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प्राकृतिक कारण: शुष्क वायु, कटिबंधित परिस्थितियाँ और ऊष्मागती संदीग्धता या फिर बिजली गिरने के कारण आग प्रारंभ हो सकती है

by Nikhil

उत्तराखंड के पहाड़ों में अचानक तेज़ी से फैल रही आग का समाचार समाज में चिंता और अस्तव्यस्ति का कारण बन गया है। बीते 24 घंटों में 31 स्थानों पर नए आग लगने की घटनाओं की रिपोर्ट आ रही है। यहाँ तक कि शुक्रवार को भी अधिकतम मामलों में आग ने आरक्षित वनों को निशाना बनाया है। जंगल में आग की तेज़ रफ़्तार को रोकने के लिए वन विभाग का प्रयास भी असफल साबित हो रहा है। जहाँ एक स्थान पर आग बुझती है, वहाँ से दूसरी जगह पर आग की लपटें फैलने लगती हैं, जिससे अधिकतर अवलोकन और नियंत्रण मुश्किल हो जाता है।
उत्तराखंड के पहाड़ों में आग ने अब तक कई जगहों पर अपनी भयंकर रूप दिखा दिया है। सड़कों पर धुआं छान रहा है और लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। यह स्थिति आसपास रहने वाले लोगों में डरावना माहौल पैदा कर रही है। नैनीताल की हाईकोर्ट कॉलोनी तक आग पहुंच चुकी है, और वन संरक्षक निशांत वर्मा के अनुसार, पिछले 24 घंटों में 29 आरक्षित वनों में और 2 सिविल या वन पंचायतों में आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं। इनमें कुल 33.34 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हो गए हैं, हालांकि किसी भी मानव नुकसान की रिपोर्ट नहीं आई है।

गढ़वाल मंडल के टिहरी, पौड़ी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिले के जंगलों में आग लगातार बढ़ रही है। चीड़ के जंगलों के कारण, आग तेजी से फैल रही है। वन कर्मियों की कड़ी मेहनत के बावजूद, आग नियंत्रित नहीं हो पा रही है। एक जगह पर आग बुझ जाती है, लेकिन दूसरी जगह पर फिर से उग जाती है। आग ने बड़े पैमाने पर वनसंपदा को हानि पहुंचाई है, साथ ही पशुओं के लिए चारे की कमी भी हो रही है।

इस साल बारिश की कमी और अधिक गर्मी के कारण आग की भयंकरता बढ़ गई है। नैनीताल और आसपास के जंगलों में भीषण आग लगी हुई है। जंगल में आग का काबू पाने के लिए वन और डमकल विभाग की टीमें कई स्थानों पर काम कर रही हैं, लेकिन आग को पूरी तरह से नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा है। अब हेलीकॉप्टर की मदद भी ली जा रही है।

नैनीताल के निकट भवाली दुगई स्टेट से लेकर बर्मा टोप के जंगल तक आग फैल चुकी है। इसके अलावा, नैनीताल के हाईकोर्ट कॉलोनी के पास और लड़ियाकांटा इलाके के जंगल में भी आग की लपटें हैं। तेज हवाओं के कारण आग को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल हो रहा है, और इसी के कारण सेना की मदद का विचार किया जा रहा है।
नैनीताल के लड़ियाकाटा, पाइंस, गेठिया, बलदियाखान, एरीज, बारा पत्थर इत्यादि क्षेत्रों में जंगलों में लगी आग को दमकल और वन विभाग की टीमें काबू करने की कोशिश कर रही हैं। इसी बीच, कुमाऊं में भी जंगलों में आग की चपेट महसूस की जा रही है।

चमोली जिले के कई क्षेत्रों में फिर से आग बढ़ी है। शुक्रवार को जिले के कई स्थानों पर वनाग्नि की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे बड़ी मात्रा में जंगली संपदा को नुकसान पहुंचा है। कुछ स्थानों पर जंगल में तेजी से फैली आग ने चीड़ के जंगलों को जला दिया है। सुबह इंजीनियरिंग कॉलेज के पास भी आग की चपेट महसूस की गई है। इसके बाद, फायर सर्विस गोपेश्वर की टीम ने मौके पर पहुंचकर आग को नियंत्रित करने के लिए काम किया है।

दरअसल, उत्तराखंड में प्रतिवर्ष जंगलों में आग लगने की खबरें सामने आती रहती हैं। इसकी मुख्य वजह सर्दी के मौसम में कम बरसात और बर्फबारी होती है। यह बरसात की कमी के कारण जंगलों में पानी की कमी होती है, जिससे आग फैलने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, चीड़ के जंगलों में आग फैलने की आशंका भी रहती है, क्योंकि चीड़ की पत्तियों और छाल से निकलने वाले रसायन और रेजिन आसानी से आग के लिए ज्वलनशील होते हैं।

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