अलवर। नवरात्र आज से शुरू हो गए हैं। अलवर बाला किला स्थित करणी माता मंदिर में नौ दिवसीय मेला भी शुरू हो गया है। नवरात्र के पहले दिन करणी माता को वृंदावन से मंगाई पोशाक और कोलकाता से मंगाया चांदी और जरकिन से बना मुकुट से श्रृंगार किया गया है। माता का मनमोहक श्रृंगार श्रद्धालुओं को लुभा रहा है।
सुबह से ही माता के मंदिर में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं लेकिन पहले दिन के कारण श्रद्धालुओं की संख्या कम रही। पुलिस व प्रशासन की ओर से मेला परिसर से लेकर प्रताप बंध चौकी तक श्रद्धालुओं के लिए माकूल व्यवस्था की गई है। मंदिर के महंत उमेश शर्मा ने बताया कि सुबह से ही श्रद्धालु मंदिर में पहुंच रहे हैं। नवमी पर मेला समापन होगा। जिसमें हवन पूजन के बाद कन्या पूजन किया जाएगा। मंदिर में सुबह 6 बजे माता की मंगला आरती, सुबह 9 बजे भोग आरती और शाम 6 बजे संध्या आरती रात 11 बजे शयन आरती की जा रही है।
करणी माता मंदिर में दर्शन करने के लिए जाने वाले कुछ श्रद्धालु दुपहिया वाहन पर हेलमेट का प्रयोग नहीं कर रहे हैं जबकि जिला कलेक्टर की ओर से दुपहिया वाहन चालकों को हेलमेट लगाने के निर्देश दिए गए थे। पुलिस और वनविभाग की प्रताप बंध चौकी पर व्यवस्था होने के बावजूद भी कुछ दुपहिया वाहन चालक बिना हेलमेट के ही जा रहे हैं तो कुछ पुलिस को देख हेलमेट लगा आगे रास्ते में उतार लेते है। ऐसे में हादसे की संभावना बनी रहती है।
मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी तरह की अव्यवस्था नहीं हो इसलिए प्रशासन की ओर से प्रताप बंध चौकी से लेकर मंदिर तक की सड़क को दुरुस्त किया गया है। साथ ही रोड पर कई जगह बेरिकेट्स भी लगाए गए है।
Navratra
मीरजापुर । विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी के दरबार में शारदीय नवरात्र मेला की चतुर्थी तिथि पर मां विंध्यवासिनी के कुंष्माडा स्वरूप का भक्तों ने दर्शन किया। सुबह में मंगला आरती के बाद श्रृंगार स्वरूप का दर्शन पूजन करने के लिए भक्त लालायित रहे।
प्रातः काल मंगला आरती के बाद प्रारंभ हुआ चतुर्थी तिथि का दर्शन पूजन का दौर दोपहर तक जारी रहा तत्पश्चात दर्शन पूजन करने आए भक्तों ने गंगा घाट पर स्नान कर मां के दरबार की ओर रुख किया। भक्त गर्मी चिलचिलाती धूप की परवाह न कर हाथों में नारियल, चुनरी, माला, फूल, प्रसाद लेकर कतार में लगे और अपनी बारी का इंतजार करते हुए दिखे। भक्तों के द्वारा लगाए जा रहे मां के जयकारों और घंट घड़ियाल से दरबार सहित संपूर्ण विंध्य क्षेत्र गुंजायमान रहा।
ज्ञात हो कि विंध्याचल धाम में पहली बार विदेशी फूलों से सजावट की गई है। तरह-तरह के देसी- विदेशी पुष्पों की लड़ियों से सजा देवी धाम का भव्य नजारा देख श्रद्धालु विभोर हो रहे हैं। वहीं विंध्याचल के गंगाघाट भी जगमग रोशनी से नहा उठे हैं। श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद मा के दर्शन के लिए मंदिर के गर्भगृह एवं झांकी वाले मार्गों पर लाइन में लगे रहे। अष्टभुजा एवं काली खोह मंदिरों में दर्शन पूजन कर श्रद्धालु त्रिकोण परिक्रमा में जुटे रहे । संपूर्ण त्रिकोण मार्ग भक्तों से पटा रहा। सुबह से ही तेज धूप हो जाने के कारण लाइन में लगे भक्तों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। न्यू वीआईपी मार्ग व पुराने वीआईपी मार्ग पर भक्तों की लंबी लाइन लगी रही। वहीं मेला की व्यवस्था में जिला अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में प्रशासनिक अफसर और पुलिसकर्मी जुटे रहे।
पटना। बिहार में शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा की उपासना का त्योहार शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गया। शुभ मुहूर्त में विधि विधान से नवरात्र आराधना को लेकर कलश की स्थापना कर पूजा शुरू की गई। इसके साथ ही मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना का नौ दिवसीय अनुष्ठान आज से शुरू हो गया। घरों और मंदिरों में पूजा-पाठ एवं दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरु हो गया।
शारदीय नवरात्र को लेकर सुबह होते ही लोग पूजा की तैयारी में लग गये। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान भी किया। इस व्रत को करने वाले लोगों ने घर की साफ-सफाई पूरी करने के बाद कलश स्थापना की। नवरात्र के पहले दिन भगवती के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जा रही है। नवरात्र के पहले दिन ही मां शैलपुत्री की आराधना में पटना आसपास के इलाके के लोग सुबह से ही भक्ति में लीन रहे।
मंदिरों तथा घरों में कलश स्थापना के साथ देवी दुर्गा की आराधना शुरू हो गई है। इस मौके पर बिहार में सभी देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। इस बार नवरात्रि पर्व बेहद खास है। देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है, जो काफी शुभ माना जाता है।
अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से आरम्भ होने वाला शारदीय नवरात्र सोमवार 26 सितम्बर से लगेगा। देवी भागवत् के श्लोक ‘शशि सूर्य गजारुढ़ा . . .’ के अनुसार माता का आगमन हाथी पर होगा जो सुखदायी होता है। ऐसे में माता हमें अन्न-धन से भरने का आशीर्वाद देती हैं।
कलश स्थापन: सोमवार को प्रतिपदा तिथि का आरम्भ सूर्योदय से लगभग ढायी घण्टे पहले ही हो जायेगा। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र और शुक्ल योग में सूर्योदय होगा। प्रातः 07ः03 बजे के बाद हस्त नक्षत्र लगेगा। कलश स्थापन के लिये उत्तरा फाल्गुनी और हस्त दोनों ही नक्षत्र अति उत्तम माने गए हैं। इस प्रकार प्रातः 06ः02 बजे से लेकर दोपहर बाद तक कलश स्थापना शुभकारी होगा।
नवरात्र पूरे नौ दिन का रहेगा। महा पुण्यदायिनी अष्टमी तिथि सोमवार 03 अक्टूबर को है। इस दिन माता के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। मंगलवार 04 अक्टूबर को दिन के 01ः32 बजे तक नौमी रहेगी, जिसमें हवन आदि सम्पन्न होंगे। तत्पश्चात् दशमी हो जाएगी।