उत्तर प्रदेश के बांदा (Banda) में एक किसान इतना परेशान हो गया कि उसने तहसील दिवस में डीएम और एसपी से थाना प्रभारी की शिकायत लगा दी. किसान ने कहा कि ‘साहब थाने में कोई सुनवाई नहीं होती है. अपनी ही जमीन में कब्जा पाने के लिए महीनों से दौड़ रहा हूं…. दरोगा जी प्रत्येक बार कुछ न कुछ कह कर टाल देते हैं.’ तहसील दिवस के दौरान डीएम और एसपी के सामने ऐसी फरियाद 1 या दो लोग नहीं लगाते हैं, बल्कि जनता दरबार में प्रतिदिन सैकड़ों लोग प्रार्थना पत्र देते हैं. अधिकारी भी उन प्रार्थना पत्रों को अपने नीचे के अधिकारियों को बढ़ाते रहते हैं. यह भी सत्य है कि इन पीड़ितों को न्याय मिला या नहीं मिला इसकी जानकारी अधिकारियों को नहीं होती है ना ही वो करना चाहते हैं.
अब फरियादी के सामने बहुत बड़ी विडंबना है कि आखिर गरीब कमजोर न्याय पाने के लिए जाए तो जाए कहां. मुख्यमंत्री का आदेश है कि जिलाधिकारी बांदा और पुलिस कप्तान हर सुबह जनता से मिले और जनता की समस्या का निस्तारण तत्काल करें. अब उनका निस्तारण हो रहा है या नहीं हो रहा है. इस बात की जानकारी तो मुख्यमंत्री को भी नहीं है.
‘डीएम के यहां बड़ी उम्मीद के साथ आया हूं कि आज मेरा कार्य हो जाएगा’
जिला अधिकारी बांदा के यहां व्योन्जा बबेरू गांव से 40 किलोमीटर दूर से चलकर बुजुर्ग रामाधीन पहुंचा. बुजुर्ग ने कहा साहब पट्टे की जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है, लेकिन दो बार डीएम साहब के आदेश के बावजूद उसे अभी तक कब्जा नहीं मिला है. फरियादी ने कहा कि “नसबंदी के तहत उसे 30 वर्ष पहले जमीन का पट्टा मिला था. उसमें वह अभी कुछ माह पहले तक काबीज रहा है. अब गांव के दबंग राजेंद्र ने जमीन पर ईंट और अन्य सामान रखकर कब्जा कर लिया है. उसने कई बार राजेंद्र से कहा लेकिन उसने सामान नहीं हटाया. जब मेरी बहू ने हटाने को कहा तो उसके साथ अभद्रता की. पत्नी बचाने गई तो दोनों के साथ मारपीट की. जब पुलिस के पास गए तो डांट कर भगा दिया. अब डीएम के यहां बड़ी उम्मीद के साथ आया हूं कि आज मेरा कार्य हो जाएगा.”
गरीबों को न्याय मुश्किल से ही मिलता है
डीएम ने कहा प्रार्थना पत्र ले लिया है. विभागीय अधिकारियों को भेज दिया है. तुम्हारा कार्य अवश्य हो जाएगा, कब्जा हटा दिया जाएगा. बता दें कि आज भी गांव में दबंगई चौधरी गिरी लंबार दारी गुंडई चरम सीमा पर पहुंच रही है. कोई किसी को देने को तैयार नहीं कोई किसी की बात करने को तैयार नही है. कोई किसी की नहीं सुनना चाहता है. अब पट्टे की जमीनों को दबंग लोग कब्जा करने लगे हैं. गरीब कमजोर को न्याय मिलना बड़ा ही असंभव लगता है. कागजी कार्रवाई खानापूर्ति करना तो आसान है, लेकिन हकीकत में जमीनी तौर पर गरीबों और कमजोर दबे कुचले लोगों को न्याय देना बहुत ही असंभव सा लगता है.