कोरोना के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले पीड़ितों को ‘पैक्सलोविड’ टैबलेट (Paxlovid Tablet) दी जा सकेगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिश के बाद ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भी फाइजर की ‘पैक्सलोविड’ टैबलेट को मंजूरी दे दी है। अगले हफ्ते से यह दवा देश में उपलब्ध हो जाएगी. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इसे गेमचेंजर बताया जा रहा है. यह दवा डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही मिल सकेगी. रोजाना दिन में दो बार तीन-तीन गोलियों की डोज लेनी होगी. पूरा कोर्स 5 दिन का होगा. इस दवा का ट्रायल 3 हजार से अधिक मरीजों पर पहले ही किया जा चुका है. अब कई देशों में इसका इस्तेमाल किया जाएगा.
कितनी असरदार है ‘पैक्सलोविड’, यह कैसे काम करती है और इसे कितनी तरह के मरीजों को दिया जा सकता है? जानिए इन सवालों के जवाब…
‘पैक्सलोविड’ दवा में क्या है और यह कैसे काम करती है?
‘पैक्सलोविड’ को निरमेट्रेलविर और रिटोनाविर दवा मिलाकर तैयार किया गया है. इसे ओरल यानी टेबलेट के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा. अब इन दोनों दवाओं के काम करने का तरीका समझ लेते हैं. निरमेट्रेलविर दवा (Nirmatrelvir) कोरोनावायरस के प्रोटीएज एंजाइम को रोकने में मदद करती है. यही एंजाइम कोरोना को रेप्लिकेट करने यानी संख्या को बढ़ाने में मदद करता है. इस दवा से वायरस की बढ़ती संख्या को कंट्रोल किया जाएगा.
वहीं, रिनोटनाविर (Ritonavir) निरमेट्रेलविर के असर को लम्बे समय तक बरकरार रह रखने में मदद करती है. यह निरमेट्रेलविर के टूटने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है. ऐसा होने पर निरमेट्रेलविर ज्यादा असरदार साबित होती है.
कितनी तरह के मरीजों को दी जाएगी यह दवा?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इसका इस्तेमाल कोरोना के ऐसे मरीजों में किया जाएगा जिनमें हल्के और मध्यम लक्ष्य दिख रहे हैं. इसके अलावा जो लोग हाई रिस्क जोन में हैं उन्हें भी दी जा सकती है. जैसे- जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है, जिनमें किसी वजह से इम्यूनिटी का लेवल काफी कम हो गया है या अधिक बुजुर्ग हैं.
यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी (EMA) की ओर से जारी गाइडलाइन कहती है, ‘पैक्सलोविड’ का इस्तेमाल ऐसी वयस्कों का इलाज करने में किया जा सकता है जिन्हें सप्लिमेंट ऑक्सीजन की जरूरत तो नहीं है, लेकिन हालत गंभीर होने का खतरा है.
कितनी असरदार है यह दवा और क्या कहते हैं ट्रायल के आंकड़े?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पैक्सलोविड’ टैबलेट का ट्रायल 3,078 मरीजों पर किया गया है. रिसर्च रिपोर्ट कहती है, दवा देने के बाद मरीजों के हॉस्पिटल में भर्ती होने का खतरा 85 फीसदी तक कम हो गया. ऐसे लोग जो हाई रिस्क में हैं उन्हें हॉस्पिटलाइजेशन का खतरा 10 फीसदी तक कम हो गया.
इस तरह दवा का इस्तेमाल मरीजों की स्थिति बिगड़ने से रोकने के लिए किया जाएगा. देश में यह दवा अगले हफ्ते से मिल सकेगी. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यह दवा गेमचेंजर साबित हो सकती है.