जिनेवा । गाजा, यूक्रेन, कांगो, म्यांमार और सूडान समेत विश्व के भागों में जारी संघर्ष, युद्ध और हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने चिंता जताई है। गुटेरस ने कहा है कि इन युद्धों-हिंसा में कई देश प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से शामिल हैं। इसलिए हर बीतते दिन के साथ वैश्विक सुरक्षा की स्थिति कमजोर हो रही है।
ऐसे हालात में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने पूरे विश्व में मानवाधिकारों और शांति की स्थिति का सम्मान करने की आवश्यकता जताई है। गुटेरस ने यह बात संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के उद्घाटन सत्र में कही है। गुटेरस ने गाजा और यूक्रेन को लेकर सुरक्षा परिषद में बनी अनिर्णय की स्थिति को चिंतनीय बताया।
गुटेरस ने कहा कि दोनों स्थानों पर स्थिति विस्फोटक बनी हुई है लेकिन सुरक्षा परिषद वहां पर कुछ भी कर पाने में सक्षम नहीं है। वहां पर सदस्य देशों के हितों का टकराव जमीनी हालात बिगाड़ रहा है।गुटेरस ने कहा, विश्व तेजी से बदल रहा है। विभिन्न मुद्दों पर हो रहा टकराव अनिश्चितता बढ़ा रहा है। इस स्थिति में मानवाधिकारों का हनन हो रहा है जिससे शांति को खतरा पैदा हो रहा है। इससे विश्व के सबसे ज्यादा गरीब देशों की मुश्किलें बढ़ रही हैं और पर्यावरण सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर असर पड़ रहा है।
इस दौरान गुटेरस ने गाजा में मानवाधिकारों की स्थिति की खासतौर पर चर्चा की। इस मौके पर मानवाधिकार परिषद के प्रमुख वाकर तुर्क ने संयुक्त राष्ट्र और उसके संगठनों के कार्यों को कम करके आंकने और उनके महत्व को कम करने वाले प्रयासों की निंदा की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अंधेरे में रास्ता दिखाने वाले प्रकाश पुंज की तरह है।
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खार्तूम (सूडान) । संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल ने कहा है कि सूडान और दक्षिण सूडान के बीच तेल समृद्ध क्षेत्र अबेई में अंतर-सांप्रदायिक हिंसक झड़पों में 52 नागरिक और दो शांति सैनिक मारे गए । संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल अबेई की विज्ञप्ति में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश अबेई प्रशासनिक क्षेत्र में सप्ताहांत में हुई हिंसा से चिंतित हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने कहा है कि अबेई में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल पर हुए हमले में दो शांति सैनिकों ने कर्तव्य की पंक्ति में अपना जीवन बलिदान कर दिया। कर्तव्य पथ पर अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले शांति रक्षकों में एक पाकिस्तान और एक घाना का है। महासचिव ने मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने हिंसा की निंदा करते हुए अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने का आह्वान किया है।
संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल की विज्ञप्ति के अनुसार, अबेई में जारी हिंसा में शनिवार को एक और संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक की मौत हो गई। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की स्थापना 2011 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा विवादित अबेई क्षेत्र की निगरानी के लिए की गई थी। इस समय सूडान और दक्षिण सूडान की सीमा पर 5,326 शांति सैनिक तैनात हैं। संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल अबेई ने आसन्न खतरे के मद्देनजर सभी व्यक्तियों को अपने कुछ शिविरों में शरण लेने की अनुमति दी है।
गाजा में युद्ध विराम प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित, भारत समेत 153 देशों ने पक्ष में किया मतदान
संयुक्त राष्ट्र । गाजा में तत्काल युद्ध विराम का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की आपात बैठक में पारित हो गया। भारत समेत 153 देशों ने इसके पक्ष में मतदान किया। 10 सदस्यों ने इसका विरोध किया। 23 सदस्य मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की समाचार सेवा ने अपने एक्स हैंडल और वेबसाइट पर साझा की है।
