रूस-यूक्रेन जंग (Ukraine Russia War) चलते दो महीने से ऊपर का वक्त गुजर चुका है. न तो रूस रुकने को राजी है और न ही यूक्रेन (Ukraine) पीछे हटने को राजी है. मतलब एक दूसरे को नीचा दिखाने की यह जंग, किसकी हार किसकी जीत के साथ “शांत” होगी? फिलहाल जंग की आग में झुलस रहे दोनों देश भी नहीं जानते हैं. इस बीच यूक्रेन ने अपनी रणनीति में एक खतरनाक ‘कदम’ ला खड़ा किया है. इस बदली हुई रणनीति के तहत दौरान-ए-जंग यूक्रेन ने अपने ‘गद्दारों’ और रूस (Russia) के ‘वफादारों’ को सबक देने की ठानी है. ऐसा सबक जो यूक्रेन के ‘गद्दारों’ की आनी वाली पीढ़ियां भी नहीं भूलेंगी.
चार दिन या फिर एक सप्ताह में खत्म होने की उम्मीद वाली रूस और यूक्रेन की जंग को जारी रहे 2 महीने से ऊपर का वक्त बीत चुका है. आईंदा भी जंग कब खत्म होगी? यह सवाल भी अभी तक अनुत्तरित ही है. इस बीच खबर आ रही है कि तबाही के इस दौर में भी यूक्रेन में गद्दारों की बहुतायत देखने को मिलने लगी है. हालांकि कुछ समय पहले ही इन गद्दारों को कानूनी रूप से निपटाने के लिए यू्क्रेन ने रातों-रात यानी आनन-फानन में एक कानून बना डाला था. जिसके तहत यूक्रेन ने अपने यहां मौजूद गद्दारों से निपटने के लिए विशेष इंतजाम किए थे.
यूक्रेनी फौज की रुह कंपा देने वाली तैयारी
मतलब, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का मुंह छिपाकर समर्थन करने वाले यूक्रेनियनों के खिलाफ, यूक्रेन की फौज रुह कंपा देने वाले एक्शन की तैयारी में है. इसका जीता-जागता नमूना तब सामने आया जब खारकीव में यूक्रेन के सुरक्षाकर्मी बीते दिनों एक अपार्टमेंट में दाखिल हुए. अपार्टमेंट के भीतर पहुंचते ही उनका सामना विक्टर नाम के अधेड़ से हुआ. विक्टर बेहद घबराए हुए थे. उनके पांव कांप रहे थे और, हाड़ कंपा देने वाली ठंड में माथे से पसीने की बूदें उनके चेहरे पर चूने को व्याकुल नजर आ रही थीं. विक्टर की बेहाली का यह आलम उनके जेहन में मौजूद खौफ के चलते था. खौफ यूक्रेनी हुकूमत और उसकी फौज का.
यूक्रेन फौज-विक्टर का आमना-सामना
हथियारबंद यूक्रेनी सुरक्षाकर्मी ने विक्टर के थरथराते पांव और कांपते हाथों व माथे पर मौजूद पसीने की बूंदों से ताड़ लिया कि हो न हो, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन के मूल निवासी विक्टर रूस और उसकी सेना की मदद करने में जुटे हुए थे. मतलब अपने देश यूक्रेन से गद्दारी करने में. अपार्टमेंट के अंदर चूंकि यूक्रेनी सुरक्षाकर्मियों ने विक्टर को यह सब. यानी अपने देश यूक्रेन के प्रति गद्दारी करते रंगे हाथ पकड़ लिया था. ऐसे में रंगे हाथ दबोच लिए जाने पर विक्टर ही क्या, किसी के भी होश फाख्ता हो जाएंगे. वो भी तब जब रूस सा कोई जिद्दी देश यूक्रेन से छोटे देश को, बीते 2 महीने से मिट्टी में मिलाने की जिद पर दिन रात अड़ा हुआ हो.
