दमकल विभाग के अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइटों पर आग लगने की घटनाएं गर्मी के साथ बढ़ती हैं। इस परिस्थिति के समय, निकटवर्ती दमकल केंद्रों को अधिक सतर्क रहने के लिए कहा गया है। दमकल विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कूड़े के पहाड़ में ज्वलनशील गैसें बन जाती हैं, जिसमें मीथेन की मात्रा अधिक होती है। इस तरह के मौसम और तेज गर्मी से यहाँ आग लग जाने का खतरा बढ़ जाता है, जिसे हवा के कारण तेजी से फैलने का खतरा होता है। कूड़े के पहाड़ की ऊँचाई के कारण, इसमें आग को काबू में लाना काफी कठिन होता है। वर्ष 2022 में लगी आग को काबू में पाने में कई दिन लग गए थे, लेकिन अब एनजीटी ने सभी लैंडफिल साइटों की ऊँचाई को तेजी से कम करने के निर्देश जारी किए हैं।
दमकल विभाग के अधिकारियों द्वारा बताया गया है कि गर्मियों में दिल्ली की तीन लैंडफिल साइटों पर आग लगने की घटनाएँ बढ़ जाती हैं। इस परिस्थिति में, वहां के निकटवर्ती दमकल केंद्रों को अधिक सतर्क रहने के लिए कहा गया है। गाजीपुर लैंडफिल साइट के लिए दल्लूपुरा दमकल केंद्र, भलस्वा के लिए जहांगीरपुरी दमकल केंद्र और ओखला लैंडफिल साइट पर ओखला फेज-1 के दमकल केंद्रों पर गाड़ियाँ 24 घंटे तैनात रहती हैं, जिनका उपयोग आग से निपटने के लिए किया जाता है।
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग की घटनाओं का विवरण:
– 2022 में आग छह बार लगी।
– 2021 में आग चार बार लगी।
– 2020 में आग आठ बार लगी।
– 2019 में आग छह बार लगी।
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर 32 ट्रॉमेल मशीनों का स्थापना किया गया है, जो कूड़े की छंटाई के लिए उपयोग किया जा रहा है। एनजीटी ने आदेश जारी किया है कि कूड़े के ढेर की ऊँचाई को कम किया जाए, जिसके लिए जेसीबी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। संसाधित अपशिष्ट को ट्रकों में लोड करके यहाँ से लेकर जाने का काम भी तेज किया गया है।
मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने निगम अधिकारियों के साथ सुबह गाजीपुर लैंडफिल साइट का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को तेजी से कूड़े को संसाधित करने का निर्देश भी दिया।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पर्यावरण व वन विभाग के प्रधान सचिव से गाजीपुर लैंडफिल साइट पर आग लगने की पूरी रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर देने के लिए कहा है। उन्होंने पिछले साल में लगी आग को संज्ञान में लेते हुए अधिकारियों को फिर से आग न लगे इसके लिए कई गाइडलाइंस का पालन करने का निर्देश दिया था।