकर ने भारतीय विदेश नीति को अधिक आक्रामक और प्रभावशाली बनाया है। जयशंकर ने एक बार अपने पिता से पीएचडी करने की इच्छा जाहिर की थी, जिसके बाद उनके पिता ने सवाल किया था, “क्या बनना चाहते हो… ऐसा या वैसा?” यह सवाल आज हकीकत बन चुका है क्योंकि जयशंकर ने अपनी कड़ी मेहनत और दूरदर्शिता से दोनों क्षेत्रों में सफलता हासिल की है। फाइनेंशियल टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में, उन्होंने इस घटना का जिक्र किया और यह दर्शाया कि उनकी सफलता उनके परिवार की कड़ी सोच और प्रेरणा का परिणाम है।