संयुक्त राष्ट्र की समाचार सेवा के अनुसार, इसमें तत्काल मानवीय युद्ध विराम, सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की गई। प्रस्ताव में महासभा की मांग को भी दोहराया गया कि सभी पक्ष अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करें। इसमें अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून भी शामिल है। यह कानून विशेष रूप से नागरिकों की सुरक्षा के संबंध में है। प्रस्ताव से पहले फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास का विशिष्ट संदर्भ देने वाले दो संशोधनों के पक्ष में सदस्य देशों ने मतदान किया।
यूएनजीए चीफ फ्रांसिस ने कहा कि गाजा में नागरिकों पर हमले हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय और मानवीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन हुआ है। फ्रांसिस ने गाजा में तत्काल युद्ध विराम के लिए समर्थन जताया है। संघर्ष विराम का प्रस्ताव मिस्र के राजदूत अब्देल खालेक महमूद ने पेश किया। युद्ध विराम प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले देशों में अमेरिका, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, ग्वाटेमाला, इस्राइल, लाइबेरिया, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पापुआ न्यू गिनी और परागुआ शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है। महासभा में जिस स्थिति पर विचार-विमर्श किया जा रहा है, उसके कई आयाम हैं। सात अक्तूबर को इजराइल पर आतंकवादी हमला हुआ और कई लोगों को बंधक बनाया गया, जो चिंता की बात है। गाजा में बड़ा मानवीय संकट पैदा हुआ है। बड़े पैमाने पर नागरिकों की जान गई है। सभी परिस्थितियों में अंतरराराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने का मुद्दा है। भारत वर्तमान में क्षेत्र के सामने मौजूद कई चुनौतियों के समाधान के लिए साझा प्रयास में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकता का स्वागत करता है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका युद्ध विराम प्रस्ताव से सहमत नहीं है। अमेरिकी दूत ने युद्ध के लिए सीधे तौर पर हमास को दोषी ठहराया। इजराइल के राजदूत गिलाद अर्दान ने प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा है कि युद्ध रोकने से केवल हमास को फायदा होगा।
नयी दिल्ली । इजराइल के खिलाफ पड़ोसी देश मिस्र यानी इजिप्ट एक ऐसा प्रस्ताव लेकर आया, जिसका भारत ने भी समर्थन किया है। इस प्रस्ताव पर भारत ने इजराइल के खिलाफ वोट दिया। मिस्र के इस प्रस्ताव के विरोध में अमेरिका, ब्रिटेन ने वोट किया।
यूएन में इजराइल के खिलाफ मिस्र लेकर आया प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र में एक ऐसा प्रस्ताव आया है, जिस पर भारत ने इजराइल के विरोध में अपना वोट दिया है। भारत के अलावा 91 देशों ने भी इजराइल के विरोध में लाए गए प्रस्ताव का समर्थन किया है। यह प्रस्ताव मिस्र ने इजराइल के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में पेश किया था। जिस पर वोटिंग में 91 देशों ने मिस्र के प्रस्ताव का समर्थन किया और 8 देशों ने मिस्र के प्रस्ताव के विरोध में इजराइल के समर्थन में वोट किया। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में मिस्र यानी इजिप्ट ने इजराइल को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि सीरिया के गोलन हाइट्स से इजरायल अपना कब्जा हटा ले। इस प्रस्ताव का 91 देशों ने समर्थन किया है, इन देशों में भारत भी शामिल है। मिस्र के यूएन में लाए गए इस प्रस्ताव के पक्ष में 91 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 8 देशों ने अपना मत दिया। इस दौरान 62 देश वोटिंग के समय नदारद रहे।
प्रस्ताव में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी यूएनजीए और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी यूएनएससी की प्रस्तावना को मद्देनजर रखते हुए इजराइल को चाहिए कि वो सीरियाई गोलन हाइट्स पर अपना कब्जा छोड़ दे। इजराइल ने गोलन हाइट्स पर 1967 में कब्जा किया था।
इस प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों में भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, चीन, लेबनान, ईरान, इराक और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। वहीं, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका, पलाउ, माइक्रोनेशिया, इजरायल, कनाडा और मार्शल आइलैंड ने मिस्र के इस प्रस्ताव के विरोध में वोट किया।
62 देशों ने वोटिंग से बनाई दूरी
यूक्रेन, फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम, जापान, केन्या, पोलैंड, ऑस्ट्रिया और स्पेन जैसे 62 देशों ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग से दूरी बना ली। इस प्रस्ताव पर वोटिंग 28 नवंबर को हुई थी।
जानिए कहां है गोलन हाइट्स?
