देवीपाटन का मैदान सियासत की नर्सरी बन गया है। चारों संसदीय सीटों पर सभी दलों ने युवा दांव चला है। चार युवाओं की कदमताल से राजनीति जवां हो गई है। मंडल की सियासी जमीं रोचकता के साथ ही रोमांचक दौर से गुजर रही है।
देवीपाटन मंडल के चुनावी समर में युवा कदमों की चाल से जहां सियासत के जवां रंग बिखरे हैं, वहीं अनुभवी राजनीतिज्ञों की कदमताल से सियासी संदेश भी मिल रहे हैं। चारों संसदीय सीट में तीन पर सियासत की नर्सरी खिली हुई है। राजनीतिक दलों ने समीकरण साधने या फिर राजनीतिक गोटियां फिट करने के लिए प्रत्याशी तय किए हों, लेकिन युवा राजनीति का आगाज हो चुका है।
अंजाम के लिए पर्दे के पीछे से सियासी अखाड़े के माहिर खिलाड़ी भी दम दिखा रहे हैं। इससे मंडल की सियासी जमीं रोचकता के साथ ही रोमांचक दौर से गुजर रही है। आम आदमी भी सधी निगाहों से सियासी पैंतरों को देख रहा है और अपने मन ही तानाबाना बुन रहा है।
देश के सबसे बड़े लोकतांत्रिक चुनाव की शुरुआत से ही मंडल की कैसरगंज सीट चर्चा में रही। पहले प्रमुख दलों की ओर से दावेदार तय करने में खामोशी चर्चा में रही। उसके बाद भाजपा ने युवा प्रत्याशी तय किया। सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करन भूषण सिंह को मैदान में उतार कर एक नए युग की शुरुआत की।
यह अलग बात है कि सपा व बसपा ने भी कड़ी घेराबंदी की, लेकिन युवा राजनीति के आगाज से सियासी अंदाज भी बदला – बदला दिख रहा है। अब यह सीट सियासत की नई लहरों से झूम रही है। इसके साथ ही गोंडा संसदीय सीट में भी युवा शक्ति कदम बढ़ा रही है। यह अलग बात है कि युवा के साथ नारी शक्ति भी दम दिखा रही है।