कानपुर। नौबस्ता में हंसपुरम स्थित पहली पुलिया के पास हत्या एवं लूट मामले में फरार चल रहे 25 हजार का इनामी अपराधी शुक्रवार भोर में हुई मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से घायल हो गया। पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान घायल बदमाश के पिता को भी गिरफ्तार किया है। गोली से घायल अपराधी को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है।
गोली से घायल अपराधी कानपुर नगर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के रायगोपालपुर गांव निवासी सुधीर तिवारी है। पुलिस ने घायल सुधीर तिवारी के पिता सुरेश तिवारी को गिरफ्तार करके थाने ले गई, जबकि घायल अपराधी को उपचार के लिए तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया है।
नौबस्ता प्रभारी निरीक्षक संजय कुमार पांडेय ने बताया कि अपराधी के खिलाफ नौबस्ता थाने में हत्या एवं लूट का मुकदमा दर्ज किया गया है, जबकि उसके अन्य साथी इस मामले में जेल भेजे जा चुके हैं। इसकी गिरफ्तारी के लिए कानपुर पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड ने पच्चीस हजार का इनाम घोषित किया है।
सहायक पुलिस आयुक्त गोविंद नगर के नेतृत्व में पूरी टीम संदिग्ध अपराधियों की तलाश में शुक्रवार की रात हंसपुरम पहली पुलिया के पास थी। इसी बीच मुखबिर से सूचना मिली कि इनामिया अपराधी मोटर साइकिल से हमीरपुर रोड की तरफ जा रहा था। इसी क्रम में उसका पीछा किया गया तो मुठभेड़ हो गई। फायरिंग के दौरान सुधीर तिवारी गोली लगने से घायल हो गया। उसके कब्जे से एक तमंचा, दो कारतूस, दो मोबाइल, एक मोटर साइकिल और 1330 रुपये बरामद किया है।
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धौलपुर। दस्यु उन्मूलन अभियान के तहत धौलपुर जिला पुलिस की कुख्यात दस्यु केशव गुर्जर के साथ चंबल के बीहड़ में मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में दस्यु गिरोह तथा पुलिस के बीच में करीब 190 राउंड फायर हुए। मुठभेड़ के दौरान करीब सवा लाख का ईनामी दस्यु केशव गुर्जर बच निकला। अब पुलिस द्वारा बीहड़ में दस्यु गिरोह की तलाश की जा रही है।
धौलपुर जिले के बाडी उपखंड क्षेत्र के सोने का गुर्जा इलाके में गांव चन्द्रपुरा के बीहड़ में डकैत केशव गुर्जर एवं गैंग के छिपे होने की सूचना पर पुलिस ने जिला पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह की अगुवाई में इलाके की घेराबंदी कर दस्यु का आत्मसमर्पण के लिए ललकारा लेकिन डकैत केशव एवं उसकी गैंग द्वारा पुलिस टीम पर जान से मारने की नीयत से अन्धाधुन्ध फायर किए गए। पुलिस टीम की जवाबी फायरिंग से घबराकर दस्यु केशव गुर्जर तथा उसके गिरोह के अन्य सदस्य गांव चन्द्रपुरा के आसपास चम्बल नदी के घने जंगल व बीहड़ का फायदा उठाकर भाग गए। करीब एक घंटे तक चली मुठभेड़ में डकैत केशव गुर्जर गैंग एवं पुलिस पार्टी के बीच दोनों ओर से करीब 190 राउंड फायर हुए। पुलिस टीम की जवाबी फायरिंग से घबराकर दस्यु केशव गुर्जर तथा उसके गिरोह के अन्य सदस्य गांव चन्द्रपुरा के आस पास चम्बल नदी के घने जंगल व बीहड़ का फायदा उठाकर भाग गए।
जिला पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि डकैत केशव गुर्जर व उसकी गैंग में उसका भाई शीशराम गुर्जर व अन्य साथी बन्टी पंण्डित मुरैना एवं रामबृज खोटाबाई भी शामिल थे। दस्यु केशव गुर्जर तथा गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में लगातार सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है तथा इस कार्य में ड्रोन की भी मदद ली जा रही है। दस्यु केशव गुर्जर तथा पुलिस टीम के बीच में हुई मुठभेड़ के संबंध में थाना सोने का गुर्जा पर आईपीसी की धारा 353 एवं 307,आर्म्स एक्ट की धारा 3/25, 5/25 एवं 11 आरडीएए एक्ट में मामला दर्ज किया गया है।
