पूरे देश में इस समय बिजली संकट (Power Crisis) की समस्या देखने को मिल रही है. इस प्रचंड गर्मी में बिजली संकट के आम इंसान और परेशान हैं. वहीं इसी बीच खबर है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कांग्रेस के दफ्तर में 3 घंटे से बत्ती गुल रही. बता दें कि देश में गर्मी बढ़ने के साथ बिजली की मांग में इजाफा हुआ है. दूसरी तरफ, रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के चलते आयातित कोयला महंगा होने के मद्देनजर ईंधन की कमी से कुछ बिजलीघरों के उत्पादन पर असर पड़ा है. उत्पादन में कमी के चलते कई राज्यों में बिजली कटौती की जा रही है. इससे औद्योगिक गतिविधियों के साथ आम जनजीवन पर भी असर पड़ रहा है.
पिछले महीने दिल्ली सरकार ने विभिन्न बिजली घरों में कोयले की कमी का संदर्भ देते हुए बिजली आपूर्ति बाधित होने की चेतावनी दी थी. केजरीवाल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था, ‘दिल्ली में बिजली आपूर्ति का प्रबंधन हम (दिल्ली सरकार) कर रहे हैं. कोयले की कमी के कारण यह समस्या पूरे देश के सामने है. हालांकि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि दिल्ली की बिजली आपूर्ति कंपनियों को आवश्यकता के अनुसार बिजली मिलती रहेगी.
दिल्ली की बिजली आपूर्ति कंपनियों को बिजली मिलती रहेगी- आर के सिंह
टाटा पावर दिल्ली वितरण निगम (टीपीडीडीएल) ने एक बयान में कहा कि वह उन बिजली घरों में कोयले की उपलब्धता पर नजर रख रहा है जिनके साथ उसका लंबे समय तक का करार है. बयान के अनुसार, ‘बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने और अतिरिक्त मांगों के मद्देनजर टीपीडीडीएल ने हाल में मई के पहले सप्ताह से 31 जुलाई तक 150 मेगावाट अतिरिक्त बिजली के लिए करार किया है.’
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा था निशाना
कुछ दिन पहले कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा था. सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा था, ‘मोदी जी, बिजलीघरों में कोयला नहीं है…ये कोई ब्रेकिंग न्यूज नहीं बल्कि हर दिन और हर पल की खबर है. देश भर में भीषण गर्मी के बीच भयंकर बिजली कटौती से हाहाकार मचा हुआ है. एक चौथाई से ज़्यादा बिजली संयंत्र बंद पड़े हैं और 700 से अधिक ट्रेनें रद्द हैं. ये कैसी ‘नई अप्रोच’ है?’
बिजली उत्पादन घटने के लिए कौन जिम्मेदार?
बता दें कि बिजली उत्पादन घटने के लिए कोयला आपूर्ति में कमी को जिम्मेदार माना जा रहा है. ऐसे में कोल इंडिया लिमिटेड के पूर्व निदेशक एसएन प्रसाद का कहना है कि घरेलू स्तर पर कोयला आपूर्ति बिजली संकट का कारण नहीं है. देश में कोयला उत्पादन और उपभोक्ताओं (बिजली और अन्य क्षेत्र) को इसकी आपूर्ति में लगातार वृद्धि हुई है. वित्त वर्ष 2021-22 में उपभोक्ताओं को 66.3 करोड़ टन कोयले की आपूर्ति की गई थी, जो एक रिकॉर्ड है. बिजली संकट का बड़ा कारण आयातित कोयला और गैस आधारित संयंत्रों में ईंधन की कमी है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर कोयले और अन्य ईंधन के दाम बढ़े हैं. इससे बिजली संयंत्र कोयला आयात करने से बच रहे हैं.
(भाषा से इनपुट के साथ)