विक्टर तो विश्वासघात का नमूना है
रूस और यूक्रेन की इस खूनी जंग के दौर में विक्टर तो एक मामूली सा उदाहरण भर है. दौरान-ए-जंग विक्टर से दो-मुहे, दोगले यूक्रेनियन्स की यूक्रेन में बहुतायत है. जो यूक्रेन में रहकर अन्न दाना पानी तो यूक्रेन का खा-पीकर जिंदा हैं. स्वामी-भक्ति मगर वे रूस की निभा रहे हैं. उस रूस की जो 2 महीने से यूक्रेन और उसके लाखों बेकसूर नागरिकों की जान के पीछे हाथ धोकर पड़ा है. वह रूस जिसने यूक्रेन के तमाम शहरों को मलबे शमशान और कब्रिस्तान में तब्दील कर डाला है. ऐसे में विक्टर जैसों की गद्दारी भला किस देश को नहीं अखरेगी? अखरना भी चाहिए क्योंकि, विश्वासघात इस इंसानी दुनिया में शायद सबसे बड़ी ‘घात” यानि धोखेबाजी दगाबाजी के रूप में ही जानी पहचानी जाती है.
खुलेआम किया था रूस का समर्थन
दरअसल विक्टर की गद्दारी यूक्रेन ने तब पकड़ी जब उसने सोशल मीडिया पर रूसी सेना के समर्थन में एक पोस्ट जारी की. विक्टर अपने ही देश यूक्रेन का गद्दार और रूस का वफादार है. इसका भांडा विक्टर की यूक्रेन के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट से हुआ. जिसमें लिखा था कि “मैं ‘नाजियों से लड़ने के लिए’ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का समर्थन करता हूं. इतना ही नहीं अपने देश की हुकूमत और उसके कानून से बेखौफ होकर, रूस की तरफदारी में उतरे विक्टर ने आगे लिखा कि, यूक्रेन का राष्ट्रीय ध्वज ‘मौत का प्रतीक’ है. रंगे हाथ पकड़े जाने और बचाव का कोई रास्ता सामने न देख. यूक्रेन के साथ खुलेआम गद्दारी करने के आरोपी विक्टर अब अपने किए पर पछता रहे हैं.
अब माफी मांग रहा यूक्रेन का विश्वासघाती
वे कहते हैं कि, “हां, मैंने रूसी सेना का समर्थन किया था मगर अब मुझे माफ कर दीजिए. मैं रूसी सेना का समर्थन करने के बाद अब काफी बदल चुका हूं. मैं पहले गलत था. अब मुझे अपनी गलती का अहसास हो चुका है. विचार करने की बात यह है कि जो, रूस बीते दो महीने से यूक्रेनी हुकूमत और उसकी जनता के खून का प्यासा है. क्या उस रुस का समर्थन करने वाले अपने देश के विक्टर जैसे किसी गद्दार को यूक्रेनी हुकूमत या फिर किसी भी देश की हुकूमत द्वारा माफ किया जाना चाहिए? दरअसल विक्टर, रूस द्वारा पूरी तरह से तबाह किए जा चुके यूक्रेन के उस खारकीव क्षेत्र के उन लगभग 400 लोगों में से एक है जिन्हें, यूक्रेन की संसद द्वारा जल्दी मे ही लागू किए गए कानून के तहत हिरासत में लिया गया है. मतलब हाल ही में दौरान-ए-जंग यूक्रेन द्वारा बनाए गए सहयोग-विरोधी कानूनों के तहत हिरासत में लिया गया है.
जंग के दौरान बनाया सख्त कानून
रूस के 24 फरवरी 2022 के आक्रमण के बाद राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की की ओर से, इस कानून को हाथों-हाथ मंजूरी भी दे दी गई थी.इस नए व कड़े कानून को मंजूरी तो मिलनी ही थी क्योंकि, इस कानून को बनाने का विचार खुद राष्ट्रपति जेलेंस्की का ही था. जिसके तहत रूसी सेना के साथ सहयोग करने, रूसी आक्रमण के बारे में सार्वजनिक रूप से इनकार करने या फिर, मास्को का समर्थन करने के लिए अपराधियों को 15 साल तक की जेल का सामना करना पड़ेगा.
या फिर कोई भी ऐसा यूक्रेनवासी, जिसके कार्यों से किसी की मृत्यु हो सकती है, उसे आजीवन कारावास तक की सजा इस नए कानून के तहत भोगनी पड़ सकती है. मतलब साफ है कि एक तरफ दो महीने से रूस से जंग में जूझ रहा यूक्रेन अब, अपने देश के गद्दारों और रूस के वफादारों को काबू करने के लिए उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजने की तैयारियों में जुटा है. इस कानून के तहत गिरफ्तार शख्स को 15 साल से लेकर उम्रकैद कैद तक की सजा का प्राविधान किया गया है.