डकैत केशव गुर्जर राजस्थान के साथ साथ मध्य प्रदेश व उतर प्रदेश से वांछित है। केशव गुर्जर की गिरफ्तारी पर कुल एक लाख 15 हजार का इनाम घोषित है। वहीं, इसके भाई शीशराम गुर्जर पर 25 हजार रुपये एवं साथी बन्टी पंण्डित पर 5 हजार रुपये का इनाम घोषित है।
मुुरादाबाद। शनिवार को मुठभेड़ के दौरान दबोचे गए खनन माफिया जफर के बाद उसके साथी व फरार चल रहे 50 हजार रुपये के इनामी दिलशाद की तलाश में पुलिस ताबड़तोड़ दबिश दे रही है। आरोपित दिलशाद खनन अधिकारी और एसडीएम से मारपीट कर डंपर छुड़ाकर ले गया था और तभी से वह फरार चल रहा है।
बीते माह 13 सितंबर की रात्रि में ठाकुरद्वारा कोतवाली क्षेत्र में खनन अधिकारी अशोक कुमार और एसडीएम परमानंद से मारपीट कर खनन माफिया डंपर छुड़ाकर ले गए थे जिसके बाद पुलिस ने मामले में 5 नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जांच के वीडियो फुटेज के आधार पर 19 आरोपियों के नाम सामने आए थे। जिसमें आरोपित तैयब, वसीम, मोहम्मद इरफान, मोहम्मद इमरान, मोहम्मद सलमान, शहाबुद्दीन, आरिफ, मुख्त्यार, फुरकान, रईस प्रधान, इरफान, रिजवान, सरताज अहमद, इरशाद, लड्डन व आबिद हुसैन सहित 17 आरोपित गिरफ्तार हो चुके थे। मामले में कंकरखेड़ा निवासी आरोपित खनन माफिया जफर और दिलशाद गिरफ्तार नहीं हुए थे। 12 अक्टूबर को पुलिस को आरोपित जफर के उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर के कुंडा थाना क्षेत्र स्थित गांव भरतपुर में जसपुर के ज्येष्ठ उपप्रमुख गुरताज सिंह भुल्लर के यहां छिपे होने की सूचना मिली। इस पर ठाकुरद्वारा कोतवाल योगेंद्र सिंह के नेतृत्व में पुलिस व एसओजी टीम ने उसी रात भुल्लर के फार्म हाउस पर छापा मारा। इसी बीच देखते-देखते ठाकुरद्वारा पुलिस और एसओजी टीम की ग्रामीणों से भिड़ंत हो गई। गोलियां भी चलीं, जिसमें भुल्लर की पत्नी गुरजीत कौर (28 वर्ष) की मौत हो गई और छह पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। शनिवार की सुबह अमरोहा भाग रहे खनन माफिया जफर की पुलिस से मुठभेड़ हो गई जिसमें आरोपित जफर पुलिस की गोली से घायल हो गया था, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। खनन अधिकारी और एसडीएम पर हमला कर डंपर छुड़ा ले जाने के मामले में जफर सहित अट्ठारह आरोपी अब तक जेल भेजे जा चुके हैं। मामले में 50 हजार का इनामी ठाकुरद्वारा के रतुपुरा निवासी आरोपित दिलशाद अभी भी फरार हैं। दिलशाद के रतूपुरा स्थित घर पर और उसके रिश्तेदारों मित्रों परिचितों के घर पर बराबर पुलिस टीम दबिश दे रही है लेकिन आरोपी अभी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा है। सूत्रों के अनुसार मामले में दिलशाद पर इनाम की धनराशि बढ़ाने के लिए अपर पुलिस महानिदेशक बरेली जोन को रिपोर्ट भेजे जाने की तैयारी चल रही हैं।
मजदूरी करता था फरार ईनामी आरोपित दिलशाद
ठाकुरद्वारा के रतुपुरा निवासी दिलशाद मजदूरी करता था, इसके बाद उसने ड्राइविंग सीखी और वाहन चलाना शुरू कर दिया। लगभग 10-12 साल पहले वह सऊदी अरब चला गया था और वहां पर नौकरी की। 5 साल पहले वह ठाकुरद्वारा में रतूपुरा स्थित अपने घर पर वापस आ गया था और अपने पुराने एक मित्र के साथ खनन के कारोबार में लग गया था। धीरे-धीरे खनन के धंधे में उसके पैर जमते चले गए। इसके बाद उसने पार्टनरशिप में अपना भी डंपर खरीद लिया और संपूर्ण तरीके से खनन का अवैध धंधा शुरू कर दिया। 13 सितंबर को एसडीएम और खनन अधिकारियों ने उत्तराखंड से आ रहे खनन के डंपर पकड़े तो जफर, दिलशाद और खनन धंधे में जुड़े अन्य आरोपित डंपर को छुड़ाने पहुंच गए थे । इसके बाद उन्होंने दोनों अधिकारियों के साथ पुलिसकर्मियों पर हमला पर हमला किया और डंपरलेकर वहां से फरार हो गए थे।
