नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जिसमें मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 का उल्लंघन करनेवाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने पर रोक लगाई गई है। जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सभी धर्मांतरण को अवैध नहीं कहा जा सकता है।
मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के तहत धर्म परिवर्तन करने के इच्छुक व्यक्ति को इस संबंध में जिलाधिकारी को एक घोषणापत्र देना होगा। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 14 नवंबर 2022 को इस प्रावधान पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि अगर वयस्क नागरिक अपनी मर्जी से विवाह करते हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।
मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक संविधान बेंच की ओर से ऐसे ही प्रावधान को बनाये रखने के बावजूद धारा 10 पर हाईकोर्ट ने रोक लगाकर गलती की है।
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