गोलन हाइट्स पश्चिमी सीरिया में एक क्षेत्र है, जिस पर इजराइल ने बहुत पहले यानी 1962 में कब्जा कर लिया था। इस दौरान 6 दिनों तक सीरिया से इजराइल का युद्ध हुआ था, इसके बाद इजराइल ने इस पर अपना आधिपत्य कर लिया। दरअसल, गोलन हाइट्स पश्चिमी सीरिया में स्थित एक पहाड़ी इलाका है। सीरिया ने 1973 में मध्यपूर्व युद्ध के दौरान गोलन हाइट्स पर दोबारा कब्जे की कोशिश की, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका।1981 में इजरायल ने गोलन हाइट्स को अपने क्षेत्र में मिलाने की एकतरफा घोषणा कर दी थी, पर इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं दी गई।
सुरक्षा परिषद में गाजा में संक्षिप्त युद्धविराम का प्रस्ताव पारित, इजराइल मानने को तैयार नहीं
संयुक्त राष्ट्र । हमास-इजराइल युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहली बार मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए संक्षिप्त युद्धविराम का प्रस्ताव पारित किया। इजराइल ने इसे मानने से इनकार कर दिया है।
इजराइल ने कहा है कि बंधकों की रिहाई के बिना वह हमास को हमलों से बचने के लिए कोई राहत नहीं देगा। वैसे भी गाजा पट्टी में अब आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं है। प्रस्ताव में कहा गया कि इजराइली सेना की घेराबंदी और हमलों के चलते गाजा पट्टी के 23 लाख लोगों को आवश्यक वस्तुओं की किल्लत झेलनी पड़ रही है। इसलिए सीमित समय का युद्धविराम लागू कर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति और वितरण सुनिश्चित कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
इस प्रस्ताव के समर्थन में 15 सदस्य देशों में से 12 ने वोट दिया। विरोध में कोई वोट नहीं पड़ा। अमेरिका, रूस और ब्रिटेन ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। अमेरिका और ब्रिटेन ने मतदान का बहिष्कार किया। रूस ने मनवीय आधार पर स्थायी युद्धविराम की मांग का विरोध किए जाने के कारण मतदान में हिस्सा नहीं लिया। पारित प्रस्ताव में बंधकों की अविलंब और बिना शर्त रिहाई का जिक्र नहीं किया गया है।
गुटेरेस गाजा में एंबुलेंस काफिले पर हुए हमले से भयभीत, फिर किया मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान
संयुक्त राष्ट्र, । संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि वह इजराइली सुरक्षा बलों का गाजा में एंबुलेंस काफिले पर हमला भयभीत करने वाला है। यह बात उन्होंने शनिवार को जारी बयान में कही।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गुटेरेस ने कहा, गाजा में अल-शिफा अस्पताल के बाहर एंबुलेंस काफिले पर कथित हमले से मैं भयभीत हूं। अस्पताल के बाहर सड़क पर बिखरे शवों की तस्वीरें भयावह हैं। संघर्ष रुकना चाहिए। उन्होंने मानवीय संघर्ष विराम के अपने आह्वान को फिर दुहराया है।
एक अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार इससे पहले अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने शुक्रवार को गाजा में नागरिकों को मानवीय सहायता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मुलाकात कर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस मुलाकात में उन्होंने साफ किया कि इजराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है पर अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का सम्मान किया जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र । संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने हमास के हमले के संबंध में अपने बयान को लेकर हंगामे के बीच बुधवार को अपनी टिप्पणियों की ‘‘गलत व्याख्या’’ किये जाने पर हैरानी व्यक्त की और कहा कि उन्होंने हमास के आतंकी कृत्यों को उचित नहीं ठहराया।
ज्ञात रहे कि इन टिप्पणियों के बाद, इजराइल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मंगलवार दोपहर को गुतारेस के साथ होने वाली अपनी बैठक रद्द कर दी। बाद में संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के राजदूत गिलाद एर्दान ने गुतारेस के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि इजराइल को इस विश्व निकाय के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
गुतारेस ने यहां संवाददाताओं से कहा, मैं सुरक्षा परिषद में मंगलवार को दिए मेरे कुछ बयानों की गलत व्याख्या से हैरान हूं। ऐसे दिखाया गया कि मैं हमास के आतंकी कृत्यों को उचित ठहरा रहा हूं। यह गलत है।
