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अचूक रहा सपा के अवधेश का साइलेंट मैनेजमेंट, पलट गई बाजी अयोध्या में भाजपा की हार…

by Nikhil

लोकसभा चुनाव के दौरान अवधेश प्रसाद ने साइलेंट मैनेजमेंट की जो चाल चली, वह अचूक रही। चुनाव भर वह प्रदर्शन से बचते रहे। न कोई रोड-शो किया ना ही किसी तरह ही बयानबाजी की। बस चुपचाप जनसंपर्क और वन-टू-वन प्रचार में वह और उनकी टीम जुटी रही। इसी से भाजपा को उनकी किसी चाल का अंदाजा नहीं लग सका और बाजी मार ले गए।

चुनाव में भाजपा शुरू से ही आक्रामक मुद्रा में थी। प्रदेश और केंद्र के कई मंत्रियों ने यहां कैंप करके माहौल बनाया। दर्जनों रैली व सभा हुईं। नामांकन के दिन उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी समेत प्रदेश सरकार के कई मंत्री जुटाए गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी, डिप्टी सीएम केशव मौर्या जैसे कई दिग्गजों ने रोड शो करके माहौल बनाने की पुरजोर कोशिश की। लेकिन दूसरा खेमा चुनाव भर साइलेंट रहा। संगठन ने डिंपल यादव, प्रियंका गांधी, इकरा हसन के रोड-शो और शिवपाल यादव की जनसभा का प्लान तैयार करके प्रस्ताव भेजा।
इस पर सहमति भी बन गई, लेकिन अवधेश प्रसाद ने प्रदर्शन करने से परहेज किया और सभी कार्यक्रम निरस्त हो गए। सपा से जुड़े अन्य नेता-पदाधिकारी उन्हें बीच-बीच में टोकते भी रहे, लेकिन वह कछुए की चाल लगातार चलते रहे। लाख टिप्पणियों के बावजूद उन्होंने अपनी शैली और चुनाव लड़ने का ढंग नहीं बदला।

सुबह उठकर सहादतगंज स्थित केंद्रीय कार्यालय पर समर्थक, कार्यकर्ताओं और चुनावी चाणक्यों से रणनीतियों पर चर्चा, दोपहर बाद क्षेत्र में निकलना, यदा-कदा नुक्कड़ सभा, देररात तक एक-एक लोगों से मिलकर अपने पक्ष में लामबंद करना उनकी दिनचर्या रही।

हर किसी से खुद की रिकॉर्ड जीत के दावे करते रहे। सिर्फ दो बार अखिलेश यादव की सभा कराई और साइलेंट मोड में अंदर ही अंदर मजबूत चुनाव खड़ा कर दिया। उनके इसी साइलेंट अटैक को समझने में भाजपा नाकाम रही और आखिर तक बाजी पलट गई। परिणाम आने के बाद राजनीति के जानकारों की जुबान पर यह गतिविधियां चर्चा में हैं।

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