टाटा स्टील (Tata Steel) का मार्च तिमाही में प्रॉफिट (Profit) 46.83 प्रतिशत की बढ़त के साथ 9,756.20 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी को 6,644.15 करोड़ रुपये का फायदा हुआ था. कंपनी के मुताबिक कारोबार से आय (Income) 38.6 प्रतिशत की बढ़त के साथ 69,323.5 करोड़ रुपये रही है जो इससे पिछले साल की इसी तिमाही में 50,028.37 करोड़ रुपये के स्तर पर थी. दिसंबर तिमाही में कंपनी ने 9,572.67 करोड़ रुपये का मुनाफा और 60,783.11 करोड़ रुपये की आय दर्ज की थी. यूरोपियन कारोबार से कंपनी की आय 54 प्रतिशत बढ़कर 887 करोड़ पौंड पर पहुंच गई है.वहीं पूरे साल के लिए टाटा स्टील का प्रॉफिट 436 प्रतिशत की बढ़त के साथ 40,153.93 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इससे पिछले पूरे वित्त वर्ष में कंपनी का प्रॉफिट 7,490.22 करोड़ रुपये के स्तर पर था. पूरे साल के दौरान कंपनी की कुल आय 2,43,959.17 करोड़ रुपये रही है. एक साल पहले कंपनी की आय 1,56,477.40 करोड़ रुपये के स्तर पर थी. नतीजों के साथ ही कंपनी ने शेयर धारकों के लिये डिविडेंड और स्टॉक स्पिलिट की योजना को भी मंजूरी दी है.
स्टॉक स्पिलिट का ऐलान
कंपनी ने नतीजों के साथ स्टॉक को 10 अनुपात 1 में बांटने का ऐलान किया है. कंपनी ने जानकारी दी है कि बोर्ड ने 10 रुपये फेस वैल्यू के एक स्टॉक को एक रुपये फेस वैल्यू के 10 स्टॉक में बदलने का फैसला लिया है. इसके साथ ही कंपनी ने अपने निवेशकों को 51 रुपये प्रति शेयर के डिविडेंड का भी ऐलान किया है. वहीं कंपनी ने जानकारी दी कि उसने 1.9 करोड़ टन के क्रूड स्टील उत्पादन का अब तक का सबसे ऊंचा उत्पादन हासिल किया है. इसके साथ ही डिलीवरी 1.8 करोड़ टन को पार कर गई हैं. नतीजों के बाद कंपनी के सीईओ टीवी नरेन्द्रन ने कहा कि कोविड 19 और जियोपॉलिटिकल तनाव के बीच भी कंपनी ने मजबूत प्रदर्शन किया है.
क्या होता है स्टॉक स्प्लिट
स्टॉक स्प्लिट जैसा कि नाम संकेत देता है, किसी कंपनी के द्वारा शेयरों के विभाजन को कहते हैं. इस प्रक्रिया के तहत कंपनी अपने स्टॉक को छोटी छोटी फेस वैल्यू के स्टॉक में बांट देती है. ऐसा करने से भले ही स्टॉक्स की संख्या बढ़ जाती है लेकिन मूल्य में कोई अंतर नहीं होता. दरअसल फेस वैल्यू घटने के साथ उसी अनुपात में स्टॉक का बाजार मूल्य भी घट जाता है. यानि बुक से लेकर बाजार तक मूल्य अपरिवर्तित रहते हैं. स्टॉक स्प्लिट का फैसला कंपनी तब लेती है जब बढ़त के दौर के साथ कंपनी का स्टॉक काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच जाता है. और आम निवेशक उसमें ट्रेड नहीं कर पाते. कंपनी के साथ ज्यादा से ज्यादा निवेशकों को जोड़ने के लिये कंपनी स्प्लिट के जरिये बाजार मूल्य घटा देती, जिससे ज्यादा निवेशक उसमें निवेश कर पाते हैं. मानिये अगर किसी स्टॉक का बाजार मूल्य 10 हजार रुपये है तो आम निवेशक उसमें निवेश नहीं कर सकेगा लेकिन स्टॉक को 10 स्टॉक में स्प्लिट करने पर 10 हजार का स्टॉक एक हजार के 10 स्टॉक में बदल जाएगा, जिससे ज्यादा लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.