मुंबई। अपूर्व सिंह कार्की के निर्देशन में बनी कोर्टरूम ड्रामा फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ अब कानून के शिकंजे में फंसती नजर आ रही है।हालाँकि अभिनेता मनोज बाजपेयी की आने वाली फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ का शानदार और दमदार ट्रेलर रिलीज हो गया है। ओटीटी पर रिलीज हो रही इस फिल्म को सच्ची घटनाओं से प्रेरित ओरिजिनल फिल्म बताया जा रहा है। ट्रेलर को देखकर लोगों ने अछि प्रतिक्रिया दी है।
आसाराम बापू ट्रस्ट ने फिल्म के निर्माताओं को नोटिस जारी किया है। ट्रस्ट का कहना है कि इस फिल्म की कहानी आसाराम बापू की कहानी है। वह प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस (पॉस्को) एक्ट के तहत एक नाबालिग लड़की का केस लड़ रहे हैं। उस पर एक ढोंगी द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाया गया है। इसमें दिखाया गया है कि जब मनोज नाबालिग लड़की से रेप का केस अकेले लड़ता है, तो उसे किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
फिल्म के ट्रेलर से पता चलता है कि फिल्म वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित है। इस ट्रेलर को दर्शकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस फिल्म में गॉडमैन कोई और नहीं, बल्कि आसाराम बापू हैं। मनोज बाजपेयी पीसी सोलंकी की भूमिका निभा रहे हैं। पीसी सोलंकी वही वकील हैं, जिन्होंने आसाराम के खिलाफ केस लड़ा और उन्हें जेल भिजवाया था।
अब आसाराम बापू के चैरिटेबल ट्रस्ट ने फिल्म के निर्माताओं को कानूनी नोटिस भेजा है। इसमें कोर्ट से फिल्म के प्रमोशन और रिलीज पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है। साथ ही आसाराम बापू ट्रस्ट के वकीलों ने तर्क दिया कि इससे उनके भक्तों और अनुयायियों की भावनाएं आहत हो सकती हैं।
asaram bapu
अहमदाबाद । जोधपुर जेल में दुष्कर्म की सजा काट रहे आसाराम को एक और बलात्कार मामले में कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया गया है। वर्ष 2013 में आसाराम के खिलाफ सूरत की युवती ने दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई थी। गांधीनगर कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई कर आसाराम को दोषी ठहराया है। मंगलवार को मामले में सजा सुनाई जाएगी। इसी केस में आसाराम की पत्नी और बेटी समेत 6 आरोपितों को कोर्ट ने निर्दोष घोषित किया है। गांधीनगर सेशन्स कोर्ट ने आसाराम को 376 (2) सी, 377, 354, 342, 357, 506(2) के तहत दोषी ठहराया है। सरकारी वकील आर सी कोडेकरे ने बताया कि इस केस में दोषित को महत्तम सजा मिले, इसके लिए वे कोर्ट में प्रयास करेंगे।
मामला क्या था
सूरत में रहने वाली दो बहनों ने वर्ष 2013 में आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं पर बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई थी। वर्ष 1997 से 2006 के दौरान अहमदाबाद के मोटेरा आश्रम में आसाराम पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाया गया था। इन दो बहनों में बड़ी बहन ने आसाराम और छोटी बहन ने नारायण साईं के खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई थी। बड़ी बहन की शिकायत को गांधीनगर ट्रांसफर किया गया था। इसके बाद आसाराम के विरुद्ध गांधीनगर सत्र न्यायालय में सुनवाई हो रही थी।
अगस्त महीने में वीडियो कांफ्रेंसिंग से दर्ज हुआ था बयान
आसाराम के विरुद्ध गांधीनगर कोर्ट में चल रहे मामले में पिछले साल अगस्त महीने में आसाराम समेत सभी आरोपियों को फरदर स्टेटमेंट लिया गया था। इसमें जोधपुर जेल में बंद आसाराम वीडियो कॉन्फरेंस के माध्यम से गांधीनगर सेशंस कोर्ट में हाजिर हुआ था। बाद में कोर्ट कमिशन ने जोधपुर कोर्ट में जाकर आसाराम का हस्ताक्षर भी लिए थे।
सात पर लगे थे आरोप
बलात्कार मामले में पीड़िता ने आसाराम के अलावा अन्य 6 लोगों को आरोपी बनाया था। इसमें आसाराम की बेटी भारती, पत्नी लक्ष्मीबेन, निर्मलाबेन लालवाणी उर्फ ढेल, मीराबेन कालवाणी, ध्रुवबेन बालाणी, जसवंतीबेन चौधरी के नाम शामिल हैं। कोर्ट ने आसाराम को दोषी ठहराते हुए बाकी 6 आरोपियों को दोषमुक्त किया है। फिलहाल आसाराम जोधपुर जेल में पिछले आठ साल से बंद है।
लगाई गई है कई धाराएं
