काठमांडू । नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने नवगठित कैबिनेट की संस्तुति पर नौ जनवरी को संसद का विशेष सत्र आहूत किया है। नेपाल के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड दस जनवरी को संसद में विश्वास मत प्राप्त करेंगे।
बीते वर्ष संसदीय चुनावों के बाद नाटकीय घटनाक्रम में पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नेपाल के प्रधानमंत्री पद की कमान संभाली थी। उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त करने के साथ ही राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उन्हें तीस दिन के भीतर संसद के निचले सदन से विश्वास मत प्राप्त करने का निर्देश दिया था। इसके बाद नेपाल के नवगठित कैबिनेट ने नौ जनवरी से संसद का विशेष सत्र बुलाने की संस्तुति की थी। इसी सत्र में प्रचंड विश्वास मत भी हासिल करेंगे।
संसद सचिवालय के प्रवक्ता रोजनाथ पांडेय के मुताबिक विश्वास मत को लेकर प्रधानमंत्री की ओर से एक पत्र भी संसद में भेजा गया है। 20 नवंबर को हुए चुनावों के बाद पहली बार प्रतिनिधि सभा और नेशनल असेंबली की बैठक होने जा रही है। नए मंत्रिमंडल में तीन उप प्रधानमंत्री हैं। ये तीन उप प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के दल सीपीएन-यूएमएल से विष्णु पौडेल, सीपीएन-माओवादी सेंटर से नारायण काजी श्रेष्ठ और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) से रवि लामिछाने हैं।
पिछले महीने तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले प्रचंड ने नाटकीय रूप से नेपाली कांग्रेस के साथ हुआ चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ कर विपक्ष के नेता केपी शर्मा ओली से हाथ मिला लिया था। प्रचंड और ओली के बीच बारी-बारी से सरकार का नेतृत्व करने के लिए सहमति बनी है। प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर ओली ने अपनी सहमति जताई थी।
NEPAL POLITICS
काठमांडू (नेपाल)। संसदीय चुनाव के बाद देश में पिछले करीब पंद्रह दिनों से चल रहे नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम के बाद प्रधानमंत्री पद तक पहुंचे कम्युनिस्ट नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड ने सोमवार को नेपाल के 44वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। भारत और चीन ने प्रचंड को प्रधानमंत्री बनने पर शुभकामनायें दी है।
नेपाल के संसदीय चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद भी नेपाली कांग्रेस संसदीय दल के नेता शेर बहादुर देउबा प्रधानमंत्री नहीं बन सके हैं। उनके साथ गठबंधन बनाकर चुनाव लड़े कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) के नेता पुष्प कमल दहल ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले गठबंधन के साथ सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। उन्होंने 275 सदस्यों के सदन में 165 सदस्यों का समर्थन जुटा कर अपनी नई सरकार के लिए भारी बहुमत का इंतजाम भी कर लिया है। इसमें सीपीएन-यूएमएल के 78, सीपीएन-एमसी के 32, आरएसपी के 20, आरपीपी के 14, जेएसपी के 12, जनमत के 6 और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के 3 सदस्य शामिल हैं। बहुमत का जुगाड़ होने के बाद सोमवार को नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने प्रचंड को नेपाल के 44वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिला दी है।
तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने प्रचंड को भारत और चीन ने बधाई दी है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त होने पर पुष्प कमल दहल प्रचंड को बधाई दी है। उन्होंने लिखा कि भारत और नेपाल के बीच अद्वितीय संबंध लोगों के बीच गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव और गर्मजोशी पर आधारित हैं। उन्होंने इस दोस्ती को और मजबूत बनाने के लिए प्रचंड के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद जाहिर की है। काठमांडू स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने भी प्रचंड की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति के तुरंत बाद ट्वीट कर उन्हें चीन की ओर से बधाई दी।