भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सरकारी स्वामित्व वाले बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) पर 1.12 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. आरबीआई ने यह जुर्माना केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए कुछ निर्देशों के गैर-अनुपालन (Compliance) के लिए लगाया है, जिनमें नो यॉर कस्टमर (KYC) से संबंधित नियम शामिल हैं. बैंक ऑफ महाराष्ट्र को केंद्रीय बैंक (Reserve Bank) द्वारा जारी कुछ निर्देशों के गैर-अनुपालन के लिए पैनल्टी लगाई गई है. इनमें नो यॉर कस्टमर (KYC) नियमों से संबंधित भी शमिल हैं. केंद्रीय बैंक ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पर जांच की गई थी.
जांच बैंक द्वारा सरकारी अकाउंट में कस्टम ड्यूटी के क्रेडिट नहीं होने के मामले में की गई थी. आरबीआई ने आगे कहा कि यह कार्रवाई रेगुलेटरी अनुपालन में किल्लतों पर आधारित है और इसका मकसद बैंक के उसके ग्राहकों के साथ किए गए किसी ट्रांजैक्शन या समझौते की मान्यता पर फैसला सुनाना नहीं है.
राजकोट नागरिक सहकारी बैंक पर 12 लाख रुपये का जुर्माना
इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने राजकोट नागरिक सहकारी बैंक पर भी 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. यह जुर्माना बैंक ने डिपॉजिट पर ब्याज दर पर निर्देश का पालन नहीं करने पर लगाया है. इसके साथ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने चंडीगढ़ के हरियाणा स्टेट को-ऑपरेटिव एपैक्स बैंक पर भी 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. ऐसा उसने हाउसिंग फाइनेंस पर आरबीआई के निर्देशों के उल्लंघन के मामले में किया है.
इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा था कि उसने सरकारी क्षेत्र के कर्जदाता सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर ग्राहकों की सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन करने के लिए 36 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने एक बयान में कहा कि उसने 18 अप्रैल 2022 को जारी किए गए एक आदेश में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर 36 लाख रुपये की मॉनेटरी पैनल्टी लगाई है. यह जुर्माना उसने ग्राहक सुरक्षा— अनाधिकृत बैंकिंग ट्रांजैक्शन में ग्राहकों की सीमित लायबिलिटी पर कुछ निर्देशों के गैर-अनुपालन के लिए लगाया है. रेगुलेटर ने कहा कि यह जुर्माना बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 के प्रावधानों के तहत लगाया गया है.
बयान में आगे कहा गया था कि यह कार्रवाई रेगुलेटरी अनुपालन में गड़बड़ियों पर आधारित है और इसकी मंशा बैंक का उसके ग्राहकों के साथ किए गए किसी ट्रांजैक्शन या समझौते की मान्यता पर कुछ फैसला सुनाना नहीं है.