आज से उत्तराखंड में चार धाम यात्रा (Uttarakhand Char Dham Yatra) की शुरूआत होने जा रही है. मां गंगा (Gangotri Dham) के कपाट आज पूरे विधि विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे. मंगलवार यानी आज अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गंगोत्री धाम के कपाट खुलेंगे. इससे पहले मां गंगा की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा गांव से गंगोत्री धाम के लिए सोमवार को रवाना हुई. पारंपरिक रीति-रिवाज और आर्मी बैंड की धुन के साथ मां गंगा की डोली को ग्रामीणों ने विदाई दी.
सोमवार को शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव में सुबह से ही मां गंगा की विदाई की तैयारियां शुरू हो गई थी. सुबह विशेष पूजा अर्चना और आरती के बाद तीर्थ पुरोहितों ने मां गंगा की उत्सव डोली को सजाया गया था. पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल व दमाऊं के साथ ही आर्मी के बैंड की धुन पर मुखबा से गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुई.
गंगा की डोली यात्रा में देश विदेश के यात्री, मंदिर समिति के पदाधिकारी, तीर्थ पुरोहितों समेत पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी शामिल हुए. मार्कण्डेय पुरी स्थित दुर्गा मंदिर में पहुंचने के बाद मां गंगा के साथ तीर्थ पुरोहितों ने अल्प विश्राम किया. इसके बाद मुखबा के प्राचीन पैदल यात्रा पथ से होते हुए डोली शाम को भैरों घाटी पहुंची.भैरों घाटी में मां गंगा की चल विग्रह डोली रात्रि विश्राम के लिए रुकी, जहां रात्रि भर जागरण के साथ ही भंडारे एवं पूरी रात भजन कीर्तन किया गया.
श्रद्धालुओं के लिए 11:15 बजे खुलेंगे गंगोत्री धाम के कपाट
मंगलवार को तड़के सुबह डोली भैरों घाटी से गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुई. गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष हरीश सेमवाल ने बताया कि मंगलवार को तड़के डोली गंगोत्री के लिए रवाना हुई. जहां विधिवत पूजा अर्चना और वैदिक मंत्रोचारण के साथ 11:15 बजे गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शन हेतु खोल दिए जाएंगे.
सेामवार दोपहर जब मां गंगा की डोली विदा रही थी तो ग्रामीणों के लिए यह बहुत ही भावुक क्षण था, इस दौरान ऐसा प्रतीत हो रहा था, जैसे गांव के हर घर से बेटी की विदाई हो रही हो.
6 महीने तक मुखबा में प्रवास करने के बाद मां गंगा सोमवार को अपने धाम गंगोत्री के लिए रवाना हुई तो इस दौरान ग्रामीण मां गंगा को डोली में बैठाकर महिलाएं आधे रास्ते तक छोड़ने आईं. जहां से नम आंखों से बेटी की तरह विदाई दी.
पूरे गांव के लिए यह भावुकता भरा क्षण
वहीं स्थानीय ग्रामीणों और मुखवा के बुजुर्ग जनों का कहना है कि पूरे गांव के लिए यह भावुकता भरा क्षण है. इस दौरान ग्रामीण विभिन्न प्रकार के पकवानों से कलेऊ बनाकर कंडी में मां गंगा की डोली के साथ रखे. इन पकवानों में चावल के आटे के अरसे, रोट व पूरी आदि बनाई गई थी. मां गंगा को विदा करने के लिए गांव की महिलाएं भी आधे रास्ते तक आकर तब तक गंगा की डोली को देखती रहती है, जब तक डोली उनके आंखों से ओझल न हो जाए.