लखनऊ। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश दिवस के समापन अवसर पर गुरुवार को कॉमनवेल्थ गेम्स व 36वें नेशनल गेम्स के खिलाड़ियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य सरकार शीघ्र ही कई खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देगी।
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि बसंत पंचमी के पवित्र दिन पर खिलाड़ियों के सम्मान की खुशी है। खिलाड़ी जब खिलाड़ी बनता है तब उनकी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक क्षमता के साथ सबसे महत्वपूर्ण अनुशासन बढ़ता है। बिन अनुशासन मानव जीवन में गड़बड़ी होती है। परिणाम स्वरूप इज्जत पर भी आंच आती है। आमने-सामने जब खेलते हैं, तो कभी हार तो कभी जीत मिलती है। हार पर निराश न हों, आगे जीतने का प्रयास करना चाहिए और जब जीतते हैं तो आडंबर नहीं आना चाहिए।
उत्तर प्रदेश दिवस समारोह के अंतर्गत गुरुवार को राजभवन के गांधी सभागार में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स-2022 व 36वें नेशनल गेम्स-2022 में पदक जीतने व प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों के अलंकरण समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि खिलाड़ी को खेल के साथ पढ़ना कतई नहीं छोड़ना चाहिए। सर्टिफिकेट के साथ आप खेल की दुनिया में नाम रोशन करते हैं। इससे अवसर जल्दी मिलता है। नियुक्ति के लिए डिग्री व खिलाड़ी का सर्टिफिकेट है तो आपका चयन पहले होगा।
विश्वविद्यालय में थीं कबड्डी व खो-खो की चैंपियन
राज्यपाल ने बताया कि वह विश्वविद्यालय में कबड्डी व खो-खो की चैंपियन थीं। बीएससी-एमएससी के साथ मैदान में जाकर खेलते और प्रतिभाग करते थे, फिर घर जाकर रोटी भी पकाती थी। मां छोटी आयु से यह सिखाती है, लेकिन आपकी भी रूचि होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने परंपरागत खेल को सिखाने की भी बात कही थी। परंपरागत खेलों (खो-खो, कबड्डी, दौड़ आदि) में कोई खर्च नहीं है। 8-10 बच्चे मिलकर खेल लेते हैं। राजभवन में 40-45 बच्चियों को जूडो सिखवाया। वे स्कूलों में मेडल जीतकर आती हैं। अब लड़कों के लिए जूडो सिखाने की शुरुआत की। 2 वर्ष से हम परंपरागत खेल चला रहे हैं। लगभग 22-23 खेल हमारे बच्चे सीखते और प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं।
घर जाकर मां को मेडल पहना देना
खिलाड़ियों की हौसलाअफजाई करते हुए राज्यपाल ने कहा कि बेटियां 240 किलो वजन उठा रही हैं। हम तो सब्जी लेने भी जाते हैं तो नौकर लेकर जाते हैं। आज हमारी यह स्थिति हो गई है। खेल से सब कुछ मिलता है। बैठने व बात करने से कुछ नहीं मिलता। सुबह 4 बजे उठना पड़ता है। कई बार मैंने देखा कि 4 बजे बच्चों के साथ मां भी जाती है। 2-3 घंटे व्यायाम के बाद मां बच्चे को घऱ लेकर आती हैं, फिर तैयार कर स्कूल भेजती हैं। मत भूलिए, मां ने आपकी सबसे अधिक मदद की है। आप मां-पिता को मत भूलिए। मैं विश्वविद्यालयों में भी कहती हूं कि अपना मेडल सबसे पहले मां को पहना देना और बोलना-मां तेरे प्रयास से यह मेडल प्राप्त हुआ है।
टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों का भी किया सम्मान : योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 74वें गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुए कहा कि भारत बड़ी ताकत के रूप में पीएम के पंच प्रण के अभियान के साथ जुड़ रहा है। आज बसंती पंचमी भी है। यह प्रकृति के सौंदर्य व सुंदरता को प्रदर्शित करने वाली प्राकृतिक परिवर्तन की महत्वपूर्ण कड़ी है। ज्ञान की अधिष्ठात्री मां शारदे के पूजन की भी तिथि है।
