जम्मू। रोहिंग्याओं को आश्रय और सरकारी लाभ प्रदान करने में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ जम्मू के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में सात प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। यह जानकारी मंगलवार को पुलिस ने दी। एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि जम्मू जिले के विभिन्न स्थानों सतवारी, त्रिकुटा नगर, बाग-ए-बाहु, छन्नी हिम्मत, नोवाबाद, दोमाना और नगरोटा पुलिस स्टेशनों पर तलाशी के बाद प्राथमिकी दर्ज की गईं।
अधिकारी ने कहा कि प्राथमिकियां उन लोगों के खिलाफ दर्ज की गईं, जिन पर विदेशी प्रवासियों को आश्रय प्रदान करने और उन्हें सरकारी लाभ प्राप्त करने में मदद करने का आरोप है। प्रवक्ता ने कहा कि मजिस्ट्रेटों की मौजूदगी में तलाशी विभिन्न स्थानों पर की गई जहां रोहिंग्याओं को ठहराया गया है और सुविधा देने वालों के आवासीय स्थानों पर भी तलाशी ली गई।
अधिकारी ने कहा कि तलाशी के दौरान अवैध रूप से अर्जित भारतीय दस्तावेज जैसे पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक दस्तावेज और अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई। उन्होंने कहा कि मामले की जांच शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसे सभी आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले सोमवार को किश्तवाड़ जिले की पुलिस ने जिले में रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई के दौरान आधार कार्ड जैसे अवैध रूप से प्राप्त दस्तावेजों की बरामदगी के बाद मामला दर्ज किया था। मामला पुलिस स्टेशन दच्छन में 420 (धोखाधड़ी), 467 (महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करना) सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया था।
रोहिंग्या म्यांमार के बंगाली-बोली बोलने वाले मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। अपने देश में उत्पीड़न के बाद कई रोहिंग्या बांग्लादेश के माध्यम से अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर गए हैं और जम्मू व देश के अन्य हिस्सों में शरण ली। सरकारी आंकड़ों के अनुसार रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी नागरिकों सहित 13,700 से अधिक विदेशी जम्मू और जम्मू-कश्मीर के अन्य जिलों में बसे हुए हैं, जहां 2008 और 2016 के बीच उनकी आबादी 6,000 से अधिक बढ़ गई है। इससे पहले मार्च 2021 में पुलिस ने एक सत्यापन अभियान के दौरान जम्मू शहर में अवैध रूप से रह रहे महिलाओं और बच्चों सहित 250 से अधिक रोहिंग्याओं को पाया और बाद में उन्हें उप-जेल कठुआ के अंदर एक होल्डिंग सेंटर में रखा गया है।