तीन नए आपराधिक कानूनों के प्रभावी होने के बाद, गृहमंत्री अमित शाह ने मीडिया से बातचीत की और इस नए कानूनी परिवर्तन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस मौके पर यह बयान दिया कि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून अब पूरी तरह से समाप्त हो चुके हैं। अब नए कानूनों के अंतर्गत, आरोपी को सजा देने की जगह, पीड़ित पर न्याय देने पर जोर दिया जा रहा है।
अमित शाह ने बताया कि भारतीय संसद ने नए कानून बनाए हैं, जिनसे ट्रायल में सुधार आएगा। पुरानी धाराओं को हटाकर नई धाराओं को जोड़ा गया है, जिससे अब दंड की बजाय न्याय पर जोर दिया गया है। भारतीय कानून के अनुसार, पहले भारतीय दंड संहिता के अनुसार हर अपराधी को सजा मिलती थी, जो 1860 में बनी थी। अब भारतीय न्याय संहिता के तहत सजा मिलेगी, जिसको पिछले साल ही संसद ने मंजूरी दी। भारतीय दंड संहिता (IPC) में पहले 511 धाराएं थीं, जबकि अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 358 धाराएं हैं। आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में पहले 484 धाराएं थीं, जबकि अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में 531 धाराएं हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम में पहले 1872 में 167 प्रावधान थे, जबकि अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में 170 प्रावधान हैं।
तीन नए आपराधिक कानूनों पर विचार करते हुए, गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, “मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देना चाहूंगा कि आज से लगभग 77 साल बाद हमारी अपराधी न्याय प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी हो गई है। यह हमारे भारतीय मूल्यों के अनुसार काम करेगी। 75 साल बाद इन कानूनों पर चर्चा की गई और आज जब ये कानून प्रभावी हो रहे हैं, तो ब्रिटिश काल के कानून पूरी तरह से समाप्त हो रहे हैं। अब भारतीय संसद में बने नियम प्रभावी होंगे। अब दंड की जगह न्याय मिलेगा। अब तेजी से सुनवाई होगी और जल्दी न्याय मिलेगा। पहले सिर्फ पुलिस के अधिकारों का ही समर्थन होता था, लेकिन अब पीड़ित और शिकायतकर्ता के अधिकारों की भी सुरक्षा होगी।”