लखनऊ। योगी सरकार ने 2024-25 में प्रदेश का सबसे बड़ा बजट प्रस्तुत करते हुए प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कई प्राविधान किए हैं। इसमें बेसिक शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ-साथ नए छात्रों के प्रवेश के लिए बजट की व्यवस्था की गई है, तो माध्यमिक शिक्षा में आईसीटी लैब की व्यवस्था के साथ उच्च और प्राविधिक शिक्षा के तहत नए विश्वविद्यालय और राजकीय पॉलीटेक्निक के निर्माण की ओर ध्यान दिया गया है।
बच्चों की ड्रेस और बैग के लिए 1000 करोड़
बेसिक शिक्षा के तहत योगी सरकार ने कक्षा-1 से 08 तक अध्ययनरत लगभग 02 करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं के लिए निःशुल्क स्वेटर एवं जूता-मोजा उपलब्ध कराने हेतु 650 करोड़ तथा स्कूल बैग हेतु 350 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। बेसिक शिक्षा के तहत छात्र/छात्राओं के लिए यूनीफार्म, स्वेटर, स्कूल बैग, जूता मोजा एवं स्टेशनरी उपलब्ध कराने के लिए क्रय प्रक्रिया को बंद करते हुए डीबीटी के माध्यम से 1200 रुपए प्रति बच्चे की दर से धनराशि सीधे अभिभावकों के खाते में हस्तान्तरित की जा रही है। इसके अलावा, वंचित एवं दुर्बल वर्ग के 02 लाख से अधिक बच्चों को वित्तीय वर्ष 2024-2025 में प्रवेश दिलाए जाने का लक्ष्य है, जिसके लिए 255 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। इसी के साथ ऑपरेशन कायाकल्प के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-2025 में 1000 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त 2023-2024 में 300 करोड़ रुपए से ग्राम पंचायत एवं वार्ड स्तर पर डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना कराई जा रही है जिसके लिए 2024-2025 में 498 करोड़ रुपए की बजट व्यवस्था की गई है। वनटांगिया गांवों में 36 प्राथमिक विद्यालयों के संचालन के 144 पद सृजित किए गए हैं तो गरीबी रेखा से ऊपर के लगभग 30 लाख छात्रों को निःशुल्क यूनिफार्म वितरण के लिए 168 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
आधारभूत सुविधाओं से लैस होंगे माध्यमिक विद्यालय
माध्यमिक शिक्षा के तहत, 2024-2025 तक प्रदेश के समस्त राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को आधारभूत सुविधाओं से लैस किए जाने एवं प्रत्येक राजकीय माध्यमिक विद्यालय में स्मार्ट क्लास तथा आईसीटी लैब की व्यवस्था किए जाने के लिए समग्र शिक्षा योजना के तहत 516.64 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है। इसके साथ ही, सहायता प्राप्त अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के लिए 200 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है। यही नहीं, नए राजकीय संस्कृत विद्यालयों की स्थापना के लिए 5 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है। राजकीय संस्कृत विद्यालयों में छात्रावास एवं मिनी स्टेडियम के निर्माण के लिए 10.46 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है। वहीं, सैनिक स्कूल, गोरखपुर के संचालन के लिए 4 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।
पीपीपी मोड पर संचालित होंगे राजकीय पॉलीटेक्निक
उच्च शिक्षा में विंध्याचल धाम मंडल में मां विंध्यवासिनी राज्य विश्वविद्यालय, मुरादाबाद मंडल मे एक राज्य विश्वविद्यालय तथा देवी पाटन मंडल में मां पाटेश्वरी राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय हेतु 51.20 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित है। शिक्षा को प्रोत्साहित किए जाने के लिए मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के तहत 100 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं के विस्तार के लिए 30 करोड़ रुपए, नए राजकीय महाविद्यालयों की स्थापना तथा राजकीय महाविद्यालयों के निर्माणाधीन भवनों को पूर्ण किए जाने के लिए 55 करोड़ रुपए की व्यवस्था प्रस्तावित की गई है। दूसरी तरफ, प्राविधिक शिक्षा के तहत, प्रदेश में डिप्लोमा स्तरीय 169 संस्थाओं में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। 75 राजकीय पालीटेक्निक निर्माणाधीन/अवस्थापना की प्रक्रिया में हैं, जिन्हें जल्द ही पीपीपी मोड पर संचालित किया जाएगा। वर्तमान में 1874 निजी क्षेत्र की डिप्लोमा स्तरीय संस्थाओं में छात्र एवं छात्राओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। एकेटीयू द्वारा उत्तर प्रदेश स्टार्ट अप पालिसी-2020 के अंतर्गत विश्वविद्यालय परिसर में सेंटर ऑफ एडवांस स्टडीज के तहत एक इनोवेशन हब की स्थापना की गई है जिसके अंतर्गत 15 इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित हैं। इसके साथ ही 265 स्टार्ट अप्स ऑन बोर्ड हो गए हैं।
