उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बांदा शहर (Banda) और रेलवे स्टेशन पर इस समय बंदरों का भयंकर आतंक कायम है सोमवार को ट्रेन पकड़ने के लिए पहुंचे यात्रियों पर बंदरों (Monkey at banda railway station) के झुंड ने अटैक कर दिया. इससे महिला समेत दो लोग लहूलुहान हो गए. यात्रियों का कहना है कि यहां करीब 15 बंदरों का झुंड है जो आए दिन यात्रियों पर हमला कर उन्हे घायल कर देता है, लेकिन स्टेशन के जिम्मेदार इस पर ध्यान नहीं देते हैं. यात्रियों ने कहा कि प्लेटफार्म पर बैठने से डर लगता है. स्टेशन के उच्च अधिकारी सुरक्षाकर्मी आरपीएफ वाले जीआरपीएफ वाले बंदरों से यात्रियों की सुरक्षा करने में असमर्थ हैं. जबकि इनकी जिम्मेदारी बनती है कि किसी भी हाल में यात्रियों को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए.
यदि बंदर परेशान कर रहे हैं तो उनको वन विभाग से कहकर पकड़वाने की व्यवस्था करनी चाहिए. और उन्हें किसी अन्य जगह जंगल में छुडवा देना चाहिए, लेकिन यह बड़े आश्चर्य की बात है कि लगातार 2 महीने से बंदरों का आतंक प्लेटफार्म पर चल रहा है. इस प्लेटफार्म को वैसे तो रेटिंग के मामले में नंबर वन घोषित कर रखा गया है, लेकिन सुविधा के नाम पर जीरो है.
प्रशासन और वन विभाग दोनों ही लोगों की समस्या को कर रहे हैं दरकिनार
नगर के कालू कुआं निवासी अनुराग तिवारी अपनी पत्नी को ट्रेन पर बैठाने आए थे. इस दौरान प्लेटफार्म पर जीआरपी थाना के सामने दो बंदरों ने हमला कर दिया. इससे पति-पत्नी दोनों घायल हो गए. बंदरों के आतंक के कारण यात्री प्लेटफार्म में बैठने से घबराने लगे हैं. लोगों का कहना है कि रेलवे प्रशासन ने वन विभाग से कई बार शिकायत की है, पर कोई लाभ नहीं हुआ. यात्रियों ने इन खूंखार हो रहे बंदरों को पकड़कर बाहर जंगल में छोड़ने की मांग की है. उच्च अधिकारियों से कई बार दरख्वास्त और निवेदन कर चुके हैं, लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है. आखिर कब प्रशासन नींद से जागे गा और इन यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करेगा और वन विभाग कब आकर इन बंदरों को जंगलों में ले जाकर छोड़ेगा, ये सब अभी तक भी एक सवाल ही बना हुआ है.
उपरोक्त मामले में जिला अधिकारी बांदा अनुराग पटेल से बात की गई तो उन्होंने उसी समय वन विभाग के अधिकारियों से बात करके 15 बंदर को रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू करके जंगल में छोड़ने की बात कही है.