सीएम ने कहा कि प्रदेश में खेल और इससे जुड़ी विभिन्न विधाओं को बढ़ाने के लिए 8 वर्ष में अनेक कार्यक्रम हुए। पीएम मोदी के मार्गदर्शन व प्रेरणा से खेलो इंडिया के कार्यक्रम बढ़े, उसके परिणाम दिख रहे हैं। टोक्यो ओलंपिक में जिन खिलाड़ियों ने प्रतिभाग-पदक जीता, उन सभी खिलाड़ियों को इकाना स्टेडियम में अलग समारोह में सम्मानित किया था। यूपी देश का इकलौता राज्य था, जिसने न सिर्फ अपने राज्य, बल्कि मेडल जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को सम्मानित किया था। पैरालंपिक में भी यूपी के खिलाड़ियों व मेडल जीतने वाले देश के खिलाड़ियों को मेरठ में सम्मानित किया था। प्रदेश सरकार ने खेल में अनेक कार्यक्रमों को बढ़ाया। खेल व युवा कल्याण विभाग के जरिए अलग-अलग कार्यक्रम चल रहे हैं।
हर ग्राम पंचायत में उपलब्ध कराई जा रही स्पोट्रस किट
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर गांव में कन्वर्जन के माध्यम से खेल मैदान के लिए जमीन आरक्षित करने, ओपन जिम निर्माण, ब्लाक स्तर पर मिनी स्टेडियम, जनपद स्तर पर स्टेडियमों की कार्रवाई युद्ध स्तर पर चल रही है। प्रदेश में खेल प्रतिभाओं को बढ़ाने के लिए ओलंपिक या अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को राजपत्रित अधिकारी बनाने की दिशा में काम किए। दो खिलाड़ियों (ललित उपाध्याय व विजय यादव) को राजपत्रित अधिकारयों के रूप में नियुक्ति पत्र दिया। शीघ्र ही कई अन्य खिलाड़ियों को राज्य सरकार में नौकरी देने जा रहे हैं। मेजर ध्यानचंद के नाम पर प्रदेश का पहला खेल विश्वविद्यालय मेरठ में बनने जा रहा है। मेरठ के खेल उत्पादों को हमने ओडीओपी का हिस्सा बनाया। युवक व महिला मंगल दल के माध्यम से स्पोर्ट्स किट हर ग्राम पंचायत में उपलब्ध कराई जा रही है।
सीएम ने कहा कि यूपी सरकार ओलंपिक में एकल गेम में स्वर्ण जीतने पर 6 करोड़, रजत पर 4 करोड़ व कांस्य जीतने पर दो करोड़ देती है। टीम गेम्स में स्वर्ण पदक पर तीन करोड़, रजत पदक पर दो करोड़ व कांस्य जीतने वाले खिलाड़ियों को एक करोड़ की पुरस्कार राशि दे रहे हैं। एशियन गेम्स में स्वर्ण पर तीन करोड़, रजत पर डेढ़ करोड़ व कांस्य पर 75 लाख रुपये दे रहे। कॉमनवेल्थ व विश्व कप चैंपियनिशप में स्वर्ण पदक पर डेढ़ करोड़, रजत पर 75 लाख व कांस्य पर 50 लाख रुपये पुरस्कार स्वरूप दे रहे। ओलंपिक में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को 10-10 लाख तथा एशियन-कॉमनवेल्थ में 5-5 लाख रुपये देते हैं। बर्मिंघम (इंग्लैड) में हुए कॉमनवेल्थ में प्रदेश के 14 में से 4 रजत व 4 कांस्य पदक खिलाड़ियों ने जीता। 29 सितंबर-12 अक्टूबर 22 ( गुजरात में 36वें नेशनल गेम्स) में यूपी के खिलाड़ियों ने 18 खेलों में 20 स्वर्ण, 18 रजत व 18 कांस्य पदक जीतकर गौरव बढ़ाया।
इस अवसर पर खेल व युवा कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गिरीश चंद यादव, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, अपर मुख्य सचिव (खेल) नवनीत सहगल आदि मौजूद रहे।
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों द्वारा गुजरात में हो रहे 36वें राष्ट्रीय खेलों में बास्केटबॉल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टीम को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
