नई दिल्ली
आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराए गए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला (87) को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने चार साल के कारावास की सजा सुनाई है। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विकास ढल शुक्रवार को निर्णय सुनाते हुए चौटाला पर 50 लाख रुपये का भारी जुर्माना लगाते हुए उसकी सिरसा, पंचकूला, गुरुग्राम और असोला की संपत्तियों को सीज करने का आदेश दिया है।
अदालत ने इसके साथ ही जुर्माना राशि में पांच लाख रुपये CBI को देने का आदेश दिया। अदालत ने कोर्टरूम से ही चौटाला को हिरासत में लेने का आदेश दिया। अदालत ने मामले में अपील याचिका दायर करने के लिए दस दिन की मोहलत देने की चौटाला के अधिवक्ता की अपील को ठुकराते हुए कहा कि आप हाईकोर्ट जाइए।
अदालत ने बृहस्पतिवार को मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद मामले की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी थी।अदालत ने 21 मई को 6.09 करोड़ रुपये की संपत्ति से जुड़े मामले में चौटाला को दोषी करार दिया था।
मामले की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने 26 मार्च 2010 को चौटाला के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। एजेंसी ने आरोप लगाया था कि वर्ष 1993 और 2006 के बीच सात बार के विधायक रहे चौटाला ने 6.09 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं अधिक थी।
हालांकि, बचाव पक्ष ने मामले को राजनीतिक दुर्भावना के तहत दर्ज केस के रूप में खारिज कर दिया था। वर्ष 2019 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत नई दिल्ली, पंचकुला और सिरसा में उनके फ्लैट और भूखंडों सहित 3.68 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की थी और मुकदमा दर्ज किया था।
ओम प्रकाश चौटाला को वर्ष 2013 के जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिया था। चौटाला को सात साल की जेल और आपराधिक साजिश के आरोप में 10 साल की सजा सुनाई गई थी। चौटाला इस मामले में दो जुलाई 2021 को ही तिहाड़ जेल से बाहर आया थे और अब उसे फिर जेल में रहना होगा।
सजा पर जिरह के दौरान चौटाला ने उम्र और दिव्यांगता के आधार पर सजा में रियायत देने की मांग की थी। उन्होंने दलील दी थी कि वे 90 प्रतिशत दिव्यांग हैं और खुद से अपना कपड़ा भी नहीं पहन सकते हैं। इससे जुड़े प्रमाण पत्र भी उन्होंने अदालत में पेश किए थे। वहीं, CBI ने दलील दी कि किसी दोषी की सजा में रियायत देने का आधार उम्र नहीं हो सकती है।
CBI ने कहा था कि दोषी को कानून के तहत सजा दी जानी चाहिए।इतना ही नहीं चौटाला एक बड़े नेता हैं और अगर भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें सजा में रियायत दी जाती है तो जनता में एक गलत संदेश जाएगा। अदालत को इस तरह के मामले में सख्त सजा देकर मिसाल कायम करना चाहिए।