डोनेत्स्क । यूक्रेन के रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों में रूस में शामिल होने के लिए शुक्रवार को तथाकथित ‘जनमत संग्रह आयोजित किया जा रहा है। रूस यूक्रेन के क्षेत्र पर कब्जा करने के लिए लगातार आगे बढ़ रहा है। यूक्रेन के 4 हिस्सों- डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जपोरिजिया को औपचारिक रूप से अपना हिस्सा बनाने के लिए रूस की ओर से यहां वोटिंग शुरू हो गई है। यानी यहां रहने वाले लोग तय करेंगे कि वे रूस में शामिल होने चाहते हैं या नहीं। वोटिंग 5 दिन यानी 27 सितंबर तक चलेगी।
पुतिन ने रूस के कंट्रोल वाले पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन के इन चार हिस्सों में जनमत संग्रह का ऐलान किया था। यहां रूसी नागरिकों की संख्या काफी ज्यादा है। इन 4 इलाकों का रूस का हिस्सा बनने का मतलब यूक्रेन का आर्थिक रूप से तबाह होना होगा।
चुनाव अधिकारी जनमत संग्रह के पहले 4 दिन यानी 23 सितंबर से 26 सितंबर तक लोगों के घर बैलेट्स (मतपत्र) लेकर जाएंगे। इसके लिए रेसिडेंशियल एरिया में ही मतदान केंद्र बनाए गए हैं। वोटिंग के आखिरी दिन यानी 27 सितंबर को लोग मतदान केंद्र में जाकर वोट डालेंगे। उस दिन सैकड़ों मतदान केंद्र खुलने वाले हैं, जिसमें मतदाता अपने क्षेत्र से बाहर के क्षेत्रों में भी मतदान कर सकेंगे जबकि शरणार्थी रूस के कुछ हिस्सों में ही मतदान करने के योग्य होंगे।
रूस ने जंग की शुरूआत में डोनेट्स्क और लुहांस्क को आजाद घोषित कर दिया था। अब रूस यहां अपनी सरकार बनाना चाहता है, जिसके लिए वोटिंग हो रही है।
वर्ष 2014 से रूसी समर्थित अलगाववादियों के नियंत्रण वाले लुहांस्क और डोनेट्स्क के कुछ हिस्सों जहां वोटिंग पेपर केवल रूसी में लिखे जाएंगे। दोनों स्थानों पर इस साल अधिक क्षेत्र लिया गया है।
यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों ने भूमि हड़पने के रूप में इस कदम की निंदा की है और मतपत्रों के परिणामों को पहचानने से इनकार कर दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि यह ‘खतरनाक तनाव वृद्धि है। उन्होने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि यूक्रेन की धरती पर रूस का कोई भी दावा यूक्रेन के अपने बचाव के अधिकार को नहीं छीन सकता।
गुरुवार की रात को अपने संबोधन में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि मतपत्र ‘दिखावा और ‘अलोकतांत्रिक है। आशंका जताई जा रही है कि इससे युद्ध में और तेजी आ सकती है। रूस ने वर्ष 2014 में तथाकथित जनमत संग्रह के जरिये दक्षिणी यूक्रेन में क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था जिसे इसी तरह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से नाजायज करार दिया गया था।