आज़ादी के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश ने सोमवार को बास्केटबॉल प्रतियोगिता में महाराष्ट्र को हरा कर स्वर्ण पदक जीता है। इस उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बास्केट बाल टीम के कप्तान हर्ष डागर से फोन पर वार्ता कर बधाई दी।
इससे पहले रविवार को 36वें राष्ट्रीय खेलों में उप्र की कबड्डी टीम चैंपियन बनी थी। कबड्डी में भी उत्तर प्रदेश ने पहली बार स्वर्ण पदक जीता है। मुख्यमंत्री योगी ने उत्तर प्रदेश कबड्डी टीम को भी बधाई दी है। टीम के कप्तान राहुल चौधरी से फोन पर बात कर योगी ने पूरी टीम के खेल की सराहना की और शुभकामनाएं दीं।
अहमदाबाद। मुरली कुमार गावित का ध्यान इस खबर से दूर है कि गुजरात को ट्रैक एंड फील्ड एथलीट में राष्ट्रीय खेलों में पदक जीते दो दशक हो गए हैं। वह इस दबाव से दूर हैं क्योंकि अब वह अपने घर में 36वें राष्ट्रीय खेलों में एथलेटिक्स में पदक जीतने की तैयारी कर रहे हैं। मुरली शनिवार को अपने मुकाबले में उतर सकते हैं।
मुरली ने कहा, ” मैं पिछले कुछ सालों से इस राष्ट्रीय खेलों का इंतजार कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि अब यह मेरे में घर हो रहा है। मैं इसमें अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा और अपने राज्य को गौरवान्वित करूंगा। इस राज्य ने मुझे वह बनाया है जो मैं आज हूं और मैं गांधीनगर में पोडियम पर आने की पूरी कोशिश करूंगा।
मुरली अपने जीवन के शुरुआती दौर में आदिवासी बालक के रूप में डांग जिले के सुदूर और कम आबादी वाले कुमारबंध गांव में मवेशियों को चराता था। मुरली के कोच नीलेश कुलकर्णी ने शुरू से ही उनकी काफी मदद की है। उन्होंने कहा, ” वह कुछ पैसे लेने और अपने परिवार की मदद करने के लिए स्थानीय बैठकों में भाग लेता था। 2015 के आसपास से, गुजरात सरकार ने उन्हें एक चैंपियन के रूप में ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”
जून 2016 में वियतनाम के हो ची-मिन्ह सिटी में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में भारत के लिए 5,000 मीटर रेस में कांस्य जीतकर मुरली ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हासिल की थी। 2019 में उन्होंने एशियाई एथलेटिक्स में 10,000 मीटर दौड़ में रजत जीता था। इस रेस में उन्होंने 28:38.34 के अपने सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत समय निकाला था।
मुरली ने आखिरी बार तीन साल पहले राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता जीती थी, जब उन्होंने पटियाला में एएफआई फेडरेशन कप में 5000-10000 में पदक जीता था, जहां उन्होंने 201 9 एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपने पहले ही प्रयास में रजत पदक हासिल किया था। मुरली के लिए जीत की राह पर लौटने के लिए राष्ट्रीय खेलों से बेहतर कोई मंच नहीं हो सकता।
मुरली का लक्ष्य अब 2002 में हैदराबाद में चेतना सोलंकी के महिला पोल वॉल्ट खिताब के बाद से राष्ट्रीय खेलों के एथलेटिक्स प्रतियोगिता में गुजरात के पदक के सूखे को समाप्त करना है। मुरली की जीत निश्चित रूप से गुजरात के कई और युवाओं को एथलेटिक्स में भाग लेने के लिए प्रेरित करेगी