गुतारेस ने सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा था, यह भी मानना महत्वपूर्ण है कि हमास द्वारा किए गए हमले अकारण नहीं हुए। फिलिस्तीन के लोगों को 56 वर्षों से घुटन भरे कब्जे का सामना करना पड़ रहा है। गुतारेस ने कहा था कि उन्होंने अपनी जमीन को लगातार (यहूदी) बस्तियों द्वारा हड़पते और हिंसा से ग्रस्त होते देखा है। उनकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई। उनके लोग विस्थापित हो गए और उनके घर ध्वस्त कर दिये गए। अपनी दुर्दशा के राजनीतिक समाधान की उनकी उम्मीदें खत्म होती जा रही हैं।
इन टिप्पणियों के बाद, इजराइल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मंगलवार दोपहर को गुतारेस के साथ होने वाली अपनी बैठक रद्द कर दी। बाद में संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के राजदूत गिलाद एर्दान ने गुतारेस के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि इजराइल को इस विश्व निकाय के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
गुतारेस ने बुधवार को पत्रकारों से कहा कि मंगलवार को परिषद में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह इजराइल में हमास द्वारा सात अक्टूबर को किए गए आतंक के भयावह और अभूतपूर्व कृत्यों की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं।
गुतारेस ने परिषद में की गई अपनी टिप्पणी को दोहराते हुए कहा, ‘‘नागरिकों की जानबूझकर हत्या, घायल करने और अपहरण या नागरिक ठिकानों के खिलाफ रॉकेट हमलों को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है।’’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने यह भी कहा कि परिषद में उन्होंने फिलिस्तीनी लोगों की शिकायतों के बारे में भी बात की, लेकिन फिलिस्तीनी लोगों की शिकायतें हमास के भयावह हमलों को उचित नहीं ठहरा सकतीं।
बुधवार को गुतारेस ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘फिलिस्तीनी लोगों की शिकायतें हमास के भयानक हमलों को उचित नहीं ठहरा सकतीं। वे भयानक हमले फिलिस्तीनी लोगों की सामूहिक सजा को उचित नहीं ठहरा सकते।’’
इजराइल में 1,400 से अधिक लोग मारे गए हैं। इनमें अधिकतर नागरिक थे जो दक्षिणी इजराइल में हमास के शुरुआती हमले में मारे गए थे। गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इजराइली हवाई हमलों में 6,500 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें 2,000 से अधिक बच्चे और 1,100 महिलाएं शामिल हैं, जबकि 15,000 से अधिक घायल हुए हैं।
-गुटेरस ने सभी पक्षों से की युद्ध से पीछे हटने की अपील
-युद्ध विराम की अपील पर इजरायल के विदेश मंत्री ने जताई नाराजगी
-इजरायली राजदूत ने की गुटेरस के इस्तीफे की मांग
संयुक्त राष्ट्र । इजराइल और हमास के बीच 18 दिन से जारी युद्ध को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने बेहद चिंताजनक करार दिया है। उन्होंने इजरायल द्वारा हमास शासित गाजा पट्टी पर लगातार की जा रही बमबारी पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि कोई भी पक्ष अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून से ऊपर नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंसा और बढ़े उससे पहले सभी पक्षों को युद्ध से पीछे हटना चाहिए। यह बात एंटोनियो गुटेरस ने मध्य पूर्व सुरक्षा परिषद की मंत्रिस्तरीय बैठक में कही।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि मध्य पूर्व में स्थिति समय के साथ और अधिक गंभीर होती जा रही है। गाजा में युद्ध का रूप विकराल हो रहा है और पूरे क्षेत्र में जोखिम बढ़ रहा है। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र दिवस के महत्वपूर्ण मौके पर वह सभी से अपील करते हैं कि इससे पहले कि हिंसा और अधिक लोगों की जान ले, सभी पक्ष युद्ध से पीछे हट जाएं। साथ ही उन्होंने गाजा में अंतरराष्ट्रीय युद्ध नियमों के उल्लघंन पर चिंता जताते हुए कहा कि यह स्पष्ट रहे कि सशस्त्र संघर्ष में कोई भी पक्ष अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून से ऊपर नहीं है।
वहीं तत्काल युद्धविराम की अपनी अपील को दोहराते हुए एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि युद्ध के भी नियम होते हैं। जिसका गाजा में पालन होता नहीं दिख रहा। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मांग करनी चाहिए कि सभी पक्ष अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत अपने दायित्वों का निर्वहन करे। उन्होंने कहा कि ऐसे युद्ध में नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है। नागरिकों को कभी ढाल के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इस दौरान उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र छह लाख से अधिक फलस्तीनीयों को आश्रय दे रहा है।
यूएन चीफ के बयान पर भड़के इजरायली विदेश मंत्री
