लखनऊ/पीलीभीत । उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के टाइगर रिजर्व में अब गजराज (हाथियों) के लिए भी नया आशियाना बनाया जायेग। तराई के जंगलों में अब बाघों के साथ गजराज (हाथियों) विचरण करते मिलेंगे। केंद्र सरकार के बाद प्रदेश सरकार ने भी तराई एलिफैंट रिजर्व की स्थापना की मंजूरी दी है। इस कदम से यहां पर्यटकों की संख्या दोगुनी होने का भी अनुमान लगाया जा रहा है।
पीलीभीत एलिफैंट रिजर्व उत्तर प्रदेश का दूसरा और देश का 33वां एलिफैंट रिजर्व होगा। इसमें टाइगर रिजर्व का बहुत बड़ा हिस्सा इसके लिए संरक्षित किया गया है। इसकी रेंज की सीमा नेपाल की शुक्ला फंटा सेंचुरी से मिली हुई है। यहां बड़े पैमाने पर गजराज (हाथियों) का नेपाल से आना-जाना बना रहता है। गजराज को पीलीभीत में भी प्राकृतिक आनंद मिलता है और समय-समय पर यहां पर आते-जाते रहते हैं।
बराही रेंज लग्गा-बग्गा से लेकर दुधवा टाइगर रिजर्व तक का जंगल गजराज (हाथियों) का कॉरिडोर माना जाता है। कई वर्षों तक गजराज इन इलाकों में विचरण करते रहे हैं। समय के साथ-साथ आए बदलाव में कॉरिडोर खेती में तब्दील हो गया। जंगल क्षेत्र को उजाड़ कर खेती शुरू कर दी गई। इसके बावजूद भी नेपाल की ओर से गजराज के आने-जाने का सिलसिला जारी है। कॉरिडोर नष्ट होने से गजराज रास्ता भटकते रहे। पिछले कुछ सालों से स्थिति बिगड़ने लगी थी। इसके बाद विभागीय स्तर से रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी गई। 22 अक्टूबर 2022 को केंद्र पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट से रिजर्व को केंद्र की मंजूरी मिलने की जानकारी दी जा चुकी है।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने शुक्रवार को बताया कि एक दनि पूर्व प्रदेश सरकार ने तराई एलिफैंट रिजर्व की प्रस्तावना को मंजूरी दे दी है। इसमें पीलीभीत टाइगर रिजर्व का 73024.98 हेक्टेयर हिस्सा शामिल किया गया है। यह हाथियों के संरक्षण के लिए बेहतर उपलब्धि साबित हो सकता है।
Tag: