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अमेठी में प्रियंका गांधी की मिमिक्री क्यों कर रही हैं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी?

by Nikhil

14 सीटों पर 20 मई को मतदान होगा। इसमें से 2019 में रायबरेली को छोड़कर 13 सीटें भाजपा के पास थीं। 14 सीटों में 4 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और सभी चारों सीट पर कांटे की लड़ाई चल रही है।

पंजाब के ब्राह्मण किशोरी लाल शर्मा को अमेठी में गजब का भरोसा हो गया है। मुस्कराकर कहते हैं कि भाईसाहब अब तो बस चार जून का इंतजार है। ओंकार शुक्ला कहते हैं कि काहे घबरा रहे हैं, बस 17 दिन की बात है। गौरीगंज में कभी सिंह के लिए प्रचार करने वाले अमित सिंह ने कहा कि भाईसाहब पहले तो नहीं लग रहा था, लेकिन अब कांटे की लड़ाई है। अमेठी के इतिहास में पहली बार ठाकुर (25 फीसदी से अधिक) और ब्राह्मण (लगभग) साथ आ गया है। इसलिए कुछ नहीं कह सकते। मुंशीगज में दिनेश मौर्या पान की दुकान पर मिले एक सज्जन कहते हैं कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अभी से प्रियंका गांधी की मिमिक्री कर रही हैं।

स्मृति ईरानी चुनाव प्रचार के आखिरी दिन रोड-शो में व्यस्त थीं। बात नहीं हो पाई। लेकिन भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि लड़ाई जोरदार है। 2019 वाली बात नहीं है। तब तो मुकाबले में राहुल गांधी थे। स्मृति ईरानी मजबूत उम्मीदवार हैं। जबकि कांग्रेस का उम्मीदवार तो नेहरु-गांधी परिवार का खैर ख्वाह है।

भाजपा-कांग्रेस के दिग्गजों में टक्कर
विश्वनाथ चतुर्वेदी वकील और कट्टर कांग्रेसी नेता हैं। राहुल गांधी के प्रचार में रायबरेली में डटे हैं। 43 डिग्री के तापमान में सिर पर तौलिया रखे, पसीना पोंछते संपर्क अभियान में जुटे हैं। वकालत करते हुए कहते हैं कि प्रियंका गांधी का संयम देखिए। प्रचार, व्यवहार, भाषा सब में आपको दिखेगा। पूरे स्वयंवर शुक्ल गांव में स्मृति ईरानी नुक्कड़ सभा में बोल रही थीं। दिनेश मौर्या हाथ में भाजपा का झंडा लिए थे। पूछने पर कहा कि पहले हम कांग्रेसी थे। ईरानी ने भाजपाई बना दिया।

क्या है 14 सीटों का हाल?
वरिष्ठ पत्रकार श्याम नारायण पांडे कहते हैं कि 14 सीटों पर 20 मई को मतदान होगा। इसमें से 2019 में रायबरेली को छोड़कर 13 सीटें भाजपा के पास थीं। 14 सीटों में 4 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं और सभी चारों सीट पर कांटे की लड़ाई चल रही है। 10 सामान्य सीटें हैं। 9 सीटों पर लड़ाई चल रही है। कांटे की है। ऐसा 2019 में नहीं था।

वरिष्ठ पत्रकार विजय उपाध्याय कहते हैं कि पहली बार ऐसा लग रहा है, जैसे चुनाव सरकार बनाम जनता के बीच में हो रहा हो। मुझे विपक्ष और उसके उम्मीदवार कम लड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। केतकी सिंह राजनीति विज्ञान की अध्यापक हैं। राजनीति में रुचि रखती हैं। केतकी सिंह कहती हैं कि वह कई बार सोचने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन समझ नहीं पा रही हैं कि क्या भाजपा से ठाकुर (राजपूत) मतदाता नाराज हैं? करणी सेना और महिपाल सिंह अमेठी में अपील करने क्यों आए? केतकी सिंह के मन में एक सवाल और है। वह कहती हैं कि जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं और प्रदेश भाजपा का अपना संगठन है, तो राज्य में केंद्रीय नेताओं का जरूरत से ज्यादा दखल क्यों है? केतकी बाराबंकी से हैं। अमेठी में मिली और बताया कि लड़ाई तो उनके बाराबंकी, फैजाबाद और उनके मायके इलाहाबाद में भी जोरदार चल रही है।

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