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खुली जेलों का क्षेत्र कम न करने का ‘सुप्रीम’ निर्देश; तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले पर होगी सुनवाई

by Nikhil

शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया है कि देश में खुली जेलों के क्षेत्र को कम करने का प्रयास नहीं किया जाएगा। अर्ध खुली या खुली जेलों में कैदियों को दिन में अपने जीविकोपार्जन के लिए बाहर काम करने की अनुमति दी जाती है। इसके बाद शाम को कैदी जेल में चले जाते हैं। खुली जेलों का उद्देश्य कैदियों के मानसिक तनाव को करना है। इसके माध्यम से कैदी जेल के बाहर समाज से जुड़ते हैं। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता वकील के. परमेश्वर की दलीलें सुनीं। बता दें कि के. परमेश्वर जेलों और कैदियों से संबंधित मामले में न्याय मित्र के रूप में मदद करते हैं। परमेश्वर ने अदालत को बताया कि केंद्र द्वारा एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है। ड्राफ्ट में खुली जेलों को ‘खुले सुधार संस्थान’ नाम दिया गया था।  शीर्ष अदालत ने खुले सुधार संस्थानों के संबंध में गृह मंत्रालय को हालिया घटनाक्रम पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीठ को बताया गया कि जयपुर में सांगानेर खुले कैंप का क्षेत्र कम करने की कोशिश हो रही है। अदालत ने निर्देश दिया है कि खुले कैंप, संस्थान और जेलों के क्षेत्र को कम नहीं किया जाएगा।

तेलंगाना हाईकोर्ट के फैसले पर होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में तेलंगाना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई होगी। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने स्थानीय बार एसोसिएशन में नामांकित वकीलों को ही राज्य में सिविल जज की परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी थी। न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने वकील वी राकेश रेड्डी की याचिका पर एक नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही अदालत ने वी राकेश रेड्डी को तेलंगाना के सिविल जज की परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी है। याचिकाकर्ता को अपना आवेदन ऑनलाइन अपलोड करने के लिए कहा गया है। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया है कि आवेदन को अस्वीकार नहीं किया जाएगा। बता दें कि तेलंगाना राज्य न्यायिक सेवा नियम 2023 के अनुसार परीक्षा में शामिल होने वाले आवेदनकर्ता को अनिवार्य रूप से स्थानीय बार एसोसिएशन का सदस्य होना जरूरी है।

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