इस चुनावी संघर्ष में, यूपी की एक महत्वपूर्ण सीट पर तीन उम्मीदवारों की उपस्थिति ने राजनीतिक दलों के बीच जोरदार टक्कर का माहौल बना दिया है। सैनी, बर्क, और शेखजादा नामों के इस त्रिमुखी युद्ध में, एक प्रतिस्पर्धी अपने विचारों, कार्यक्रमों, और नेतृत्व के साथ लोगों के दिलों को जीतने के लिए प्रयासरत है। क्या ये तीनों में से कोई एक शहजादा बन पाएगा, जो इस सीट पर अपने प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़कर आगे निकलेगा, या फिर यह मैदान किसी और के लिए राजनीतिक सिक्का पलट देगा? चुनावी ताकत का सच्चा परिचय इस महायुद्ध में निकलेगा।
यूपी की संभल लोकसभा सीट पर सपा और भाजपा के बीच एक महत्वपूर्ण चुनावी जंग लड़ रहे हैं। इस सीट पर बसपा भी महसूस की जा रही है, और सैनी, बर्क, और शेखजादा इस मुकाबले के मुख्य उम्मीदवार हैं। इन उम्मीदवारों में से किसी एक को यहां विजयी बनने का इंतजार है। यहां चुनावी रणनीति और समीकरणों का अहम भूमिका होगा, जहां जातीय और सामाजिक प्रकृतियां भी महत्वपूर्ण होंगी। इस चुनाव के नतीजे से पहले, संभल लोकसभा सीट पर राजनीतिक समीकरण की गहराई को समझना महत्वपूर्ण होगा।
आधे से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले संभल में भाजपा और सपा के बीच कड़ा मुकाबला है। हां, यदि बसपा उम्मीदवार मुस्लिम वोटों में तगड़ी सेंध लगा गए और उनका परंपरागत दलित वोटर भी उन्हें पूरी शिद्दत से वोट कर गया, तो उनके कच्चे समीकरण को पक्का होते देर नहीं लगेगी।
संभल सीट पर इस बार का चुनाव बेहद रोमांचक होने की उम्मीद है। कारण, यहां से पिछला चुनाव जीते पुराने दिग्गज डॉ. शफीकुर्रहमान वर्क के निधन के बाद सपा ने उनके पोते जियाउर्रहमान वर्क पर दांव लगाया है। छोटे बर्क कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और अब बड़े होने की चाह में एड़ी-चोटी का जोर लगाए हैं।
उधर, भाजपा ने परमेश्वर लाल सैनी पर और बसपा ने पूर्व विधायक सौलत अली पर दांव लगाया है। सौलत अली शेखजादा बिरादरी से आते हैं।
संभल के सियासी शतरंज की बिसात पर मुद्दे गौण हैं। यहां पूरा गुणा-भाग जातियों का है। हालांकि, कई जगह रोजगार और कारोबार का मुद्दा भी आता है, पर उससे ऊपर जाति, धर्म के समीकरण ही हैं।