रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डॉ. डी. वाई पाटिल विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में भाग लिया है। इसके बाद उन्होंने वडोदरा में श्री स्वामीनारायण मंदिर, कुंडलधाम द्वारा आयोजित ‘संस्कार अभ्युदय शिविर’ को भी संबोधित किया। डी. वाई पाटिल विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने स्वयं भी एक student, researcher और एक teacher से होते हुए उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री तक की यात्रा तय की हैI इसलिए academic world से स्वाभाविक रूप से मेरा बड़ा लगाव रहा है।
मेरे युवा साथियों, मैंने गौर किया कि आज जिन लोगों को degrees प्रदान की जा रही हैं, उनमें अधिकांश students medical field से हैं। जीवन में स्वास्थ्य और आरोग्य का क्या महत्व है, इस पर अधिक बात करने की जरूरत मैं नहीं समझता हूँ। हमारे यहां माना जाता है, कि जन्म-जन्मांतर के पुण्य जब संचित होते हैं, तब कहीं जाकर जीव को मनुष्य का शरीर मिलता है। उसमें भी अगर शरीर स्वस्थ है, तो मानिए कि यह तो बड़े सौभाग्य की बात है। इसलिए स्वास्थ्य को, निरोग को हमारे यहां पहला सुख माना गया है।
उन्होंने कहा कि आप में से हो सकता है कई बच्चे आगे medical practice करें, कुछ निजी क्षेत्र में, कुछ सरकारी क्षेत्र में तो कुछ सिविल सेवा में भी जाएं। पर आप जहां भी रहें, संतुलन को कभी न भूलें। आज से एक सदी पूर्व, 1909 महात्मा गांधी की एक book आई थी ‘हिंद स्वराज’. आप में से कुछ लोगों ने इसे शायद पढ़ी भी होगी। इसमें वह आधुनिक विचारों के स्वागत की बात तो करते हैं, पर वहीं वह यह भी मानते हैं कि बदलते समय के साथ-साथ भारत में धर्म का ह्रास भी हो रहा है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि धर्म से उनका तात्पर्य नैतिकता, कार्यों की शुचिता और समाज और राष्ट्र के प्रति दायित्व से था। उनका मानना था कि हमारा समाज अपने धर्म की राह पर चलकर ही अपना पूर्ण विकास कर सकता है। कुछ यही बात किसी समय स्वामी विवेकानंद ने भी कही थी। उन्होंने कहा था कि प्रत्येक समाज और राष्ट्र का अपना एक मूल स्वभाव होता है, जिसको विकसित कर ही वह आगे बढ़ सकता है। जब हम दुनिया के साथ सकारात्मक रूप से जुड़ते हैं, तो हमारे जुड़ने से और भी अधिक सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार होता है। इसे मैं mathematical form में आपके सामने प्रस्तुत करना चाहूंगा।
बुद्धि तो सिर्फ़ यह बताएगी कि काम कैसे करेंगे, कितना अच्छा और कितनी सफ़ाई से करेंगे और कौन सा काम करेंगे, ये तो आपकी मन की प्रवृत्ति बतायेगी। और जैसा कि मैंने अभी कहा, यह आपके मन की व्यापकता और संकीर्णता पर निर्भर करता है कि आप अपने ज्ञान से दुनिया को क्या देने वाले हैं। खूब पढ़ लिखने के बाद भी अमेरिका में ट्रेंड पायलट हो कर भी कोई 9/11 करने वाला ख़ालिद शेख़ या मोहम्मद अट्टा बन सकता है, अरबपति खरबपति होकर भी कोई ओसामा बिन लादेन बन सकता है। मगर कोई newspaper vendor होकर, तमाम संघर्षों के बावजूद भी APJ अब्दुल कलाम भी बन सकता है।
हमारे समाज को स्वस्थ रखने में आप जैसे काबिल graduates, और medical practitioners की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पिछले एक-दो सालों में, यानि Covid के दौरान साथियों, इस दुनिया ने health practitioners और आप जैसे नौजवानों का एक नया अवतार देखा है। इसलिए महत्व इसका नहीं है कि आप कितने बुद्धिमान, प्रतिभावान या धनवान है। महत्व इसका है कि आपके मन का संस्कार क्या है। यह अंतर आपकी शिक्षा नहीं आप की दीक्षा तय करती है।
इसी के साथ ही रक्षामंत्री ने कहा कि आज भी हमारा देश से, गरीबी, भुखमरी जैसी समस्याएं पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं। अच्छी शिक्षा ही इनके उन्मूलन का एक कारगर हथियार हो सकती है। इसलिए आपका यह दायित्व बनता है, कि अच्छे कर्मों के साथ, यहां से प्राप्त शिक्षा को आप अपने तक ही सीमित न रखकर औरों तक भी इसका प्रसार करें।