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यूक्रेन क्राइसिस और बढ़ती महंगाई से रिस्की डेट में आएगा 60 हजार करोड़ का उछाल

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रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine crisis) की वजह से बढ़ी हुई महंगाई ब्याज दर को लेकर रिजर्व बैंक के सख्त रुख और कमजोर रुपए जैसे कारणों से जोखिम वाले कर्ज (Risky debt) का आकार चालू वित्त वर्ष में 60,000 करोड़ रुपए बढ़ जाने की आशंका है. रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने सोमवार को अपनी एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी. इसके मुताबिक, अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद इन समस्याओं के कारण वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक जोखिम वाले कर्ज की मात्रा 6.9 लाख करोड़ रुपए हो जाएगी. उसका कहना है कि अगर रूस-यूक्रेन जंग नहीं छिड़ी रहती, तो चालू वित्त वर्ष में जोखिम वाले कर्ज का अनुपात 6.3 लाख करोड़ रुपए ही रहता. जोखिम वाले कर्ज से रेटिंग एजेंसी का आशय कंपनियों के परिचालन लाभ के बरक्स लिए गए पांच गुना से अधिक कर्ज से है.

रेटिंग एजेंसी ने 1,385 कंपनियों के विश्लेषण के आधार पर यह अनुमान जताया है. ऐसी स्थिति में उसने युद्ध के बाद के परिदृश्य में कंपनियों के लिए राजस्व वृद्धि अनुमान में कटौती करने के साथ ही जिंसों की ऊंची कीमतों के कारण लाभ मार्जिन में कमी का भी अनुमान लगाया है. रिपोर्ट कहती है कि चालू वित्त वर्ष में ब्याज दरों में एक फीसदी तक की वृद्धि और रुपए में 1-10 फीसदी की गिरावट आने से मार्जिन पर दबाव बढ़ सकता है.

ब्याज दरों में मजबूती का होगा असर

एजेंसी ने कहा कि जिंसों की कीमतों में तेजी और ब्याज दरों में मजबूती का कंपनियों और विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय इकाइयों पर असमान असर पड़ सकता है. बड़े आकार वाली कंपनियां बहीखाते की अच्छी स्थिति, वित्तपोषण और मूल्य निर्धारण शक्ति तक आसान पहुंच के कारण लचीलापन दिखा पाएंगी, वहीं छोटी और मझोली कंपनियों को इन मुश्किलों से जूझना पड़ सकता है.

(भाषा)

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