स्टॉकहोम। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माने जाने वाले नोबेल पुरस्कारों के ऐलान की शुरुआत हो गई है। स्वीडन के आनुवांशिकी विशेषज्ञ (जेनेटिसिस्ट) स्वांते पाबो को वर्ष 2022 के लिए मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार मिला है।
नोबेल पुरस्कारों के ऐलान का इंतजार पूरी दुनिया को बेसब्री से रहता है, जिसकी शुरुआत सोमवार को हो गई। सबसे पहले फिजियोलॉजी या मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा हुई। स्वीडन के आनुवांशिकी विशेषज्ञ स्वांते पाबो को विलुप्त होमिनिन और मानव विकास के जीनोम से संबंधित उनकी खोजों के लिए वर्ष 2022 का नोबेल पुरस्कार देने का ऐलान हुआ है।
स्वांते पाबो विकासवादी आनुवंशिकी के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं। पैलियोजेनेटिक्स के संस्थापकों में एक स्वांते पाबो ने निएंडरथल जीनोम पर बड़े पैमाने पर काम किया है। पुरस्कार की घोषणा करते हुए नोबेल पुरस्कार समिति ने कहा कि अपने अग्रणी शोध के माध्यम से, स्वांते पाबो ने कुछ ऐसा किया है, जो असंभव सा प्रतीत होता है। उन्होंने वर्तमान मनुष्यों के विलुप्त संबंधों से जुड़े निएंडरथल के जीनोम को अनुक्रमित करने में सफलता पाई है। यह पुरस्कार ऐसे समय में दिया गया है जब कोविड महामारी ने चिकित्सा अनुसंधान को केंद्र में रखा है। जिस समय स्वांते पाबो के पुरस्कार की घोषणा हुई, वे अपने घर में कॉफी पी रहे थे।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को भौतिकी, बुधवार को रसायन विज्ञान और गुरुवार को साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार की घोषणा की जाएगी।
नई दिल्ली। कटी पतंग, मेरा गाँव मेरा देश और लव इन टोक्यो जैसी यादगार फिल्मों में भूमिका निभाने वाली हिंदी रजत पटल की अपने समय की महान अभिनेत्री आशा पारेख को वर्ष 2020 के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पारेख को यह पुरस्कार नयी दिल्ली में 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वितरण समारोह में 30 सितंबर को प्रदान करेंगी।
52वें दादा साहब फाल्के पुरस्कार के निर्णायक मंडल के इस निर्णय की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को कहा, मुझे यह घोषणा करते हुए सम्मानित महसूस हो रहा है कि दादा साहब फाल्के चयन जूरी ने आशा पारेख जी को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए मान्यता और पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। ठाकुर ने यह भी घोषणा की कि 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 30 सितंबर को नयी दिल्ली में आयोजित किए जाएंगे और इसकी अध्यक्षता भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी।
आशा पारेख ने फिल्मों में अभिनय के अलावा निर्देशक और निर्माता की भूमिका में भी भारतीय सिनेमा को समृद्ध किया। उन्होंने सिनेमा और नृत्यकला प्रेमियों के मन पर एक कुशल भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना के रूप में भी अपनी अमिट डाली है। एक बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू करते हुए उन्होंने दिल देके देखो में मुख्य नायिका के रूप में अपनी शुरुआत की और 95 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। उन्होंने तीसरी मंजिल, आया सावन झूम के, आन मिलो सजना, मेरा गांव मेरा देश जैसी मशहूर फिल्मों में भी यादगार अभिनय किया है। पारेख को फाल्के पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय पांच सदस्यों की जूरी द्वारा लिया गया था। इसमें आशा भोसले, हेमा मालिनी, पूनम ढिल्लो, टी. एस. नागभरण, उदित नारायण शामिल थे। आशा पारेख को 1992 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1998-2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख के रूप में भी काम किया है।