ऋषिकेश । उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण जनपद टिहरी और पौड़ी को जोड़ने के साथ देश विदेश से आने वाले करोड़ों पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने मुनि की रेती स्थित राम झूला पुल के नीचे का पुस्ता बह जाने के कारण पर्यटकों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है।
बताया जा रहा है कि गंगा के उफान पर आने की वजह से इस पुस्ते को नुकसान हुआ है। सुरक्षा की दृष्टि से एसडीएम के निर्देश पर राम झूला पुल पर पर्यटकों की आवाजाही रोक दी गई है। पुलिस ने बैरिकेडिंग कर पर्यटकों को राम झूला पुल पर जाने से रोकना शुरू कर दिया है।
नरेंद्र नगर के एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि पर्यटकों की सुरक्षा प्रशासन की पहली प्राथमिकता है। भारी बारिश की वजह से राम झूला पुल के नीचे का पुस्ता बह गया है। पीडब्ल्यूडीकी एक टीम निरीक्षण करने के लिए राम झूला भेजी गई है। इंजीनियरों की टीम निरीक्षण करने के बाद जो रिपोर्ट सौंपी जाएगी उसके आधार पर राम झूला पुल पर आवाजाही को लेकर निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल उच्च अधिकारियों को भी मामले की जानकारी दे दी गई है।
पुलिस को पर्यटकों को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एसएसआई गोपाल दत्त भट्ट ने बताया कि निर्देशों के आधार पर राम झूला पुल पर बैरिकेडिंग लगा दी गई है। पुलिस कर्मियों की तैनाती भी की गई है, जिससे कि पर्यटक राम झूला पुल पर आवाजाही ना कर सके। लक्ष्मण झूला थाना पुलिस को भी इस संबंध में सूचना दे दी गई है।
गौरतलब है कि राम झूला पुल पर आवाजाही रोके जाने से पर्यटकों में अब मायूसी देखने को मिल रही है। जानकी झूला पुल पर पर्यटकों की आवाजाही अब और ज्यादा तेज हो गई है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के निरीक्षण के बाद कम संख्या में लोगों को पैदल राम झूला से भेजा जा रहा है,लेकिन दुपहिया वाहनों के लिए आवाजाही रोक दी गई है, दुपहिया वाहन जानकी सेतु से आवाजाही कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश का था सबसे लंबा झूला पुल-
राम झूला पुल का निर्माण 7 मार्च 1985 से आरंभ हुआ था जो 5 अप्रैल 1986 को पूरा हो पाया। तत्कालीन उत्तर प्रदेश राज्य में 1.02 करोड़ की लागत से बना यह पुल उस समय राज्य का सबसे लंबा झूला पुल था। पुल का निर्माण उत्तर प्रदेश शासकीय निर्माण विभाग की ओर से कराया गया था। इस पुल का नाम शिवानंद झूला रखा गया था, जो बाद में राम झूला के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 220.4 मीटर लंबाई तथा 02 मीटर चौड़ाई वाले इस पुल के टावर की ऊंचाई 21 मीटर है, जो 44 मिमी व्यास के 24 रस्सों पर टिका हुआ है। इस पुल की परिकल्पना रुड़की विश्वविद्यालय के भूकंप यांत्रिकी विभाग की ओर से की गई थी। इस पुल पर भार वाहन क्षमता 500 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर है।
Muni ki Reti
ऋषिकेश। थाना मुनि की रेती क्षेत्र अंतर्गत में स्थित रामस्वरूप आश्रम में घोड़े पर सवार जगतगुरु स्वामी ब्रह्मानंद की मूर्ति को 10-15 लोगों द्वारा तोड़फोड़ कर गंगा जी में बहा दिए जाने के बाद उनके अनुयायियों में भारी रोष उत्पन्न हो गया है। इसकी रिपोर्ट मुनी की रेती में दर्ज करा दी गई है।
मंगलवार को आश्रम के महंत रामस्वरूप ब्रह्मचारी द्वारा थाने में दी गई तहरीर में कहा कि संतों की मौजूदगी में उनके गुरु जगतगुरु स्वामी परमानंद जी की घोड़े पर सवार मूर्ति की स्थापना अनुष्ठान आदि के उपरांत की गई थी।
बीती 23 दिसंबर की रात 12:00 बजे उनके आश्रम मैं मौजूद उनके कर्मचारी को डरा धमका कर झोपड़ी में बंद किए जाने के बाद हरियाणा से आए राजू सिंह, रामकुमार, कुलदीप उर्फ दीपू, नरेंद्र सिंह, दीपक उर्फ सहित 15 से 20 लोगों ने एक राय होकर आश्रम में काम करने वाले कर्मचारी राजकुमार से आश्रम के महंत रामस्वरूप ब्रह्मचारी को पूछते हुए कहा कि वह कहां है, उसे हम जिंदा नहीं छोड़ेंगे और उसे जान से मार कर गंगा जी में बहा देंगे, जब उनका विरोध किया गया तो राजकुमार का फोन छीन लिया और मूर्ति को पूरी तरह से तहस-नहस कर गंगा जी में बहा दिया, इस दौरान वह अपने मुंह पर नकाब पहने हुए थे। यह सारी घटना आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है।
रामस्वरूप ब्रह्मचारी ने इस मामले में तहरीर देकर अपनी जान-माल की सुरक्षा के साथ मूर्ति तोड़ने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग की है। थाना प्रभारी रितेश शाह ने बताया कि मामले की तहरीर उन्हें मिल गई है। संबंधित धाराओं में मुकदमा कर जांच प्रारंभ कर दी गई है।आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगाला जा रहा है।