अहमदाबाद। करीब 800 टन चीनी भर कर देवभूमि द्वारका जिले के सलाया का मालवाहक जहाज खराब मौसम के कारण अरब सागर में डूब गया। जहाज में सवार 12 नाविकों को बचा लिया गया है। भारतीय कोस्ट गार्ड ने इन सभी को बचाया। जहाज कच्छ जिले के मुंद्रा से रवाना होकर जिबूती बंदरगाह की ओर जा रहा था।
बीच समुद्र में खराब मौसम के बाद खतरा भांपते हुए जहाज में सवार नाविकों ने इसकी सूचना सलाया इंडियन सेलिंग वेसल्स एसोसिएशन के सचिव आदम भाया को दी। इसके बाद यह जानकारी समय रहते मुंबई स्थित भारतीय कोस्ट गार्ड मेरिटाइम रेस्क्यू कोऑर्डिनेशन सेंटर (एमआरसीसी) को दी गई।
सलाया का मालवाहक जहाज का नाम निगाहेकरम और मालिक का नाम सुलतान इस्माइल सुंभनिया बताया गया है। 27 दिसंबर को मालवाहक जहाज में 800 टन चीनी भरकर इसे जिबूती के लिए रवाना किया गया था। जहाज में 12 नाविक भी सवार थे। खराब मौसम के कारण अरब सागर में जहाज हिचकोले खाने लगा। मशीनीकृत आपूर्ति पोत (एमएसवी) में पानी भरने और डूब रहे होने की जानकारी मिली थी। जहाज के डूबने से पहले चालक दल के 12 सदस्यों को बचा लिया गया, ये सभी भारतीय थे। संकट संदेश भारतीय एमएसवी ‘निगाहें करम’ के बारे में मिला था, जो जिबूती की ओर जा रहा था।
रक्षा विज्ञप्ति के अनुसार, मुंबई के आईसीजी समुद्री बचाव समन्वय केन्द्र (एमआरसीसी) को सुबह 11 बजे संकट संदेश मिलने के बाद अभियान चलाया गया। बयान में कहा गया कि सूचना मिलने पर एमआरसीसी ने क्षेत्र में मौजूद सभी पोतों को सतर्क किया और पोरबंदर के समुद्री बचाव उप केन्द्र के साथ समन्वय किया। साथ ही उसे पोत को तत्काल सहायता देने के लिए मोटर टैंकर भेजने को कहा गया।
सभी नाविकों को एमटी सिंरगर से आईसीजी जहाज में स्थानांतरित किया गया। इसके बाद सभी को वाडीनार लाया गया। प्रारंभिक चिकित्सकीय जांच के बाद उन्हें जहाज के मालिक के पास भेज दिया गया।
rescued
तिरुवनंतपुरम। सुरम्य मुन्नार पर्यटन स्थल के पास अपने खेत में काम करते हुए केरल के एक युवक ने अचानक खुद को जंगली हाथियों के झुंड के बीच में पाया। ऐसे में खुद को बचाने के लिए युवक ने पेड़ का सहारा लिया। विभिन्न आकार के हाथियों को अपनी ओर बढ़ते देख साजी नाम के युवक ने भागने की कोशिश की, लेकिन जल्द ही उसे लगा कि वह आगे नहीं भाग सकता। इसीलिए उसने एकमात्र विकल्प चुना, उसने लंबे यूकेलिप्टस के पेड़ को अपना सहारा बना लिया और पेड़ पर चढ़ गया।
हाथियों ने पेड़ को घेर लिया परंतु साजी उस पेड़ पर बैठा रहा। एक वक्त पर जब साजी की ऊर्जा खत्म होने लगी तब मदद के लिए उसने आवाज लगाई तो आवाज सुनकर स्थानीय लोग एकजुट हो गए। करीब 90 मिनट के बाद स्थानीय लोग जंगली हाथियों को भगाने में सफल रहे। जैसे ही हाथियों का झुंड चला गया, साजी स्थानीय लोगों का धन्यवाद करते हुए नीचे आ गया।
इसको लेकर साजी ने कहा, मैं अपने खेत पर काम कर रहा था और हाथियों को अपनी ओर आते देखकर चौंक गया। मैं दौड़ा और फिर पेड़ पर चढ़ने का फैसला किया। मैं अपनी सारी ऊर्जा के साथ मदद के लिए चिल्लाया। बाद में सबने आकर मुझे बचा लिया। इस बीच, चिन्नाकनाल के स्थानीय लोगों ने जंगली हाथियों के खतरे के खिलाफ वन विभाग से निगरानी की मांग की।