आसाराम की पत्नी और बेटी सहित छह अन्य सह आरोपियों पर उकसाने, बंधक बनाने और साजिश रचने के आरोप लगा था। सूरत पुलिस ने दो बहनों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की थी। इसमें एक मामला आसाराम और दूसरा उसके बेटे नारायण साई के खिलाफ दर्ज किया गया था। दोनों पर दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न, अवैध रूप से बंधक बनाने सहित कई धाराएं लगाई गई थी। बाद में, आसाराम के खिलाफ दर्ज शिकायत को अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में स्थानांतरित कर दिया गया क्योंकि घटना वहां के आश्रम में हुई थी।
जोधपुर, । नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीडऩ मामले में मरते दम तक आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम के जेल से बाहर आने की उम्मीदों को जोरदार झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उसे जमानत देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आसाराम के खिलाफ गुजरात में दुष्कर्म के एक मामले की ट्रायल चल रही है। ऐसे में जमानत नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट अब इस याचिका पर जनवरी में फिर से सुनवाई करेगा।
जोधपुर जेल में बंद आसाराम की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बढ़ती उम्र के साथ कई बीमारियों का इलाज कराने के लिए जमानत देने का आग्रह किया था। उसकी कुछ बीमारियों का इलाज जेल में रहते हुए संभव नहीं है। साथ ही कहा गया कि आसाराम से जुड़े मामले की ट्रायल बहुत लंबी हो रही है। इसके शीघ्र पूरी होने के आसार भी नजर नहीं आ रहे है। वहीं आसाराम को जमानत प्रदान किए जाने का विरोध करते हुए सरकारी वकील की तरफ से कहा गया कि आसाराम को किसी प्रकार की गंभीर बीमारी नहीं है। उसके खिलाफ ट्रायल भी जारी है। ऐसे में जमानत प्रदान किया जाना उचित नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील से सहमति जताते हुए फिलहाल जमानत नहीं देने का फैसला किया और मामले की अगली सुनवाई जनवरी में करने का तय किया।
यह है मामला
आसाराम आसाराम के गुरुकुल में पढऩे वाली एक नाबालिग छात्रा ने आरोप लगाया कि पंद्रह अगस्त 2013 को आसाराम ने जोधपुर के निकट मणाई गांव में स्थित एक फार्म हाउस में उसका यौन उत्पीडऩ किया। बीस अगस्त 2013 को उसने दिल्ली के कमला नगर पुलिस ताने में आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज कराया। जोधपुर का मामला होने के कारण दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने के लिए उसे जोधपुर भेजा। जोधपुर पुलिस ने आसाराम के खिलाफ नाबालिग का यौन उत्पीडऩ करने का मामला दर्ज किया। जोधपुर पुलिस 31 अगस्त 2013 को इन्दौर से आसाराम को गिरफ्तार कर जोधपुर ले आई। उसके बाद से आसाराम लगातार जोधपुर जेल में ही बंद है। 25 अप्रैल 2018 को ट्रायल कोर्ट ने आसाराम को मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई। इस दौरान उनकी तरफ से उच्चतम व उच्च न्यायालय सहित जिला न्यायालय में 15 से अधिक बार जमानत हासिल करने के प्रयास किए गए। उनकी तरफ से राम जेठमलानी, सुब्रहमण्यम स्वामी, सलमान खुर्शीद सहित देश के कई जाने माने विधिवेत्ता पैरवी कर चुके है। इसके बावजूद किसी कोर्ट ने उसे जमानत प्रदान नहीं की।
नई दिल्ली, । सुप्रीम कोर्ट ने रेप के आरोप में जेल में बंद आसाराम बापू को फिलहाल कोई राहत नहीं दी है। कोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि आपके खिलाफ अभी ट्रायल चल रहा है। हम जनवरी में इस मामले पर सुनवाई करेंगे।
सुनवाई के दौरान आसाराम की ओर से कहा गया कि उनके मामले में जिस तरह ट्रायल चल रहा है। ऐसे में उनको यह नहीं लगता कि उनके खिलाफ ट्रायल जल्दी खत्म होगा। आसाराम बापू ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर ट्रायल कोर्ट में अतिरिक्त गवाहों को पेश करने की मांग करते हुए अपनी बढ़ती आयु और बीमारी का हवाला देते हुए जमानत देने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि यौन उत्पीड़न के आरोप में आसाराम को 2013 में गिरफ्तार किया गया था। 20 अगस्त, 2013 को उनके खिलाफ जोधपुर आश्रम में यौन शोषण का मामला दर्ज कराया गया था। इसके अलावा सूरत की दो बहनों ने भी 2001 में आश्रम में दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था।