शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया है कि देश में खुली जेलों के क्षेत्र को कम करने का प्रयास नहीं किया जाएगा। अर्ध खुली या खुली जेलों में कैदियों को दिन में अपने जीविकोपार्जन के लिए बाहर काम करने की अनुमति दी जाती है। इसके बाद शाम को कैदी जेल में चले जाते हैं। खुली जेलों का उद्देश्य कैदियों के मानसिक तनाव को करना है। इसके माध्यम से कैदी जेल के बाहर समाज से जुड़ते हैं। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता वकील के. परमेश्वर की दलीलें सुनीं। बता दें कि के. परमेश्वर जेलों और कैदियों से संबंधित मामले में न्याय मित्र के रूप में मदद करते हैं। परमेश्वर ने अदालत को बताया कि केंद्र द्वारा एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है। ड्राफ्ट में खुली जेलों को ‘खुले सुधार संस्थान’ नाम दिया गया था। शीर्ष अदालत ने खुले सुधार संस्थानों के संबंध में गृह मंत्रालय को हालिया घटनाक्रम पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीठ को बताया गया कि जयपुर में सांगानेर खुले कैंप का क्षेत्र कम करने की कोशिश हो रही है। अदालत ने निर्देश दिया है कि खुले कैंप, संस्थान और जेलों के क्षेत्र को कम नहीं किया जाएगा।
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