City Headlines

Home Uncategorized World Thalassemia Day 2022 : एक तरह का ब्लड डिसऑर्डर है थैलेसीमिया, जानें ये कितना खतरनाक हो सकता है !

World Thalassemia Day 2022 : एक तरह का ब्लड डिसऑर्डर है थैलेसीमिया, जानें ये कितना खतरनाक हो सकता है !

by

हर साल 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस (World Thalassemia Day 2022) मनाया जाता है. थैलेसीमिया एक ब्लड डिसऑर्डर (Blood Disorder) है, जो कि बच्चों को उनके माता-पिता से मिलता है यानी इसे आनुवांशिक बीमारी (Genetic Disease) माना गया है. जन्म के कुछ महीनों बाद ही थैलेसीमिया के लक्षण दिखने लगते हैं. इसमें शरीर में लाल रक्त कणों की कमी बहुत तेजी से होती है. आमतौर पर शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र करीब 120 दिन होती है, लेकिन थैलेसीमिया से पीड़ित रोगी के शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र मात्र 20 दिन ही रह जाती है. ऐसे में हर 20 से 25 दिन बाद इन मरीजों को बाहर से खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस बीमारी का सही उपचार न मिल पाए तो ये मौत की वजह भी बन सकती है. हर साल इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है. यहां जानिए इस दिन का इतिहास और इस बीमारी से जुड़ी जरूरी बातें.

विश्व थैलेसीमिया दिवस का ​इतिहास

विश्व थैलेसीमिया दिवस पहली बार साल 1994 में मनाया गया था. जॉर्ज एंगलजोस, जो कि थैलेसीमिया अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन के अध्यक्ष और संस्थापक थे, उन्होंने इस दिन की शुरुआत बीमारी से पीड़ित सभी रोगियों और उनके माता-पिता के सम्मान में की, जिन्होंने अपनी बीमारी के बोझ के बावजूद जीवन की आशा कभी नहीं खोई. इसका उद्देश्य लोगों को इस रोग के प्रति जागरुक करना है.

दो तरह का होता है थैलेसीमिया

थैलेसीमिया दो तरह का होता है माइनर और मेजर. जब पति या पत्नी में से किसी एक के क्रोमोजोम खराब होते हैं तो बच्चे को माइनर थैलेसीमिया होता है. माइनर थैलेसीमिया में मरीज सामान्य लोगों की तरह जीवन जीने में सक्षम होता है. लेकिन जब पति और पत्नी दोनों के क्रोमोजोम खराब होते हैं, तब बच्चे को मेजर थैलेसीमिया होता है. ऐसे में उसे बार बार बाहर से खून लेने की जरूरत पड़ती है.

थैलेसीमिया के लक्षण

हर समय कमजोरी महसूस करना
थकावट महसूस करना
पेट में सूजन
डार्क यूरिन
त्वचा का रंग पीला पड़ना
नाखून, आंख और जीभ पर पीलापन
बच्चे की ग्रोथ थम जाना

इन जटिताओं की आशंका

मेजर थैलेसीमिया के चलते शरीर में कई तरह जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है. इसके कारण हड्डियों की विकृति, हृदय संबंधी बीमारियों, दिल की धड़कन, बढ़े हुए जिगर, पीलिया, बढ़े हुए प्लीहा, गाल या माथे की बढ़ी हुई हड्डियों, विलंबित यौवन आदि समस्याएं सामने आ सकती हैं.

थैलेसीमिया का उपचार

बोन मैरो ट्रांसप्लांट को ही थैलेसीमिया का एकमात्र उपचार माना जाता है. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि सिर्फ 20 से 30 फीसदी मरीजों को ही उनके परिवार से एचएलए आइडेंकिल डोनर मिल पाता है. 70 फीसदी मरीजों को डोनर न मिलने के कारण ट्रांसप्लांट संभव नहीं होता है. ऐसे में उसे समय समय पर ब्लड चढ़ाने की जरूरत होती है, जिसके कई साइड इफेक्ट्स भी सामने आते हैं.

बचाव का तरीका

बच्चे को थैलेसीमिया जैसी खतरनाक बीमारी से बचाने के लिए शादी से पहले ही लड़के और लड़की के लिए खून की जांच अनिवार्य कर देनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं हो सका है तो गर्भावस्था के 8 से 11 हफ्ते के अंदर डीएनए जांच करवा लेनी चाहिए.

( इस लेख में दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. TV9 Hindi इनकी पुष्टि नहीं करता है. किसी विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद ही इस पर अमल करें.)

Leave a Comment