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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को प्रदेश में शैक्षिक संस्थानों में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की समीक्षा करते हुए कहा कि शिक्षकों के समयबद्ध चयन के लिए सरकार गंभीर है। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का जल्द गठन किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में एक ही आयोग से बेसिक, माध्यमिक, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के कॉलेजों में शिक्षकों का चयन होगा। यही आयोग टीईटी की परीक्षा भी कराएगा।
मुख्यमंत्री ने एकीकृत आयोग के रूप में ‘उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग’ के गठन के संबंध में निर्देश देते हुए कहा कि विगत पांच-साढ़े पांच वर्ष की अवधि में प्रदेश में संचालित विभिन्न चयन आयोगों की कार्यप्रणाली में शासन स्तर से अनावश्यक हस्तक्षेप न होने से आयोगों की कार्यप्रणाली में शुचिता और पारदर्शिता आई है। मेरिट के आधार पर योग्य अभ्यर्थियों का चयन हो रहा है। प्रदेश में आये इस बदलाव का सीधा लाभ युवाओं को मिल रहा है। प्रदेश के बेसिक, माध्यमिक, उच्च एवं तकनीकी शिक्षण संस्थानों में योग्य शिक्षकों के चयन के लिए अलग-अलग प्राधिकारी, बोर्ड एवं आयोग संचालित हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग और उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के अलावा उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से भी चयन की व्यवस्था लागू है। नीतिगत सुधारों के क्रम में भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए शिक्षक चयन आयोगों को एकीकृत स्वरूप दिया जाना उचित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक चयन अयोगों को एकीकृत स्वरूप देते हुए निगमित निकाय के रूप में उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन किया जाना चाहिए। शिक्षकों के समयबद्ध चयन, मानव संसाधन का बेहतर उपयोग और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने में आयोग उपयोगी सिद्ध होगा। योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश शिक्षा चयन आयोग को एक स्वायत्तशासी निगमित निकाय का स्वरूप दिया जाना चाहिए। अध्यापकों की नियुक्ति के संबंध में चयन परीक्षा, साक्षात्कार आदि के माध्यम से चयन की प्रक्रिया पूरी करते हुए अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए नियुक्ति प्राधिकारी को संस्तुति की जाएगी। उक्त बिंदुओं के अनुरूप नए आयोग के स्वरूप, अध्यक्ष एवं सदस्यों की अर्हता, आयोग की शक्तियों और कार्यों के संबंध में रूपरेखा तय करते हुए आवश्यक प्रस्ताव तैयार किया जाए।
एडेड माध्यमिक विद्यालयों का होगा विकास
प्रदेश में 60, 70, 80 वर्ष अथवा और अधिक पुराने बहुत से माध्यमिक विद्यालय हैं। प्रदेश के शैक्षिक माहौल को समृद्ध करने में इन संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य सरकार से सहायता प्राप्त इन माध्यमिक विद्यालयों में आज अवस्थापना सुविधाओं के विकास की आवश्यकता है। ऐसे में शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के व्यापक हित को देखते हुए प्रबंध तंत्र की अपेक्षाओं और आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए इन विद्यालयों के लिए एक बेहतर कार्ययोजना तैयार कर प्रस्तुत किया जाए।
संस्कृत विद्यालयों के छात्रों को मिले छात्रवृत्ति
प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन भी इस नए आयोग के माध्यम से किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाए कि टीईटी समय पर हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत विद्यालयों का उन्नयन सरकार की प्राथमिकता में है। संस्कृत विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के साथ-साथ अध्ययनरत विद्यार्थियों के प्रोत्साहन के लिए छात्रवृत्ति भी दी जानी चाहिए। इस संबंध में विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर यथाशीघ्र प्रस्तुत करें।