अहमदाबाद। ओलम्पिक खेलों में भारोत्तोलन स्पर्धा की रजत पदक विजेता मीराबाई चानू गांधीनगर के महात्मा मंदिर परिसर में सबसे बड़ा ड्रॉ होंगी, जब शुक्रवार को 36वें राष्ट्रीय खेलों की धूम मचेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक भव्य समारोह में गेम्स के शुरू करने की घोषणा के एक दिन बाद नौ और स्पर्धाओं के साथ प्रतियोगिताएं शुरु होंगी।
यहां अहमदाबाद सैन्य और राइफल प्रशिक्षण केंद्र में घरेलू पसंदीदा ओलम्पियन इलावेनिल वालारिवन और पश्चिम बंगाल की मेहुली घोष महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में सबका ध्यान आकर्षित करेंगी। जिस दिन निशानेबाजी में तीन स्वर्ण पदक तय होंगे, उस दिन 2012 के ओलम्पिक खेलों के रजत पदक विजेता विजय कुमार की वापसी को भी काफी दिलचस्पी से देखा जाएगा।
शुक्रवार का दिन भारोत्तोलन के अलावा, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, तलवारबाजी, जिमनास्टिक, खो-खो, रोलर स्पोर्ट्स, रोइंग और कुश्ती में एथलीटों को भारतीय खेलों में सबसे भव्य मंच पर अपने कौशल का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करेगा। अहमदाबाद में रग्बी 7एस और भावनगर में नेटबॉल में स्वर्ण पदक के मैच भी होंगे।
विश्व चैम्पियनशिप के लिए चीन जाने से पहले देश के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिले, इसलिए उनकी सुविधानुसार टेबल टेनिस स्पर्धाएं पिछले सप्ताह सूरत में आयोजित की गई थीं। अहमदाबाद में कबड्डी, रग्बी 7एस और टेनिस के साथ-साथ भावनगर में नेटबॉल में प्रतिस्पर्धा के शुरुआती चरण कुछ दिन पहले शुरू हुआ था। धोलेरा में लॉन बाउल्स और यहां 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल इवेंट में पहले ही कुछ एक्शन देखा जा चुका है।
आईआईटी गांधीनगर में, पुरुषों और महिलाओं के लिए 20 किमी की पैदल चाल स्पर्धा में क्रमशः राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता संदीप कुमार और प्रियंका गोस्वामी की प्रविष्टियां चर्चा की विषय बनी हुई है। कॉमनवेल्थ गेम्स में ट्रिपल जंपर्स एल्धोस पॉल और अब्दुल्ला अबूबकर की सफलता के मद्देनजर जंपिंग पिट पर भी काफी ध्यान लगा रहेगा।
आईआईटी से काफी करीब, महात्मा मंदिर परिसर भारोत्तोलन, तलवारबाजी और कुश्ती में पदकों के मुकाबलों के साथ जीवंत होगा, जबकि सुरम्य साबरमती रिवरफ्रंट में भारत के सर्वश्रेष्ठ रोइंग और रोलर स्पोर्ट्स एथलीट नजर आएंगे। वहीं संस्कारधाम स्कूल की वनीय इलाके में तीरंदाजी और खो-खो स्पर्धाएं होंगी।
राष्ट्रीय खेल कारवां अहमदाबाद के अलावा सूरत और भावनगर जैसे शहरों को छू चुका है और यह शुक्रवार से शुरू होने वाली जिम्नास्टिक स्पर्धाओं के साथ वडोदरा में प्रवेश करेगा। पांच दिवसीय प्रतियोगिता में सबसे पहले कलात्मक जिम्नास्टिक में पुरुष और महिला टीम के पदक तय हो जाएंगे।
हाल ही में बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने वाले प्रणति नायक (पश्चिम बंगाल) और प्रोतिस्थ सामंत (त्रिपुरा) के साथ-साथ सत्यजीत मंडल (पश्चिम बंगाल) और सैफ तंबोली (सर्विसेज) उन जिमनास्टों में शामिल हैं, जो थ्राल में समा इंडोर स्पोर्ट्स में शक्ति और नजाकतता से भरे अपने हैरतंगेज प्रदर्शन से प्रशंसकों का मनोरंजन करेंगे।
गांधीनगर । ओलंपियन भवानी देवी यहां गुजरात में 36वें नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदकों की हैट्रिक पूरी करने के लिए फ्रांस से पूरी यात्रा करने के लिए तैयार हैं। 2015 में पिछले खेलों के बाद से लंबे अंतराल का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा, मैंने नेशनल गेम्स में अपना तीसरा स्वर्ण पदक जीतने के लिए कड़ी मेहनत की है।
