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Raisina Dialogue: विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा- दुनिया के साथ जुड़ाव के लिए हमने बनाई स्पष्ट नीति, नेबरहुड फर्स्ट इसका हिस्सा

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विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) नई दिल्ली में चल रहे रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogue) में हिस्सा ले रहे है. इस दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर घटित घटनाक्रमों का जिक्र किया. इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर पश्चिमी मुल्कों और रूस के बीच चल रही तनातनी तक शामिल रही. विदेश मंत्री ने कहा, तीन चीजें हैं, जो मुझे सोचने पर मजबूर करती हैं. इसमें अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को लग रहे झटके शामिल हैं. खासतौर पर जो पिछले दो सालों में लगे हैं. पहले कोरोना महामारी, फिर अफगानिस्तान संकट और अब यूक्रेन युद्ध. इसके अलावा, पश्चिमी मुल्कों और रूस के टीक टकराव और अमेरिका एवं चीन के बीच गतिरोध भी शामिल है.

जयशंकर ने कहा, मैं ये नहीं कहूंगा कि इन वजहों से मैं सो नहीं पाता हूं. तेजी से बदलती दुनिया का जवाब देने के लिए आपको एक ऑपरेशनल मैट्रिक्स तैयार की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि हमारे मामले में खास तौर पर 2014-15 के बाद से हमने इस बात पर अधिक स्पष्टता रखी है कि हम दुनिया के साथ अपने को कैसे जोड़ते हैं. हमने विश्व-केंद्रित मंडलों के साथ जुड़ाव रखा है. नेबरहुड फर्स्ट की नीति अपनाई है. साथ ही दुनिया की प्रमुख शक्तियों को शामिल करने वाली एक जागरूक नीति भी तैयार की है. विदेश मंत्री ने कहा, आत्मनिर्भर भारत न केवल सक्षम है, बल्कि सही मानसिकता वाला भी है. भारत अधिक से अधिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार भी है.

यूक्रेन संघर्ष एक प्रमुख मुद्दा: जयशंकर

सम्मेलन में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा, यूक्रेन विवाद पर भारत का रुख स्पष्ट है. हम शत्रुता को समाप्त करने, बातचीत पर लौटने और राष्ट्रीय संप्रभुता पर जोर देने का आग्रह करते हैं. उन्होंने कहा कि मैं भारत के कार्यों के लिए स्पष्टीकरण देने के लिए तैयार हूं. मैं इस बात को मानता हूं कि यूक्रेन संघर्ष प्रमुख मुद्दा है. ऐसा न सिर्फ केवल सिद्धांतों और मूल्यों के संदर्भ में है, बल्कि व्यावहारिक परिणामों के संदर्भ में भी है. विदेश मंत्री ने कहा कि जब एशिया में नियम आधारित व्यवस्था खतरे में थी, तो पश्चिम ने सलाह दी कि अधिक व्यापार किया जाए. कम से कम हम ऐसी सलाह नहीं दे रहे हैं. हमें कूटनीति की ओर लौटने का रास्ता खोजना होगा और ऐसा करने के लिए लड़ाई बंद होनी चाहिए.

हिंद-प्रशांत पर क्या बोले विदेश मंत्री?

हिंद-प्रशांत को लेकर भारत की भूमिका पर बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हमें अपने इतिहास को फिर से हासिल करने की जरूरत है. हमारे संबंध और व्यापार औपनिवेशिक काल में बाधित हो गए थे. उन्होंने कहा कि मगर अब एक अधिक वैश्वीकृत दुनिया में हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हम बिचौलियों के बजाय एक दूसरे के साथ पुनर्निर्माण और बातचीत कैसे करना चाहते हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि हमें दूर के देशों की ओर देखने के बजाय हिंद महासागर समुदाय को फिर से बनाने, उसके लिए समाधान खोजने और एक दूसरे के साथ साझेदारी करने का टारगेट रखना चाहिए.

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