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श्रीनगर के लाल चौक पर कभी होती थी पत्थरबाजी और बरसती थीं गोलियां… इन दिनों जम्हूरियत का जश्न

by Nikhil

श्रीनगर के लाल चौक पर कभी गूंजती थीं विद्रोह की आवाजें और उमड़ता था लोगों का आंदोलन। लेकिन आज, वही चौक ध्वनिमय हो रही है, जम्हूरियत की जश्न मनाते हुए। यहाँ लोग नहीं तोड़ते गोलियां, बल्कि गाते हैं संविधान के गान। रंग-बिरंगी झंडियाँ लहरा रही हैं, और लोग साथ मिलकर बना रहे हैं नए-नए भविष्य की चित्रित कल्पनाएं। यह है वह नया श्रीनगर, जहाँ लाल चौक अब जम्हूरियत की उत्सव भूमि बन चुकी है।

अब यहां की दिनचर्या नये रंगों में सजी है। जब इस लाल चौक में बुधवार की सुबह को आप आएं, तो आपको वहां लोकतंत्र की ध्वनि सुनाई देगी। खौफ की जगह अब यहाँ लोकतंत्र की बात हो रही है। एक नये सवेरे की ताजगी के साथ, लाल चौक में एक महौल मेले की तरह गूंज रहा है। ढोल-नगाड़ों की धुन पर, राजनीतिक चर्चाओं का मेला देखने को मिलेगा। और इस खूबसूरत नए चेहरे के शहर में बातें करने के लिए, यहाँ सैकड़ों युवा और स्थानीय लोग इकट्ठा होंगे।

 

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के युवा नेता वहीद रहमान पर्रा ने अपने नामांकन के लिए पार्टी के मुख्यालय से रविवार को निकला। उनके साथ उनके समर्थकों का एक बड़ा जुलूस भी था। ढोल-नगाड़ों की धुन पर नृत्य करते हुए, समर्थकों ने पैदल मार्च किया और लाल चौक के घंटा घर की ओर बढ़ा। वहाँ से उन्होंने डीसी कार्यालय में अपने परिचय पत्र जमा किए। इस समय, वहीद ने तिरंगे के नीचे रुककर समर्थकों को संबोधित किया। पूरे लाल चौक में पार्टी के झंडे लहरा रहे थे, और कार्यकर्ता उनके साथ थे।

बता दें कि यह वही पीडीपी है, जिसने अनुच्छेद 370 हटाने के समय कहा था कि यहां देश का तिरंगा उठाने के लिए कोई नहीं मिलेगा और आज वही जम्हूरियत का जश्न मनाती हुई लाल चौक में दिखी। इसी बीच वहीद ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट कर चुप्पी तोड़ी। इससे पहले उन्होंने आखिरी बार 21 नवंबर, 2020 को ट्वीट किया था। बुधवार को उन्होंने घंटा घर की एक तस्वीर पोस्ट कर लिखा, हर कश्मीरी की तरह। घंटा घर – लाल चौक, श्रीनगर, चुपचाप अपने चारों ओर होने वाली हर चीज का गवाह बनता है।

लाल चौक पर जब जम्हूरियत का जश्न मनाया जा रहा था, उस समय पार्टी कार्यकर्ताओं, आम नागरिकों, पर्यटकों सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। एक स्थानीय दुकानदार बशीर अहमद ने कहा, आज श्रीनगर में एक बदलाव की लहर महसूस की जा सकती है। यहां कभी हम पत्थरबाजी, आंसू गैस के गोले, प्रदर्शन मार्च आदि देखा करते थे, आज राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही है। यह एक सुखद बदलाव है।

सैलानियों ने अमन की कामना की जब वे कोलकाता के प्रसून दा के साथ घंटा घर को देखने पहुंचे। प्रसून ने कहा, “हमेशा सुनते आए हैं कि घंटा घर और लाल चौक गलत सुर्खियों में हैं, लेकिन आजकल की दृश्य काफी बदल गई है। एक विकसित घंटाघर देखने के बाद, मुझे खुशी हुई कि हम जम्हूरियत के जश्न के गवाह बने। दिल्ली में भारत के लिए इंडिया गेट केंद्र है, वैसे ही कश्मीर में आने वाले सैलानियों के लिए घंटाघर एक आकर्षण का केंद्र बन चुका है। हम प्रार्थना करते हैं कि ऐसे ही अमन और शांति का माहौल बना रहे।

 

 

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