महाराष्ट्र नव निर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray MNS) के खिलाफ औरंगाबाद सिटी चौक पुलिस थाने (Aurangabad Police) में आज (3 मई, मंगलवार) एफआईआर (FIR) दर्ज हो गई. राज ठाकरे पर भड़काऊ भाषण कर समाज में तनाव पैदा करने की कोशिश करने का आरोप है. राज ठाकरे ने 1 मई को हुई औरंगाबाद रैली में अल्टीमेटम दिया था कि अगर 3 मई के बाद भी मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं उतरवाए गए तो 4 मई से एमएनएस कार्यकर्ता जगह-जगह मस्जिदों के सामने दुगुनी आवाज में हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे. राज ठाकरे को सभा करने के लिए परमिशन देने से पहले जो 16 शर्तें रखी गई थीं, उनमें से 12 शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप है.
उन पर आईपीसी की धारा 116 (अपराध के लिए उकसाना),117 (भड़काऊ भाषण), 153 (दो समुदायों के बीच तनाव पैदा करना) के तहत केस दर्ज किया गया है. इसके अलावा महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 135 (शर्तों और नियमों को भंग करना) के तहत भी केस दर्ज किया गया है. एमएनएस नेता अविनाश जाधव ने दावा किया है कि राज ठाकरे की गिरफ्तारी की तैयारी शुरू हो चुकी है. इस बीच राज ठाकरे के घर ‘शिवतीर्थ’ के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
गिरफ्तारी की शुरू हो चुकी है तैयारी, बचने के उपायों पर भी चर्चा जारी
गिरफ्तारी की बढ़ती संभावनाओं के बीच ही इस बात की भी चर्चा शुरू हो चुकी है कि राज ठाकरे के पास अब अरेस्ट होेने से बचने के लिए क्या-क्या रास्ते हो सकते हैं. राज ठाकरे के भाषण के ऑडियो-वीडियो की पांच घंटे तक जांच की गई. इसके बाद आज दोपहर उन पर केस दर्ज किया गया. फिलहार राज ठाकरे के पास अरेस्ट होने से बचने के दो उपाय हैं.
गिरफतारी से बचने के ये दो रास्ते, राज ठाकरे के वास्ते
राज ठाकरे पर जिन धाराओं के तहत केस दर्ज किए हैं उन पर जमानत ली जा सकती है. राज ठाकरे के खिलाफ 153 के तहत केस दर्ज किया गया है. चूंकि हिंसा की या कोई अप्रिय घटना घटी नहीं, इसलिए उन पर 153-A के तहत केस दर्ज नहीं किया गया. 153-A के तहत केस गैर जमानती होता है. ( 153-A की धारा नवनीत राणा और रवि राणा पर लगाई गई है.)
राज ठाकरे के पास दो रास्ते हैं. वे अब चाहें तो गिरफ्तारी से पूर्व जमानत की याचिका दायर कर सकते हैं. अगर जमानत याचिका मंजूर कर ली जाती है तो गिरफ्तारी नहीं होगी. इसके अलावा राज् ठाकरे पुलिस द्वारा दायर की गई एफआईआर को कोर्ट में चुनौती भी दे सकते हैं और उन्हें रद्द करने की मांग कर सकते हैं.
नवनीत राणा और राज के साथ अलग-अलग इंसाफ, क्यों हो रहा पक्षपात?
यहां सवाल उठता है कि क्या महाराष्ट्र सरकार राज ठाकरे से डरती है? फिर एक ही राज्य में नवनीत राणा और राज ठाकरे के एक जैसे गुनाह पर दो तरह की धाराएं क्योंं? नवनीत राणा पर ऐसी धाराएं लगाई गईं जो गैर जमानती हैं जबकि राज ठाकरे पर ऐसी धाराएं लगाई गईं जिन पर जमानत आसानी से मिल सकती है. यानी सवाल सीधा और साफ है. या तो राज्य सरकार राज ठाकरे से डरती है या उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई होने की वजह से राज ठाकरे के लिए अलग कानून और अलग इंसाफ है. यह सवाल एमआईएम सांसद इम्तियाज जलील (Imtiyaz Jaleel AIMIM) ने हमारे सहयोगी न्यूज चैनल TV9 मराठी से बात करते हुए यह सवाल उठाया है.