उन्होंने कहा, तीन महीने पहले जब मैंने सुना कि गुजरात ने खेलों की मेजबानी के लिए कदम रखा है तो मैं रोमांचित हो गई। चैंपियन फेंसर ने अपने कारनामों से देश में अकेले ही खेल को लोकप्रिय बनाया है और वह अब गांधीनगर में 30 सितंबर से शुरू होने वाली प्रतियोगिता का और इंतजार नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, नेशनल गेम्स मेरे लिए एक बहुत ही खास प्रतियोगिता है। मैं इसका इंतजार कर रही हूं। इससे भी ज्यादा यह गुजरात में मेरा पहला कार्यक्रम होगा। उन्होंने आगे कहा, मुझे लगता है कि पिछले सात वर्षों में भारतीय तलवारबाजी ने एक लंबा सफर तय किया है। इस बार प्रतियोगिता अलग होगी और मैं फिर से अच्छा प्रदर्शन करना चाहती हूं।
फरवरी 2015 में वापस, भवानी देवी ने कोच्चि उपनगर, नेदुंबस्सेरी में महिला कृपाण फाइनल में पंजाब की कोमलप्रीत शुक्ला को हराया। इससे पहले, 2011 में रांची में, उन्होंने केरल टीम की अपनी साथी रीथा पुथुसेरी को हराकर अपना पहला स्वर्ण पदक जीता था।
वह पिछले दो नेशनल गेम्स में विजेता केरल टीमों का हिस्सा थीं, क्योंकि वह थालास्सेरी में साई केंद्र में प्रशिक्षण ले रही थीं।
सूरत । गुजरात की पुरुष टेबल टेनिस टीम ने 36वें राष्ट्रीय खेलों के फाइनल मुकाबले में दिल्ली के खिलाफ एक भी सेट गंवाए बिना स्वर्ण पदक जीत लिया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि खिताब की दावेदार गुजरात की पुरुष टेबल टेनिस टीम ने आज यहां 36वें राष्ट्रीय खेलों के फाइनल मुकाबले में दिल्ली के खिलाफ एक भी सेट गंवाए बिना स्वर्ण पदक जीतकर अपने प्रशंसकों को जश्न मनाने का मौका दिया जबकि महिला वर्ग में पश्चिम बंगाल ने महाराष्ट्र को हराकर पहला स्थान हासिल किया। सात साल बाद हो रहे राष्ट्रीय खेलों में ये पहले स्वर्ण पदक मैच थे।
महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल ने सेमीफाइनल में हार के बाद पुरुषों के वर्ग कांस्य पदक जीते जबकि तमिलनाडु और तेलंगाना ने महिलाओं के वर्ग में कांस्य पदक जीता।
पुरुषों के टूर्नामेंट में शीर्ष वरीयता प्राप्त गुजरात प्रतियोगिता की शुरुआत से ही शानदार फॉर्म में था और एकमात्र सवाल यह था कि क्या दिल्ली कम से कम जोरदार मुकाबला कर सकती है। घरेलू टीम का दबदबा इतना अधिक था कि उसने एक भी रबर नहीं गंवाया और पदक तालिका में अपने राज्य का खाता खोला।
फाइनल में जाने के बाद गुजरात ने एकमात्र बदलाव यह किया कि मानव ठक्कर ने पहले एकल मैच में कप्तान हरमीत देसाई की जगह ली। ठक्कर ने शुरुआती सेट में सुधांशु ग्रोवर पर दबदबा बनाया। हालांकि दिल्ली के इस पैडलर ने अगले दो सेटों में जोरदार मुकाबला किया, लेकिन वह पूर्व जूनियर वर्ल्ड नंबर-1 से आगे निकल नहीं सके और सीधे सेटों में 11-3, 13-11, 14-12 से हार गए।
दिल्ली को उम्मीद थी कि पायस जैन सेमीफाइनल में अपना जौहर दोहरा सकते हैं लेकिन हरमीत देसाई उनके लिए बहुत मजबूत साबित हुए। दिल्ली का खिलाड़ी चार मैच अंक बचाने में सफल रहा और उसने वापसी करने का दावा पेश किया लेकिन गुजरात के कप्तान पीछे हटने के मूड में नहीं थे और अपनी टीम को 2-0 की बढ़त दिलाने के लिए पहले दो एक्सटेंडेड प्वाइंट्स हासिल किए।
इसके बाद मानुष शाह ने यशांश मलिक को हराकर गुजरात की जीत पक्की की। इस तरह पिछले संस्करण के रजत पदक विजेताओं को घरेलू मैदान पर पोडियम पर और ऊंचा चढ़ने का मौका मिला।