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एसबीआई ने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बांड का ब्योरा सौंपा

by Rashmi Singh

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट की फटकार आखिरकार रंग लायी। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मंगलवार को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा ब्योरा चुनाव आयोग को सौंपा। सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुपालन में बैंक ने यह जानकारी मुहैया कराई है। अब चुनाव आयोग को 15 मार्च तक यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करनी है।
चुनाव आयोग का कहना है कि 15 फरवरी और 11 मार्च (2017 के डब्ल्यूपीसी नंबर 880 के मामले में) के आदेश में शामिल सुप्रीम कोर्ट के एसबीआई के निर्देशों के अनुपालन में चुनावी बांड पर डेटा चुनाव आयोग को आज (12 मार्च) स्टेट बैंक द्वारा प्रदान किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी मंगलवार शाम तक चुनाव आयोग को देने के निर्देश दिए थे। पहले एसबीआई ने बांड और राजनीतिक दलों को लिंक करने वाली जानकारी देने के लिए समय मांगा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड किसने खरीदा और किन पार्टियों ने इलेक्टोरल बांड प्राप्त किया इसकी जानकारी वे चुनाव आयोग को सौंप दें।अब आयोग को 15 मार्च तक यह जानकारी सार्वजनिक करनी है कि किस पार्टी को किससे कितना चंदा मिला है।
भारतीय स्टेट बैंक ने आज यानी मंगलवार को इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी डिटेल चुनाव आयोग को सौंपी है। सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को सोमवार को फटकार लगाते हुए चुनावी बॉन्ड संबंधी जानकारी देने के लिए समयसीमा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने आदेश दिया था कि बैंक 12 मार्च को कामकाजी घंटे खत्म होने तक इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपे। कोर्ट के इस आदेश के मुताबिक, एसबीआई ने मंगलवार शाम साढ़े पांच बजे तक इलेक्टोरल बॉन्ड का पूरा डेटा चुनाव आयोग को सौंपा है।
चुनाव आयोग अब अपनी वेबसाइट पर पब्लिश करेगा डेटा
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने चुनाव आयोग को भी एसबीआई की ओर से शेयर की गई जानकारी 15 मार्च को शाम पांच बजे तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया। ऐसे में एसबीआई द्वारा भेजे गए डेटा को अब चुनाव आयोग को 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर पब्लिश करना होगा। सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
कोर्ट ने केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को कर दिया था रद्द
बता दें कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। साथ ही इसे असंवैधानिक करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और चंदा प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड की डिटेल का खुलासा करने के लिए समयसीमा 30 जून तक बढ़ाए जाने की अपील की थी, लेकिन शीर्ष अदालत ने सोमवार को एसबीआई के अनुरोध को खारिज कर दिया और मंगलवार शाम कामकाजी घंटे के अंदर चुनाव आयोग को सारी डिटेल देने सौंपने का आदेश दिया।

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