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Sudan: सूडान के डारफुर में खूनी झड़पों के कारण 200 से ज्यादा लोगों की मौत, कम से कम 103 हुए घायल

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सूडान के पश्चिम डारफुर क्षेत्र (Sudan Darfur Clashes) में कबायली अरबियों और गैर अरबियों के बीच हुई झड़पों में मृतकों की संख्या 200 के पार चली गई है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी है. पश्चिमी डारफुर के प्रांतीय गवर्नर खमिस अब्दल्ला अबकर ने बताया कि क्रेनिक शहर में रविवार को हुई झड़पों (Clashes in Sudan) में कम से कम 103 अन्य लोग घायल भी हुए हैं. उन्होंने बताया कि हमलावरों ने शहर में एक संयुक्त सुरक्षा बल पर हमला कर दिया था. उन्होंने इसे मानवता के खिलाफ अपराध (Sudan Violence) बताया है.

अबकर ने वीडियो संदेश में कहा, यह अपराध है, मानवता के खिलाफ अपराध है. उन्होंने बताया कि सरकारी प्रतिष्ठानों समेत शहर को नष्ट कर दिया गया है. हाल के वर्षों में सबसे जानलेवा झड़पों में से एक ये झड़प बृहस्पतिवार को जिनेना से करीब 80 किलोमीटर दूर क्रेनिक के बाहर दो अरब चरवाहों की हत्या के बाद शुरू हुई थी. उन्होंने बताया कि इसके बाद जनजवीद के नाम से पहचाने जाने वाले अरब मिलिशिया बड़ी संख्या में रविवार तड़के भारी हथियारों के साथ शहर में घुस गए.

जिनेना तक पहुंच गई हिंसा की लपटें

हिंसा की लपटें रविवार को पश्चिमी डारफुर की प्रांतीय राजधानी जिनेना तक पहुंच गई और वहां मुख्य अस्पताल पर हमला किया गया. हमले इतने घातक हैं कि इन्हें सुरक्षाबल तक रोक पाने में नाकाम रहते हैं. कई सालों से यहां संयुक्त राष्ट्र के शांतिदूत शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन इन्हें भी 2020 में वापस बुला लिया गया. स्थानीय सुरक्षाबलों के साथ ही ये शांतिदूत भी यहां शांति स्थापित नहीं कर पाए थे.

कौन संभाल रहे सुरक्षा की जिम्मेदारी?

यहां शांति और सुरक्षा बनाना कितना मुश्किल है, इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि ये काम पुलिस, सेना, आरएसएफ और 2020 में शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले विद्रोही समूह संयुक्त बल के तौर पर कर रहे हैं. लेकिन पर्दे के पीछे की असलियत कुछ और ही है. इन सबकी अपनी महत्वकांक्षाएं हैं और ये किसी संयुक्त मोर्चे की तरह काम नहीं कर रहे हैं. वहीं कबायली अरबियों और गैर अरबियों की झड़पों की बात करें, तो इनके बीच ऐसा दशकों से हो रहा है. ये लोग मसलित समुदाय से आते हैं. ये झड़पें दशकों से जमीन को लेकर हो रही हैं. क्रेनिक नाम के जिस शहर में लड़ाई हुई है, वह बीते दो दशक से कई विस्थापित जातीय अश्वेत मसलित समुदायों का घर बनी हुई है. इन्हें सुडान की वायु सेना के हवाई हमलों के कारण अपने गावों को छोड़ना पड़ा है.

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