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कलेक्टर और एसपी के दफ्तरों के आग लगने से, छत्तीसगढ़ में सतनामी समाज में क्यों उफान पड़ा?

by Nikhil

बलौदाबाजार जिला अब तेजी से सुलग रहा है। सतनामी समाज का आक्रोश अब हिंसा के रूप में उभर रहा है। धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने के विरोध में, सोमवार को सतनामी समाज ने उत्तेजित होकर आंदोलन किया। इस आंदोलन के दौरान, वाहनों को आग में जलाया गया और कई सरकारी कार्यालयों में हंगामा मचाया गया। पुलिस अधिकारियों समेत कई लोगों को चोटें आई। इस घटना के बाद, जिला प्रशासन ने आईपीसी की धारा-144 लागू कर दी है। मुख्यमंत्री ने इस मामले की जानकारी लेकर रिपोर्ट मांगी है।

दमकल की गाड़ी में भी आग लगा दी गई है। सोशल मीडिया पर इस हिंसक विरोध प्रदर्शन की कई वीडियो सामने आई हैं, जिनमें देखा जा रहा है कि प्रदर्शन स्थल पर बहुत से वाहनों को आग में जलाया गया है और जिलाधिकारी कार्यालय की इमारत में भी आग लगी है। वीडियो में दिखाया जा रहा है कि प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी आमने-सामने आ गए हैं और झड़प कर रहे हैं। पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है और सतनामी समुदाय ने मांग की है कि इस मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी करे। बलौदाबाजार क्षेत्र में धारा 144 लागू की गई है और इस दौरान नगरपालिका बलौदाबाजार सीमा क्षेत्र में रैली, जुलूस पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया है।

इस पूरे मामले का आरंभ वास्तव में 15 और 16 मई की दरमियानी रात को हुआ था, जब कुछ अज्ञात लोग बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी धाम में स्थित पवित्र अमर गुफा में सतनामी समाज द्वारा पूजे जाने वाले ‘जैतखंभ’ में तोड़फोड़ कर दी थी। सतनामी समाज इसे एक पवित्र प्रतीक के रूप में पूजता रहा है। जब समुदाय को इस अपमान का पता चला, तो वह विरोध प्रदर्शन करने की ओर मोड़ लिया, जो सोमवार को हिंसा के रूप में प्रकट हुआ।

सतनाम पंथ की स्थापना छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध संत बाबा घासीदास ने की थी। राज्य की अनुसूचित जातियों में बड़ी संख्या सतनामी समाज के लोगों की है, जो यहाँ के प्रभावशाली समाजों में से एक हैं। सतनामी भक्त वेशभूषा, उचित तरीके से पैसा कमाना और किसी भी तरह का अन्याय या अत्याचार सहन नहीं करने के मूल्यों को अपनाते हैं।

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