यूएन प्रमुख के युद्ध विराम की अपील पर इजरायल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने नाराजगी जताई। उन्होंने सवाल किया कि आतंकी वारदात के खिलाफ इजरायल की सैन्य कार्रवाई पर रोक और युद्धविराम की अपील करने वाले गुटेरस किस दुनिया में रहते हैं। क्या उन्हें इजरायली नागरिकों के हालात और दर्द नहीं दिख रहा।
वहीं, इजरायली राजदूत गिलाद एर्दन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था का नेतृत्व करने में गुटेरस सक्षम नहीं हैं। उन्हें तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इजरायल की जनता और यहूदी लोगों के खिलाफ जघन्य अपराध करने वालों के साथ सहानुभूति रखने वाले यूएन महासचिव बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के नरसंहार के बावजूद नरमी दिखा रहे हैं।
बतादें परिषद की अध्यक्षता ब्राजील के हाथ में हैं। बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, इजरायल के विदेश मामलों के मंत्री एली कोहेन, फलस्तीन के विदेश मामलों और प्रवासी मंत्री रियाद अल-मलिकी, ब्राजील के विदेश मामलों के मंत्री मौरो विएरा ने भाग लिया। फ्रांस की यूरोप और विदेश मामलों की मंत्री कैथरीन कोलोना भी मौजूद रहीं।
भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान ने संयु्क्त राष्ट्र को वैश्विक समस्याओं के निवारण में बताया अक्षम
न्यूयार्क । भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान के समूह जी-4 ने संयुक्त राष्ट्र संघ को वैश्विक समस्याओं के निवारण में पूरी तरह से अक्षम करार दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा से अलग हुई इन चारों देशों की बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी व अस्थायी सदस्यों को बढ़ाने की मांग की गई।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग लंबे समय से की जा रही है। अब इसे लेकर रणनीति बननी भी शुरू हो गई है। संयुक्त राष्ट्र की आमसभा से अलग भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान के समूह जी-4 की बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार की जरूरत पर सहमति बनी और कहा गया कि सुरक्षा परिषद का स्वरूप ऐसा होना चाहिए जो समकालीन भू-राजनीतिक व्यवस्थाओं का बेहतर ढंग से पेश कर सके। बैठक में ब्राजील के विदेश मंत्री माउरो विएरा, जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक, जापान की विदेश मंत्री योको कामिकावा और भारत के विदेश मामलों के सचिव संजय वर्मा शामिल हुए।
बैठक में कहा गया कि जटिल संकटों के कारण बहुपक्षवाद पर काफी दबाव है। संयुक्त राष्ट्र वैश्विक समस्याओं का प्रभावी और समय से निवारण में अक्षम साबित हो रहा है, ऐसे में इसमें सुधार की जरूरत है। बैठक के बाद जारी किए गए संयुक्त प्रेस वक्तव्य में कहा गया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में विस्तार की जरूरत है। जिससे इसे ज्यादा प्रभावी, वैध और कुशल बनाने में मदद मिलेगी। बैठक में शामिल चारों देशों ने संयुक्त राष्ट्र से इस अहम मुद्दे पर आगे बढ़ने की अपील की।
न्यूयॉर्क । यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक शीर्ष बैठक में मंगलवार को रूस पर जमकर भड़के। करीब 18 माह से चल रहे युद्ध की विभीषिका उनके चेहरे पर भी झलकी। जेलेंस्की ने कहा कि इस भीषण जंग में रूस ने हमारे आम नागरिकों, महिलाओं और बच्चों तक को निशाना बनाया है। रूस सिर्फ यूक्रेन के लिए ही नहीं, आप सबके लिए भी खतरा है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में जेलेंस्की के संबोधन को प्रमुखता दी गई है।
रिपोर्ट्स में जेलेंस्की के संबोधन के आधार पर कहा गया है कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस भोजन और ऊर्जा से लेकर हर चीज को ‘हथियार’ बना रहा है। आक्रोशित जेलेंस्की ने विश्व नेताओं को चेतावनी दी कि उनके साथ भी ऐसा हो सकता है, क्योंकि जब नफरत को किसी राष्ट्र के खिलाफ हथियार बनाया जाता है, तो वह वहीं नहीं रुकता। जेलेंस्की ने कहा यह चेतावनी नहीं है। अगर उस पर लगाम नहीं कसी गई तो ऐसा होगा जरूर।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस सभा में विश्व नेताओं के संबोधनों की शृंखला में जेलेंस्की की टिप्पणी सबसे तीखी रही। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अमेरिका, यूक्रेन के बहादुर लोगों के साथ खड़ा रहेगा। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों ने उसे हथियारों और अन्य सहायता की आपूर्ति की है। अमेरिकी संसद 24 अरब अमेरिकी डॉलर की और सहायता प्रदान करने के राष्ट्रपति जो बाइडन के अनुरोध पर इस समय विचार कर रही है।